ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी देश विरोधी गतिविधियों की जांच में बड़ा मोड़ आया है। इस मामले में एनआईए और जम्मू पुलिस ने धौज में एक मोबाइल दुकानदार को देर रात हिरासत में लेकर पूछताछ की है। यह कार्रवाई डॉक्टर मुजम्मिल से जुड़े नेटवर्क को अलग-अलग जगहों पर खंगालते हुए की गई। जांच एजेंसियों का शक है कि मोबाइल दुकानदार की दुकान से ही कई सिम कार्ड लेकर कश्मीरी छात्रों और मुजम्मिल के साथियों तक पहुंचाए गए थे।
कैसे हुई डॉक्टर मुजम्मिल और दुकानदार की मुलाकात?
मोबाइल दुकानदार साबिर धौज की बिल्ला कॉलोनी में रहता है और पास ही मार्केट में मोबाइल की दुकान चलाता है। सूत्रों के अनुसार, लगभग आठ महीने पहले उसकी मुलाकात डॉ. मुजम्मिल से अस्पताल में हुई थी। उस समय साबिर अपने परिवार के एक सदस्य को इलाज करवाने के लिए अस्पताल लेकर गया था।
डॉक्टर मुजम्मिल ने न केवल मरीज की काफी मदद की, बल्कि साबिर से यह भी कहा कि यदि आसपास कोई और जरूरतमंद हो, तो उसे भी बताए। यही वह समय था जब दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे रिश्ता नजदीकियों में बदल गया।
मदद के बहाने बढ़ाई करीबियां
साबिर ने मुजम्मिल को बताया कि वह मोबाइल का व्यवसाय करता है। इसके बाद डॉक्टर मुजम्मिल खुद उसकी दुकान पर पहुंचा। जांच एजेंसियों के मुताबिक, यहीं से सिम कार्ड उपलब्ध कराने की कड़ी शुरू हुई। दुकानदार ने कई सिम कार्ड जारी किए, जिन्हें बाद में मुजम्मिल ने कश्मीरी छात्रों और अपने अन्य साथियों को बांटा।
बताया जाता है कि जिन छात्रों और साथियों को सिम कार्ड दिए गए, उनमें से कई पर पहले से निगरानी चल रही थी। यह नेटवर्क सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप और कॉल के माध्यम से विविध गतिविधियों को शक के दायरे में रहे समूहों तक जोड़ता था।
पहले भी बढ़ाई थी इमामों से नजदीकी
यह पहली बार नहीं है जब डॉक्टर मुजम्मिल ने “मदद की पेशकश” के नाम पर लोगों से नजदीकी बढ़ाई हो। इससे पहले सिरोही के इमाम और यूनिवर्सिटी कैंपस की मस्जिद के इमाम से भी उसने इसी तरह संपर्क बनाए थे। वह जरूरतमंदों की सहायता का बहाना बनाकर भरोसा जीतता था और धीरे-धीरे उन्हें अपने नेटवर्क का हिस्सा बना लेता था।
कई पहलुओं की छानबीन जारी
अल फलाह यूनिवर्सिटी पर पहले से निगरानी चल रही थी क्योंकि इसे कई गतिविधियों के लिए संवेदनशील माना जा रहा था। हाल ही में लाल किला ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है और अब 24 मौलवियों के बैकग्राउंड की भी जांच की जा रही है। इसी प्रक्रिया में मोबाइल दुकानदार से पूछताछ की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि अवैध तरीके से जारी हुए सिम कार्डों का इस्तेमाल कहां-कहां हुआ।
क्या आगे हो सकती हैं और गिरफ्तारियां?
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह नेटवर्क काफी व्यापक हो सकता है। सिम कार्ड के जरिए संपर्क बनाए गए कई लोगों की पहचान की जा रही है। संभावना है कि आने वाले दिनों में और लोगों से पूछताछ हो या गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एजेंसी फिलहाल दुकानदार से मिली जानकारी को अन्य डिजिटल सबूतों से मिलान कर रही है।
यह मामला संकेत देता है कि आतंकियों की रणनीतियां अब बेहद सधी हुई और आम लोगों के भरोसे का फायदा उठाने वाली होती जा रही हैं। जांच एजेंसियां अब पूरे नेटवर्क को उखाड़ फेंकने के लिए तेज़ी से काम कर रही हैं।
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