पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई की। सरस्वती पर एक निजी संस्थान की 17 छात्राओं से छेड़छाड़ करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है, इसलिए मौजूदा समय में जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता। जमानत याचिका पर सुनवाई 27 अक्टूबर तक स्थगित कोर्ट ने सुनवाई के बाद जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 27 अक्टूबर तक स्थगित कर दी। सरस्वती के वकील ने अदालत से दलील दी कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। वकील ने कहा कि सरस्वती ने अपने शिष्यों पर होली के दौरान रंग डाला और उनके हाथ मिलाए, इसलिए यह कोई यौन अपराध नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि पीड़ितों की संख्या 17 है, और सभी को झूठा मामला दर्ज कराने के लिए राज़ी करना मुश्किल है। जज ने यह भी कहा कि सभी 16 (साथ में एक और) पीड़ितों के बयान मौजूद हैं, जो ठोस सबूत हैं। आरोपी और केस का विवरण चैतन्यानंद सरस्वती को पिछले महीने आगरा से गिरफ्तार किया गया था। वह एक होटल में ठहरा हुआ था। मामले की जांच कर रही पुलिस ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ताओं की वॉट्सऐप चैट उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उनके मोबाइल फोन से संदेश हटा दिए गए थे। केवल स्क्रीनशॉट्स ही उपलब्ध हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि तीन महिलाएं जांच में शामिल हैं और सरस्वती ने लड़कियों पर बातचीत को डिलीट करने का दबाव बनाया। निजी संस्थान और ईमेल से मामला सामने आया अदालत को बताया गया कि यह मामला भारतीय वायु सेना की एक महिला ग्रुप कैप्टन से मिले ईमेल के बाद सामने आया। निजी संस्थान के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि आरोपों पर गौर किया जाए। सरस्वती के वकील का तर्क था कि उनके मुवक्किल पर झूठे आरोप लगाए गए हैं और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि पीड़ितों की संख्या और बयान इस मामले की गंभीरता को दर्शाते हैं, इसलिए जमानत देने का कोई मौजूदा आधार नहीं है। अदालत की टिप्पणी और अगले कदम एडिशनल सेशन जज दीप्ति देवेश ने कहा कि इस मामले में अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है, और जमानत देना उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला गंभीर और संवेदनशील है, इसलिए सुनवाई 27 अक्टूबर तक स्थगित कर दी गई है। अगली सुनवाई में अदालत मामले के सभी पहलुओं और सबूतों पर ध्यान देगी। फिलहाल, सरस्वती जेल में ही रहेंगे। Comments (0) Post Comment
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