ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राहत मिली है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने दोनों नेताओं को व्यक्तिगत पेशी से छूट देते हुए मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर तक के लिए टाल दी। अदालत ने यह फैसला मानवीय आधार पर लिया, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने दलील दी थी कि पंजाब में आई बाढ़ से निपटने के लिए दोनों नेता राहत कार्यों में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं।
पंजाब बाढ़ का हवाला देकर मांगी गई छूट
केजरीवाल और सिसोदिया की ओर से कोर्ट में कहा गया कि पंजाब बाढ़ की वजह से सैकड़ों गांव डूब गए हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। ऐसे हालात में उनकी पार्टी की सरकार राज्य में राहत और बचाव कार्यों में लगी है। दोनों नेताओं का तर्क था कि वे खुद भी इन प्रयासों का हिस्सा हैं और बाढ़ पीड़ितों तक भोजन, दवाइयां और आश्रय जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने में व्यस्त हैं। यही वजह है कि इस समय अदालत में उपस्थित होना संभव नहीं है।
ईडी का विरोध
हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस छूट का विरोध किया। ईडी का कहना था कि मामला गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़ा हुआ है और इस तरह बार-बार पेशी से छूट मिलना जांच और मुकदमे की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। एजेंसी ने अदालत से अपील की थी कि इस तरह के मानवीय आधार पर छूट देने से गलत परंपरा बन सकती है। फिर भी, अदालत ने फिलहाल ईडी की आपत्ति को दरकिनार करते हुए आम आदमी पार्टी के तर्क को प्राथमिकता दी।
राजनीतिक मायने
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक राहत के तौर पर आया है। पंजाब में पार्टी की सरकार है और ऐसे समय में जब वहां बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है, केजरीवाल और सिसोदिया की मौजूदगी से पार्टी को राजनीतिक तौर पर भी फायदा मिल सकता है। साथ ही, यह संदेश देने का मौका भी मिलता है कि पार्टी नेतृत्व जनता के साथ खड़ा है और संकट के समय राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रहा है।
आगे की राह
हालांकि कोर्ट का यह फैसला अस्थायी है और आने वाले महीनों में कानूनी लड़ाई और भी तेज हो सकती है। ईडी अपनी जांच जारी रखे हुए है और इस मामले में कई गवाहों व दस्तावेजों को कोर्ट में पेश करना बाकी है।
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