ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
कांग्रेस
नेता
मनीष
तिवारी
ने
हाल
ही
में
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म
X पर
एक
पोस्ट
किया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस में हालिया विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि जनरेशन X, Y और Z अब
किसी
विशेषाधिकार
को
स्वीकार
नहीं
कर
रहे
हैं।
उनके
इस
पोस्ट
ने
सोशल
मीडिया
और
राजनीतिक
मंचों
पर
नई
बहस
को
जन्म
दिया
है।
मनीष तिवारी का मुख्य तर्क
मनीष
तिवारी
ने
अपने
पोस्ट
में
लिखा
कि
जुलाई 2023 में
श्रीलंका
के
राष्ट्रपति
गोटाबाया
राजपक्षे, जुलाई 2024 में
बांग्लादेश
की
प्रधानमंत्री
शेख
हसीना, सितंबर 2025 में
नेपाल
के
केपी
शर्मा
ओली
और
फिलीपींस
के
फर्डिनेंड
मार्कोस
जूनियर
के
खिलाफ
विरोध
प्रदर्शन
ने
स्पष्ट
संदेश
दिया
है।
उनका
कहना
था
कि
सोशल
मीडिया
ट्रेंड्स
ने
वंशवादी
राजनीति
को
चुनौती
दी
है
और
यह
अब
स्वीकार्य
नहीं
है।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
इन
घटनाओं
से
यह
स्पष्ट
हो
गया
है
कि
नई
पीढ़ी
अब
किसी
का
विशेषाधिकार
नहीं
मानती।
मनीष
तिवारी
ने
अपने
पोस्ट
में
यह
भी
जोड़ा
कि
यह
सिर्फ
राजनीतिक
बहस
नहीं
है, बल्कि दक्षिण और पूर्वी एशिया के बड़े घटनाक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।
बीजेपी का जवाब और राहुल गांधी का नाम
बीजेपी
ने
मनीष
तिवारी
के
इस
पोस्ट
को
तुरंत
भुनाया।
आईटी
सेल
के
हेड
अमित
मालवीय
ने
आरोप
लगाया
कि
मनीष
तिवारी
सीधे
तौर
पर
राहुल
गांधी
पर
निशाना
साध
रहे
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
वरिष्ठ
कांग्रेस
नेता GEN-Z और
सामाजिक
विरोध
के
माध्यम
से “नेपो किड” राहुल गांधी की राजनीति को चुनौती दे रहे हैं। अमित मालवीय ने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस के अंदरूनी दिग्गज भी राहुल गांधी की राजनीति से तंग आ चुके हैं।
मनीष तिवारी ने किया खंडन
इस
जवाब
पर
मनीष
तिवारी
ने
स्पष्ट
किया
कि
उनका
पोस्ट
राहुल
गांधी
के
खिलाफ
नहीं
था।
उन्होंने
लिखा, "हे
भगवान, काश
कुछ
लोग
ज़िंदगी
में
आगे
बढ़
पाते।" उन्होंने
कहा
कि
इस
चर्चा
को
केवल
कांग्रेस
और
बीजेपी
के
बीच
घमासान
तक
सीमित
नहीं
किया
जाना
चाहिए।
उनका
तर्क
था
कि
दक्षिण
और
पूर्वी
एशिया
के
बड़े
घटनाक्रमों
पर
ध्यान
देना
जरूरी
है
और
यह
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
लिहाज
से
महत्वपूर्ण
है।
कैसे शुरू हुआ यह विवाद
यह
विवाद
राहुल
गांधी
के
हालिया
सोशल
मीडिया
पोस्ट
के
बैकग्राउंड
में
उभरा।
राहुल
गांधी
ने
संविधान
की
रक्षा
और
कथित 'वोट चोरी' को रोकने के लिए भारत के Gen-Z और
छात्रों
की
सराहना
की
थी।
इसके
बाद
बीजेपी
ने
कांग्रेस
पर
हमले
तेज
कर
दिए।
मनीष
तिवारी
का
पोस्ट
इसी
समय
आया, जिसमें उन्होंने वैश्विक घटनाओं को जोड़कर नई बहस को जन्म दिया।
बहरहाल, मनीष तिवारी का पोस्ट सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि वैश्विक परिदृश्य और नई पीढ़ी के बदलते रुझानों पर ध्यान आकर्षित करने वाला था। हालांकि, बीजेपी ने इसे राहुल गांधी से जोड़कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। इस बहस से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया अब राजनीतिक बहस का एक अहम मंच बन चुका है और जनरेशन Z की सक्रियता राजनीतिक दृष्टिकोणों को चुनौती दे रही है।
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