520 करोड़ रुपये के अप्रयुक्त विधायक निधि ने विकास परियोजनाओं को रोक दियादिल्ली विधानसभा से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है - MLA Local Area Development (MLALAD) निधि के तहत अप्रयुक्त 520 करोड़ रुपये ने शहर में कई विकास कार्यों को रोक दिया है। अब, जब महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर रोक लगी हुई है, तो नागरिक अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों से जवाब मांग रहे हैं कि पैसा इस्तेमाल होने का इंतजार क्यों कर रहा था, लेकिन इसके बजाय उसे नजरअंदाज कर दिया गया।MLALAD Fund क्या है?MLALAD Fund एक ऐसी योजना है, जिसके तहत एक विधायक को अपने निर्वाचन क्षेत्र में छोटे-मोटे विकास कार्यों के लिए एक निश्चित राशि मिलती है, जिसमें मुख्य रूप से सड़कें, जल निकासी, स्ट्रीट लाइट, स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे शामिल हैं। हर विधायक को लालफीताशाही के बिना स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए हर साल एकमुश्त राशि मिलती है।520 करोड़ रुपये जो अप्रयुक्त रह गए - इसके लिए कौन जिम्मेदार है?आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में जारी कुल निधियों में से 520 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया है। इसके कारण अकुशलता, नियोजन की कमी और राजनीतिक लापरवाही के आरोप लगे हैं। कई विधायकों का कहना है कि नौकरशाहों के बीच लालफीताशाही, परियोजनाओं में देरी और राजनीतिक मतभेदों के कारण निधि खर्च नहीं हो पाई है।लेकिन विपक्षी नेताओं ने कुप्रबंधन और वादाखिलाफी के लिए सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना की है। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, "अगर जन कल्याण निधि का उपयोग नहीं किया जा रहा है, तो विधायक आखिर क्या कर रहे हैं?"विकास पर नाराजगी कम होगीविधायक निधि का उपयोग न होने से कई लंबित बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। कई जगहों पर सड़कें अभी भी खराब हैं, नालियां जाम हैं और निधि की कमी के कारण महत्वपूर्ण सामुदायिक सेवाएं ठप हैं। निराश स्थानीय निवासियों ने यहां सरकार की ओर से कार्रवाई न करने की शिकायत की, खासकर इसलिए क्योंकि पैसा तो था, बस इस्तेमाल होने का इंतजार कर रहा था।पूर्वी दिल्ली के एक निवासी ने आरोप लगाया, "हमें बेहतर सड़क और नया अस्पताल देने का वादा किया गया था, लेकिन कुछ भी नहीं बदला। अब हमें पता चला कि क्यों - धनराशि कभी खर्च ही नहीं की गई!"दोष-प्रत्यारोप की राजनीति जोरों परइस विवाद ने सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को हवा दे दी है। सरकार ने देरी के लिए आंशिक रूप से प्रशासनिक स्वीकृति प्रक्रिया और COVID- 19 शटडाउन को दोषी ठहराया, लेकिन आलोचकों ने इसे दोषपूर्ण नेतृत्व और प्रतिबद्धता की कमी के रूप में देखा।सत्तारूढ़ दल के एक प्रवक्ता ने विधायकों का बचाव करते हुए कहा, "परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में कई चुनौतियाँ सामने आई हैं और कार्यान्वयन को तेज़ करने के प्रयास किए जा रहे हैं।" लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस बात की आधिकारिक जाँच की माँग की है कि इतनी बड़ी राशि क्यों अप्रयुक्त पड़ी है।आगे क्या होगा?जनता और विपक्षी दलों के दबाव में, दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया है कि निधि आवंटन में तेज़ी लाने और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कार्रवाई की जाएगी। मामले का मूल्यांकन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की गई है और आने वाले समय में कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए फंड उपयोग नीति पर चर्चा की जा रही है।अंतिम विचार:क्या दिल्ली के विधायकों को इन फंडों को खर्च करने में विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए या क्या वास्तविक नौकरशाही बाधाएं लगातार चीजों में देरी करती हैं? लेकिन दिल्लीवासी जवाब चाहते हैं और अगले कुछ महीने बताएंगे कि क्या वास्तविक कार्रवाई की जाएगी या यह एक और विवाद है जिसे दबा दिया जाएगा।Newsest आपको इस तरह की और भी ताज़ा खबरें प्रदान करेगा, अपडेट और सूचित रहें। Comments (0) Post Comment
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