ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव का बिगुल
बजने से पहले ही राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री
मोहन यादव को बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरे के तौर पर उतारने का फैसला
किया है। मोहन यादव की हालिया पटना यात्रा और उनके बयानों से यह साफ है कि बीजेपी इस
बार आरजेडी के पारंपरिक यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी में है।
क्या है बीजेपी का 'मोहन' प्लान?
बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से हावी रहे हैं। हालिया जातिगत जनगणना
के अनुसार, बिहार में यादव समुदाय की आबादी 14% से ज्यादा है, जो किसी भी चुनाव का
रुख मोड़ने की ताकत रखती है। अब तक यह वोट बैंक मुख्य रूप से लालू प्रसाद यादव और उनकी
पार्टी आरजेडी के साथ मजबूती से जुड़ा रहा है। बीजेपी, मोहन यादव को आगे करके
यादव समुदाय को यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी में यादव समाज का भी पूरा सम्मान
है और उन्हें बड़े पद दिए जाते हैं।
मोहन यादव सिर्फ जातिगत समीकरण साधने के लिए ही नहीं, बल्कि बीजेपी के कोर हिंदुत्व एजेंडे को भी मजबूती से आगे
बढ़ा रहे हैं। अपने बयानों में वह अक्सर भगवान कृष्ण और यदुवंशियों की विरासत का जिक्र
करते हैं, साथ ही राम मंदिर जैसे मुद्दों पर विपक्ष, खासकर लालू यादव को घेरते हैं। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी
का रथ रोकने की घटना की याद दिलाकर यह बताने की कोशिश की है कि जो राम का नहीं, वह किसी काम का नहीं। यह रणनीति दिखाती है कि बीजेपी जाति
और धर्म, दोनों मुद्दों पर एक साथ आरजेडी को चुनौती देने की
तैयारी में है।
विपक्ष का पलटवार
दूसरी ओर, आरजेडी ने मोहन यादव के प्रभाव
को खारिज कर दिया है। आरजेडी नेताओं का कहना है कि बिहार की जनता अपने हक के लिए लड़ने
वाले जमीनी नेताओं पर भरोसा करती है,
न कि किसी "नॉमिनेटेड"
नेता पर। उनका तर्क है कि बीजेपी का यह कदम आरजेडी की मंडल राजनीति की सफलता का प्रमाण
है, जिसके दबाव में आकर बीजेपी को एक यादव मुख्यमंत्री
बनाना पड़ा।
2025 के लिए क्या हैं मायने?
मोहन यादव की बिहार में सक्रियता ने निश्चित रूप से 2025 के चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। बीजेपी एक तीर
से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है—एक तरफ वह यादव वोट बैंक को लुभाना चाहती है
और दूसरी तरफ हिंदुत्व के मुद्दे को धार दे रही है। यह देखना अहम होगा कि क्या मध्य
प्रदेश का यह 'यादव' चेहरा बिहार में बीजेपी
के लिए 'गेम चेंजर' साबित हो पाता है या
आरजेडी अपना किला बचाने में कामयाब रहती है।
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