ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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तमिलनाडु की राजनीति में विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। टीटीवी दिनाकरन की पार्टी अम्मा मक्कल मुन्नेत्र कड़गम (AMMK) ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होने का ऐलान कर दिया। दिनाकरन ने भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए साफ कहा कि अब उनकी पार्टी इस गठबंधन का हिस्सा नहीं रहेगी।
AMMK की पृष्ठभूमि
आपको बता दें, AMMK की स्थापना साल 2018 में टीटीवी दिनाकरन ने की थी। दिनाकरन पहले अन्नाद्रमुक (AIADMK) से जुड़े हुए थे, लेकिन पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई। AMMK खुद को जयललिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाली पार्टी बताती है और तमिलनाडु की जनता के हक की लड़ाई लड़ने का दावा करती रही है।
दिनाकरन का BJP पर हमला
कडलूर जिले के कट्टुमन्नारकोइल में मीडिया से बात करते हुए दिनाकरन ने कहा,
"हमारी पार्टी की शुरुआत ही कुछ लोगों के धोखे के खिलाफ हुई थी। हमने सोचा था कि दिल्ली में बैठे लोग शायद बदल जाएंगे या उन्हें बदल दिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हमने कई महीनों तक इंतजार किया, लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा नहीं मिला।"
NDA से पहले भी टूट चुका है साथ
यह पहली बार नहीं है जब तमिलनाडु में NDA से कोई सहयोगी पार्टी अलग हुई हो। हाल ही में ओ. पन्नीरसेल्वम (OPS) ने भी अपनी नई पार्टी को NDA से बाहर कर लिया था। वर्तमान में NDA की अगुवाई राज्य में अन्नाद्रमुक (AIADMK) कर रही है, जिसने अप्रैल 2024 में भाजपा के साथ फिर से गठबंधन किया था।
AMMK का चुनावी प्रदर्शन
2024 के लोकसभा चुनाव में AMMK ने NDA के साथ गठबंधन कर तमिलनाडु की दो सीटों — थेनी और तिरुचिरापल्ली — से किस्मत आजमाई। दिनाकरन खुद थेनी से चुनाव लड़े, मगर जीत हासिल नहीं कर पाए। यह परिणाम साफ संकेत था कि AMMK का जनाधार पहले जैसा मजबूत नहीं रहा और पार्टी को अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने की ज़रूरत है।
क्यों अहम है यह फैसला?
दिनाकरन का NDA से अलग होने का फैसला भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। तमिलनाडु में भाजपा अभी भी अपना आधार मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है। अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन ने उसे थोड़ी मजबूती जरूर दी है, लेकिन AMMK और ओ. पन्नीरसेल्वम जैसी पार्टियों का दूरी बनाना, गठबंधन की साख पर सवाल खड़े कर सकता है।
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