ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
दिल्ली की सड़कों पर कानून के रखवाले ही सुरक्षित नहीं हैं, इसका ताजा उदाहरण 4 जून की रात संगम विहार इलाके में सामने आया।
एक आपातकालीन कॉल पर कार्रवाई करने पहुंचे सहायक उपनिरीक्षक (ASI) को महज इसलिए भीड़ ने पीट डाला क्योंकि उन्होंने धार्मिक सभा में तय समय के बाद लाउडस्पीकर बंद करने को कहा था।
यही नहीं, उनकी वर्दी फाड़ दी गई और एक भारी एम्पलीफायर से हाथ पर ऐसा वार किया गया कि कलाई की हड्डी तक टूट गई।
भीड़ के बीच घिरे ASI, अकेले ही लड़ते रहे
रात करीब 11:30 बजे की बात है। दिल्ली पुलिस को एक कॉल मिली कि संगम विहार के गली नंबर 1 में रात 10 बजे के बाद भी लाउडस्पीकर बज रहा है।
नियम साफ है, रात 10 बजे के बाद कोई लाउडस्पीकर नहीं। इस शिकायत पर ASI मौके पर पहुंचे। देखा कि चार चौक के पास करीब 200 लोग धार्मिक सभा में शामिल थे।
ASI ने आयोजकों को कहा कि नियम का पालन करें, लाउडस्पीकर बंद करें, लेकिन बात मानने की बजाय आयोजक उल्टा बहस पर उतर आए।
बात बढ़ी, बहस से बवाल बना, फिर हमला शुरू
ASI का बस इतना कहना था कि कानून का पालन कीजिए, मगर धार्मिक रंग में डूबी भीड़ ने कानून को ही धत्ता बता दिया। आयोजकों से बहस देखते ही देखते हिंसक हो गई।
जब हालात हाथ से निकलते देख ASI ने 112 पर कॉल करना चाहा, लेकिन किसी कारणवश कॉल कनेक्ट नहीं हो सकी।
ऐसे में उन्होंने तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को सूचित किया। वरिष्ठ अधिकारियों ने लाउडस्पीकर और एम्पलीफायर जब्त करने के निर्देश दिए।
एम्पलीफायर बना हथियार, कलाई की हड्डी टूटी
ASI जब कार्रवाई करते हुए एम्पलीफायर की ओर बढ़े, तभी भीड़ में से करीब 20-25 लोग उनके पीछे पड़ गए। भीड़ ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी।
इसी दौरान एक भारी एम्पलीफायर सीधा उनके हाथ पर आ गिरा, जिससे उनकी कलाई की हड्डी टूट गई। हमलावरों ने उनकी वर्दी तक फाड़ दी और मौके से भाग निकले।
ये पूरी घटना बताती है कि दिल्ली में कानून की नहीं, भावनाओं की चलती है, वो भी जब भीड़ भावुक हो जाए।
अस्पताल में भर्ती, पुलिस कर रही जांच
गंभीर रूप से घायल ASI को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल जांच में स्पष्ट हुआ कि उनके हाथ की कलाई में फ्रैक्चर है।
फिलहाल वो इलाज के बाद रिकवर कर रहे हैं। वहीं पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है और हमलावरों की पहचान के लिए CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं। मोबाइल से रिकॉर्ड हुए वीडियो और स्थानीय चश्मदीदों से पूछताछ भी जारी है।
दिल्ली में पुलिस पर हमले अब आम बात?
यह कोई पहली घटना नहीं है जब दिल्ली पुलिस के जवानों को ड्यूटी के दौरान हिंसा का शिकार बनना पड़ा हो। अप्रैल में आदर्श नगर में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब एक पुलिस जवान प्रेमपाल पर चाकू से हमला किया गया था।
हमलावर अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। सवाल यही है, क्या दिल्ली में अब कानून की बात करने वालों को ही सजा मिल रही है?
पुलिस और जनता के बीच बढ़ रही खाई
ये घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि उस खाई का प्रतीक है जो जनता और पुलिस के बीच दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। जब पुलिसकर्मी नियम लागू करने जाएं और उन्हें ही कानून का पाठ पढ़ाकर पीट दिया जाए, तो सोचिए आम आदमी की क्या हालत होगी?
पुलिस अब दोषियों की तलाश में है, लेकिन क्या आने वाले वक्त में ऐसे हमलों पर लगाम लग पाएगी? या फिर कानून का डंडा भीड़ की मर्ज़ी पर उठेगा?
आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।
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