ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
दिल्ली
की राजधानी में सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण ब्लास्ट ने पूरे
देश को हिला कर रख दिया। इस हमले में 12 लोगों की मौत हो गई और 24 लोग घायल हुए। जैसे
ही घटना हुई, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गईं और हमले में शामिल लोगों की खोजबीन
शुरू कर दी।
डॉ.
शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी और पूछताछ
इस
हमले से पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने डॉ. शाहीन शाहिद को गिरफ्तार किया था। वह भारत
में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की महिला कमांडर मानी जाती हैं। पूछताछ के दौरान शाहीन ने
कई गहन खुलासे किए हैं। उसने कबूल किया कि वह और उसके साथी डॉक्टर दो साल से लगातार
विस्फोटक जमा कर रहे थे और भारत में बड़े आतंकी हमले की साजिश रच रहे थे।
सुरक्षा
एजेंसियां अभी भी शाहीन से पूछताछ कर रही हैं, और माना जा रहा है कि इस दौरान और भी
कई महत्वपूर्ण सुराग और खुलासे सामने आ सकते हैं।
जैश-ए-मोहम्मद
के इशारे पर हो रही थी तैयारी
पूछताछ
में शाहीन ने बताया कि उनकी मुलाकात डॉ. उमर नबी से होती थी। उमर नबी हमेशा उत्साह
के साथ कहता था कि पूरे देश में कई आतंकी हमले करने हैं। इसके साथ मिलकर शाहीन, मुजम्मिल
और आदिल ने अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक एकत्रित किए। यह पूरी तैयारी जैश-ए-मोहम्मद
के इशारे पर की जा रही थी।
ब्लास्ट
में इस्तेमाल हुई कार और संदिग्ध
लाल
किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में सफेद i20 कार का इस्तेमाल किया गया था।
CCTV फुटेज में कार पार्किंग से निकलते समय एक काला मास्क पहना शख्स दिखाई दिया। प्रारंभिक
जांच में इस शख्स की पहचान कश्मीर का उमर नबी के रूप में हुई है।
अल-फलाह
यूनिवर्सिटी का नाम आया सामने
इस
घटना के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों
में आ गई। यूनिवर्सिटी से 7 डॉक्टरों समेत कुल 13 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनसे
पूछताछ की जा रही है। इनमें डॉक्टर, छात्र और अन्य लोग शामिल हैं।
पुलिस
सूत्रों के मुताबिक, यह यूनिवर्सिटी सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं बल्कि आतंकी नेटवर्क
का हिस्सा बन चुकी थी। यहां से जुड़े लोग विस्फोटक सामग्री और अन्य संदिग्ध गतिविधियों
में शामिल पाए गए।
पूछताछ
से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
• शाहीन शाहिद और उसके साथी दो साल से विस्फोटक
इकट्ठा कर रहे थे।
• उनकी योजना बड़े पैमाने पर आतंक फैलाने की
थी।
• उमर नबी ने इस पूरे नेटवर्क में सक्रिय भूमिका
निभाई।
• सुरक्षा एजेंसियां पूरी जांच कर रही हैं और
और भी कई खुलासों की संभावना है।
दिल्ली
ब्लास्ट ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंक अब सिर्फ सीमापार नहीं बल्कि देश के भीतर
भी संगठित हो रहा है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी का यह मामला शिक्षित और समाज में सम्मानित
व्यक्तियों के आतंक नेटवर्क में शामिल होने का उदाहरण है। सुरक्षा एजेंसियां लगातार
जांच में जुटी हैं और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां और खुलासे सामने आ सकते हैं।
जनता और सरकार के लिए यह चेतावनी है कि सतर्कता और निगरानी अब पहले से भी ज्यादा जरूरी
है।
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