ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
दिल्ली में लाल किले के पास हुए ब्लास्ट मामले में जांच आगे बढ़ने के साथ-साथ कई चौंकाने वाले खुलासे होते जा रहे हैं। NIA, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और अन्य एजेंसियों की संयुक्त जांच में सामने आया है कि धमाके के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का गहरा नेटवर्क काम कर रहा था। आश्चर्य की बात यह है कि इस मॉड्यूल में कई डॉक्टर शामिल थे, जिन्हें ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ कहा जा रहा है।
जैश-ए-मोहम्मद का कनेक्शन कैसे सामने आया?
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान में बैठे जैश के हैंडलर हंजुल्ला ने दिल्ली धमाके के आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई को बम बनाने के करीब 40 वीडियो भेजे थे। ये सभी वीडियो विस्फोटक तैयार करने और उसे सुरक्षित तरीके से फिट करने के तरीके बताते थे। इन दोनों को जम्मू-कश्मीर के शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद ने जोड़ा था। यही वह कड़ी थी जिसने आगे चलकर पूरा टेरर मॉड्यूल तैयार किया।
जांच टीम को शक तब हुआ जब जम्मू-कश्मीर के नौगाम में लगे जैश के पोस्टरों में कमांडर हंजुल्ला भैया का नाम मिला। इससे साफ हुआ कि हंजुल्ला असल में पाकिस्तान से संचालित जैश का सक्रिय हैंडलर है।
डॉक्टरों का व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल
NIA ने अब तक अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टरों—डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद, डॉ. आदिल अहमद राथर और मौलवी इरफान—को गिरफ्तार किया है। बाद में दो और डॉक्टरों, डॉ. जुनैद यूसुफ और डॉ. नासिर राशिद, से पूछताछ की गई है।
सूत्र बताते हैं कि इस मॉड्यूल में हर सदस्य की जिम्मेदारी तय थी—
• डॉ. मुजम्मिल: नए लोगों को आतंकी नेटवर्क में भर्ती करना
• डॉ. शाहीन (मैडम सर्जन): आर्थिक मदद और ब्रेनवॉश
• डॉ. उमर नबी: साजिश का मास्टरमाइंड, जो ब्लास्ट में मारा गया
डॉक्टर होने की वजह से ये सभी समाज में सम्मानित माने जाते थे, जिससे किसी को उन पर शक नहीं होता था।
आटा चक्की से विस्फोटक तैयार करने का खुलासा
फरीदाबाद के धौज गांव में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से NIA ने आटा चक्की, मेटल पिघलाने वाली मशीन और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए। जांच में सामने आया कि उसी आटा चक्की में मुजम्मिल यूरिया पीसता था, फिर मशीनों से उसे रिफाइन करता और बाद में रसायन मिलाकर विस्फोटक तैयार करता था।
डॉ.
मुजम्मिल
ने
ये
केमिकल
अल
फलाह
यूनिवर्सिटी
की
लैब
से
चुराए
थे।
मुजम्मिल
की
निशानदेही
पर
पुलिस
ने
9 नवंबर
को
उसी
कमरे
से
360 किलो
अमोनियम
नाइट्रेट,
जबकि
10 नवंबर
को
दूसरे
कमरे
से
2558 किलो
संदिग्ध
विस्फोटक
बरामद
किया।
यह
मात्रा
किसी
बड़े
आतंकी
हमले
का
संकेत
देती
है।
मुजम्मिल और टैक्सी ड्राइवर की पहचान कैसे हुई?
टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि करीब चार साल पहले उसके बेटे का इलाज अल फलाह मेडिकल कॉलेज में हुआ था, जहां डॉ. मुजम्मिल ने उसकी मदद की। यहीं से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और मुजम्मिल अक्सर उसके घर आने लगा। उसने आटा चक्की को भी “बहन का दहेज” बताकर उसी के घर में रखवा दिया था।
यही ड्राइवर बाद में मुजम्मिल को सामग्री लाने-ले जाने में मदद करने लगा, बिना यह जाने कि वह आतंकियों की मदद कर रहा है।
कौन-कौन बने मॉड्यूल का हिस्सा?
मुजम्मिल का पहला शिकार धौज में रहने वाली अफसाना का जीजा शोएब बना। मुजम्मिल मदद के बहाने उसके घर आता-जाता रहा और उसका ब्रेनवॉश करता रहा। इसी तरह उसने साबिर से दोस्ती की और उससे कश्मीरी छात्रों के लिए सिम कार्ड खरीदे। धौज का रहने वाला बाशिद भी इसी नेटवर्क का सदस्य था। उसने आतंकी उमर की लाल ईको स्पोर्ट्स कार अपनी बहन के घर में छिपाई हुई थी।
मैडम सर्जन की लेडी टेरर स्क्वॉड बनाने की कोशिश
इस मॉड्यूल में सबसे चौंकाने वाली जानकारी डॉ. शाहीन सईद से जुड़ी है, जिन्हें ‘मैडम सर्जन’ कहा जाता था। उसकी डायरी से पता चला है कि वह महिला आतंकियों की एक अलग टीम बनाना चाहती थी। उसने कुछ लड़कियों की लिस्ट भी तैयार कर ली थी, जिन्हें ब्रेनवॉश करके इस मॉड्यूल में शामिल करने की योजना थी। हालांकि टीम बनाना पूरी तरह सफल नहीं हो पाया, इसलिए यह जिम्मेदारी उसने मुजम्मिल को सौंप दी।
सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई तेज
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने धमाके के बाद सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए आदेश दिया है कि अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री पर सख्त डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाए, खरीदने और बेचने वालों की फोटो और अन्य डिटेल अनिवार्य हों।
अल फलाह यूनिवर्सिटी की जांच अब NIA, ED, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और पंजाब पुलिस—सभी कर रही हैं। 200 से ज्यादा डॉक्टर और स्टाफ जांच के दायरे में हैं।
पठानकोट से गिरफ्तार डॉक्टर पर भी जांच जारी
पंजाब पुलिस ने पठानकोट के मामून कैंट के पास एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ा रहे एक डॉक्टर को हिरासत में लिया है। वह मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है और कई साल अल फलाह मेडिकल कॉलेज में भी काम कर चुका है।
दो बॉडी पार्ट्स की पहचान बाकी
धमाके के बाद अस्पताल की मॉर्चरी में पाए गए तीन बॉडी पार्ट्स में से एक का डीएनए आतंकवादी उमर नबी से मैच हुआ है। दो अन्य बॉडी पार्ट्स की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वे भी उमर के ही हो सकते हैं, लेकिन पुष्टि के लिए परिजनों का डीएनए नमूना जरूरी है।
दिल्ली ब्लास्ट केस धीरे-धीरे उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां पता चल रहा है कि यह एक बड़ा, संगठित और खतरनाक नेटवर्क था। डॉक्टरों जैसे शिक्षित लोगों का इसमें शामिल होना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। जांच एजेंसियां बड़ी सावधानी और तेजी से इस पूरे मॉड्यूल की परतें खोल रही हैं।
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