ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं और सभी की नजरें नीतीश कुमार पर टिकी हुई हैं। एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक किसी भी गठबंधन को साफ बहुमत नहीं मिल रहा है। ऐसे में JDU के हाथ में सत्ता की चाबी आ गई है और नीतीश कुमार एक बार फिर किंगमेकर बन सकते हैं।
एग्जिट पोल के आंकड़े क्या कहते हैं
एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक NDA गठबंधन को 125 से 138 सीटें मिल सकती हैं जबकि INDIA गठबंधन को 101 से 125 सीटें मिलने का अनुमान है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत है।
इन आंकड़ों को देखते हुए साफ है कि किसी भी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिल रहा है। ऐसे में छोटे दलों की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। नीतीश कुमार की JDU को करीब 60 से 70 सीटें मिलने का अनुमान है जो उन्हें किंगमेकर बना देता है।
जिधर नीतीश उधर सरकार
बिहार की राजनीति में एक कहावत बहुत मशहूर है - जिधर नीतीश उधर सरकार। इस बार भी यही फॉर्मूला लागू होता दिख रहा है। नीतीश कुमार बिहार के सबसे अनुभवी और चतुर राजनेता माने जाते हैं। वे कई बार अपने राजनीतिक गठबंधन बदल चुके हैं और हर बार सत्ता में बने रहे हैं।
इस बार भी अगर NDA को बहुमत नहीं मिलता है तो नीतीश कुमार INDIA गठबंधन के साथ जा सकते हैं। या फिर वे दोनों गठबंधनों से अलग रहकर अपनी शर्तों पर सरकार बना सकते हैं। यह सब वोटों की गिनती के बाद ही स्पष्ट होगा।
BJP की स्थिति
एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को करीब 55 से 65 सीटें मिल सकती हैं। यह 2020 के चुनाव से कम है जब बीजेपी को 74 सीटें मिली थीं। इससे साफ है कि इस बार बीजेपी का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है।
बीजेपी के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि अगर उन्हें अच्छी सीटें नहीं मिलतीं तो नीतीश कुमार के साथ सौदेबाजी में उनकी स्थिति कमजोर होगी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी की मांग कर सकते हैं और बीजेपी को यह मांग माननी पड़ सकती है।
RJD और कांग्रेस का दांव
INDIA गठबंधन में RJD सबसे बड़ी पार्टी है। एग्जिट पोल के मुताबिक RJD को 50 से 60 सीटें मिल सकती हैं। तेजस्वी यादव ने इस चुनाव में जोरदार प्रचार किया था और युवाओं में उनकी काफी लोकप्रियता है।
कांग्रेस को करीब 15 से 20 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस बिहार में कमजोर पार्टी है लेकिन INDIA गठबंधन में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। अगर INDIA गठबंधन सरकार बनाना चाहता है तो उसे नीतीश कुमार का साथ चाहिए होगा।
अन्य दलों की भूमिका
बिहार में कई छोटे दल भी हैं जो इस बार चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। चिराग पासवान की LJP रामविलास को कुछ सीटें मिल सकती हैं। उपेंद्र कुशवाहा की RLSP भी कुछ सीटों पर आगे चल रही है।
ये छोटे दल भी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अगर किसी गठबंधन को बहुमत से कुछ सीटें कम मिलती हैं तो ये दल उनका साथ देकर सरकार बना सकते हैं। ऐसे में इन दलों की भी बल्ले बल्ले हो सकती है।
क्या होंगे असली नतीजे
एग्जिट पोल सिर्फ अनुमान होते हैं और कई बार ये गलत भी साबित होते हैं। असली तस्वीर तो 16 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद ही सामने आएगी। हो सकता है कि किसी एक गठबंधन को साफ बहुमत मिल जाए या फिर नतीजे एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग हों।
बिहार की जनता ने इस बार किसे वोट दिया है यह 16 नवंबर को पता चलेगा। फिलहाल सभी दलों के नेता अपने-अपने दावे कर रहे हैं। NDA का दावा है कि उन्हें साफ बहुमत मिलेगा जबकि INDIA गठबंधन का कहना है कि वे सरकार बनाएंगे।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर
नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। वे कई बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं और हर बार अलग-अलग गठबंधन के साथ सरकार बनाई है। पहले वे BJP के साथ थे, फिर RJD के साथ गए, फिर वापस BJP के साथ आए और फिर दोबारा RJD के साथ चले गए।
यह राजनीतिक समझदारी कहें या अवसरवाद, लेकिन नीतीश कुमार हमेशा सत्ता में बने रहे हैं। इस बार भी वे अपनी राजनीतिक चतुराई का इस्तेमाल करेंगे और सबसे अच्छा सौदा करने की कोशिश करेंगे।
विकास बनाम जाति का खेल
इस चुनाव में विकास और जाति दोनों मुद्दे प्रमुख रहे। NDA ने विकास की बात की जबकि INDIA गठबंधन ने जाति जनगणना और सामाजिक न्याय को मुद्दा बनाया। बिहार की जनता ने किस मुद्दे को तरजीह दी यह नतीजों से पता चलेगा।
बिहार एक पिछड़ा राज्य है और यहां विकास की बहुत जरूरत है। लेकिन साथ ही यहां जाति की राजनीति भी बहुत मजबूत है। इसलिए कोई भी पार्टी इन दोनों मुद्दों को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
14 नवंबर का इंतजार
अब सभी की नजरें 14 नवंबर पर टिकी हुई हैं जब वोटों की गिनती होगी। उस दिन असली तस्वीर सामने आएगी और पता चलेगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथ में जाएगी। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर किंगमेकर बनेंगे या कोई और चमत्कार होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!