ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल बढ़ गई है। राज्य में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर खटपट की अटकलें तेज हो गई हैं। महायुति गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। इन तीनों दलों के बीच बीते कुछ दिनों से मतभेद बढ़ने की खबरें सामने आ रही हैं, जिसके बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। इसी पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।
गठबंधन में दरार की आशंकाओं ने बढ़ाई चिंता
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अमित शाह से मुलाकात की और महायुति के अंदर बढ़ती परेशानियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। शिंदे ने शाह को बताया कि महायुति के कुछ नेता राजनीतिक माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना था कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में इस तरह की गतिविधियाँ सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत में बड़ी बाधा बन सकती हैं और इसका फायदा विपक्ष को मिल सकता है।
मीडिया की भ्रामक खबरों पर जताई नाराजगी
शिंदे ने अमित शाह को यह भी बताया कि मीडिया में लगातार भ्रामक और अनावश्यक खबरें फैलाई जा रही हैं। इन खबरों के कारण जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी खबरों से गठबंधन की छवि खराब होती है और कार्यकर्ताओं के बीच अनिश्चितता बढ़ती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर स्थिति पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो महायुति को चुनावों में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
कैबिनेट बैठक में शिवसेना मंत्रियों की अनुपस्थिति ने बढ़ाई चर्चा
इस विवाद के बीच मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें शिवसेना के अधिकांश मंत्री अनुपस्थित रहे। केवल एकनाथ शिंदे ही बैठक में मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, भाजपा द्वारा शिवसेना के नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने की कथित कोशिशों के विरोध में शिवसेना मंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए। इस घटना ने गठबंधन के भीतर बढ़ती नाराजगी को और उजागर कर दिया है।
शिंदे ने दिया स्पष्ट संदेश
कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत के दौरान एकनाथ शिंदे ने कहा था कि महायुति के सभी सहयोगी दल इस बात पर सहमत हुए हैं कि वे एक-दूसरे के नेताओं या विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिश नहीं करेंगे। यह बयान इस बात का संकेत था कि शिवसेना को भाजपा की ओर से हो रही ‘पॉलिटिकल पॉचिंग’ पर गहरी नाराजगी है।
खटपट ने बढ़ाई सत्तारूढ़ गठबंधन की चिंताएं
राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए महायुति गठबंधन के भीतर पैदा हो रही खटपट ने राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ा दी है। अगर गठबंधन के नेता आपसी मतभेदों को समय रहते दूर नहीं करते, तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है। भाजपा, शिवसेना और एनसीपी तीनों ही दल इन चुनावों को महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन आंतरिक विवाद उनकी रणनीति को कमजोर कर सकते हैं।
एकनाथ शिंदे की अमित शाह से मुलाकात इस बात का संकेत है कि महाराष्ट्र की राजनीति इस समय एक संवेदनशील दौर से गुजर रही है। गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं और यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो इसका असर आगामी चुनावों में दिखाई दे सकता है। अब देखना यह होगा कि केंद्र से मिलने के बाद राज्य की राजनीतिक स्थिति में क्या बदलाव आते हैं और महायुति अपने अंदरूनी मतभेदों को कितनी जल्दी सुलझा पाती है।
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