MCD ByPoll: भाजपा ने सांसदों को जिम्मेदारी से दूर रख मंत्रियों और विधायकों पर जताया भरोसा

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दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 12 वार्डों में होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूरी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी इस चुनाव को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार की पहली बड़ी परीक्षा मान रही है और इसी वजह से इसे पूरी गंभीरता से लड़ा जा रहा है। भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए सांसदों को औपचारिक जिम्मेदारियों से दूर रखा है, जबकि मंत्रियों और विधायकों पर पूरा भरोसा जताया गया है।

 

मंत्रियों को दो-दो वार्डों की जिम्मेदारी

 

भाजपा संगठन ने दिल्ली सरकार के सभी छह मंत्रियों को दो-दो वार्डों का प्रभारी (इंचार्ज) बनाया है। वहीं, हर विधायक और प्रदेश संगठन के पदाधिकारी को एक-एक वार्ड का संयोजक नियुक्त किया गया है। इन प्रभारी और संयोजकों को बूथ स्तर तक की निगरानी, मतदाता संपर्क और प्रचार की रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।

 

पार्टी नेताओं के अनुसार, मंत्रियों और विधायकों को सीधे जनता के बीच जाकर सरकार के कामकाज को बताने के निर्देश दिए गए हैं। इससे जनता के बीच सरकार की नीतियों और योजनाओं का प्रभाव मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।

 

सांसदों को नहीं दी गई औपचारिक जिम्मेदारी

 

इस बार भाजपा ने सांसदों को किसी वार्ड की औपचारिक जिम्मेदारी नहीं दी है। हालांकि, उन्हें अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और प्रचार में सहयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम पार्टी की नई चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को अधिक महत्व दिया गया है।

 

मोर्चों को दी गई विशेष जिम्मेदारियां

 

महिला मोर्चा को छोड़कर भाजपा के सभी मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों को एक-एक वार्ड की जिम्मेदारी दी गई है। उनसे कहा गया है कि वे अपने-अपने वर्ग — जैसे युवा, अनुसूचित जाति, व्यापारी, किसान आदि — के माध्यम से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाएं। पार्टी चाहती है कि हर मोर्चा स्थानीय स्तर पर जनता से सीधा संवाद स्थापित करे।

 

उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया तेज

 

भाजपा ने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया भी तेज कर दी है। पार्टी ने निर्देश दिया है कि प्रत्याशी के नाम जिला अध्यक्ष, स्थानीय विधायक और संबंधित सांसद की सलाह से तय किए जाएं। इन नामों को तीन नवंबर तक प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा। उसी दिन से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी, इसलिए भाजपा चाहती है कि उम्मीदवार जल्द मैदान में उतरें और प्रचार अभियान को गति दें।

 

रणनीति पर नजर रखेंगे सचदेवा और राणा

 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और संगठन महामंत्री पवन राणा चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने सभी प्रभारी और संयोजकों को निर्देश दिया है कि वे मतदाता सूची की समीक्षा, बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति और कार्यकर्ता बैठकों को नियमित रूप से संचालित करें।

 

स्थानीय चेहरों पर दांव लगाएगी पार्टी

 

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा इस बार स्थानीय चेहरों पर भरोसा जताएगी। पार्टी का मानना है कि जनता से जुड़े और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को टिकट देने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। यह उपचुनाव केवल चेहरों की परीक्षा नहीं बल्कि भाजपा के संगठनात्मक ढांचे और जनता से जुड़ाव की बड़ी परीक्षा भी होगी।

 

भाजपा का लक्ष्य है कि 30 नवंबर को होने वाले इन उपचुनावों में अधिकतम सीटें जीतकर यह साबित किया जाए कि दिल्ली की जनता रेखा गुप्ता सरकार पर भरोसा करती है और उसके कामकाज से संतुष्ट है।

 

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