ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
उमर अब्दुल्ला का बयान जो विपक्ष को हिला गया
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने
पूरे विपक्षी खेमे में हंगामा मचा दिया। उन्होंने INDIA गठबंधन
को 'लाइफ सपोर्ट' पर बताया, यानी
जैसे किसी मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखा हो। यह बात सुनते ही गठबंधन के कई दलों में
बहस छिड़ गई और लोग सोचने लगे कि आखिर क्या हो रहा है विपक्ष के साथ।
उमर का यह बयान हालिया चुनावी हारों के बाद आया, जहां हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में BJP ने कमाल कर दिया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या INDIA ब्लॉक में सचमुच कोई जान ही बाकी नहीं बची, या यह सिर्फ एक चेतावनी है।
CPI ने की आत्मनिरीक्षण
की अपील, क्यों?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के महासचिव डी राजा
ने सबसे पहले खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि जब धर्मनिरपेक्ष पार्टियां एकजुट होकर
INDIA गठबंधन बनीं, तो मकसद था BJP को हराना
और देश को बचाना। लेकिन अब क्या हो रहा है? तालमेल क्यों नहीं बन पा रहा?
राजा ने साफ कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन की कोई बैठक ही नहीं हुई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अभी भी चेयरमैन हैं, लेकिन कोई मीटिंग क्यों नहीं बुलाई जा रही? CPI हर पार्टी से अपील कर रही है कि हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार चुनावों से सबक लें और खुद को जांचें। यह आवाज़ गठबंधन के अंदर से ही आ रही है, जो चिंता की बात है।
शिवसेना UBT की चिंता: बैठक
क्यों नहीं हुई?
शिवसेना (UBT) की नेता प्रियंका
चतुर्वेदी ने भी उमर के बयान का समर्थन किया। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के
बाद INDIA की कोई बड़ी बैठक नहीं हुई। बिहार चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने बैठक
की बात कही थी, लेकिन कुछ हुआ नहीं।
चतुर्वेदी का कहना है कि चाहे कश्मीर हो या बिहार, हर जगह चिंता की आवाज़ें आ रही हैं। कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को आगे आना चाहिए, एनर्जी भरनी चाहिए। लोकसभा में जो मोमेंटम बना था, वही अब कैसे वापस लाएं? सीट शेयरिंग में देरी, उम्मीदवार चुनने में लेटलतीफी, कॉमन एजेंडा न बनना और दोस्ताना मुकाबले – ये सब वजहें हैं हालिया हारों की।
RJD ने कहा- जल्दबाजी मत
करो उमर
सभी पार्टियां उमर से सहमत नहीं हैं। RJD के मनोज
झा ने इसे जल्दबाजी वाली टिप्पणी बताया। उनका कहना है कि मुश्किल वक्त में लोग
जल्दी कमेंट कर देते हैं, लेकिन व्यंग्य से कुछ नहीं होगा। सब कुछ
जनता के हाथ में है।
झा ने पलटकर सवाल किया कि अगर गठबंधन लाइफ सपोर्ट पर है, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां क्या कर रही हैं? यह सिर्फ एक पार्टी का मुद्दा नहीं, सबकी ज़िम्मेदारी है। अंगों को ज़िंदा करने के लिए सबको मेहनत करनी होगी।
समाजवादी पार्टी की असहमति, BJP का हमला
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने भी उमर से अलग राय रखी।
उन्होंने कहा कि हार से परेशानी होना स्वाभाविक है, लेकिन BJP यही
चाहती है कि विपक्ष बंट जाए। फासीवादी ताकतों से लड़ने वालों को इस जाल में नहीं
फंसना चाहिए। जीत-हार तो राजनीति का हिस्सा है।
इधर BJP ने मौके का फायदा उठाया। नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि INDIA गठबंधन तो पहले ही मर चुका है। उनके सहयोगी भी विपक्ष पर तंज कस रहे हैं। PDP विधायक वहीद-उर-रहमान ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि वे INDIA का इस्तेमाल सिर्फ वोटों के लिए करते हैं और बाहर NDA का नैरेटिव सपोर्ट करते हैं।
लोकसभा के बाद क्यों ठहर गया गठबंधन?
2024 लोकसभा चुनाव में INDIA ने अच्छा
प्रदर्शन किया था, लेकिन उसके बाद सब रुक सा गया। कोई
सेंट्रल लीडरशिप मीटिंग नहीं, कोई स्ट्रैटेजी सेशन नहीं। राज्य चुनावों
में हर जगह लोकल दिक्कतें – सीट बंटवारे पर झगड़ा, उम्मीदवार
चुनने में देरी। महाराष्ट्र और बिहार में दोस्ताना लड़ाई ने वोट कटवाए।
कांग्रेस चुप्पी साधे है, कोई जवाब नहीं दे रही। क्या खड़गे को बैठक बुलानी चाहिए? या गठबंधन को नया चेयरमैन चाहिए? ये सवाल अब हर विपक्षी नेता के मन में घूम रहे हैं।
हालिया चुनावों से क्या सीखें?
हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार –
इन तीनों जगह BJP ने बाजी मार ली। विपक्ष को सोचना होगा कि
कहां चूक हुई। एक कॉमन एजेंडा क्यों न बन सका? प्रचार
में तालमेल क्यों न दिखा? छोटी पार्टियां महसूस कर रही हैं कि बड़ी
पार्टियां उन्हें नज़रअंदाज़ कर रही हैं।
CPI और शिवसेना जैसी पार्टियां कह रही हैं कि
लोकसभा जैसा मोमेंटम दोबारा बनाना होगा। लेकिन इसके लिए मीटिंग, प्लानिंग
और ट्रस्ट बनाना ज़रूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो BJP को फायदा
ही होगा।
PDP का इल्ज़ाम: वोटबैंक
गेम?
PDP विधायक वहीद-उर-रहमान ने नेशनल कॉन्फ्रेंस
पर सीधा हमला बोला। कहा कि वे J&K में INDIA का झंडा
उठाते हैं, लेकिन बाहर NDA की बातें
सपोर्ट करते हैं। सिर्फ वोट काटने के लिए गठबंधन का इस्तेमाल। यह इल्ज़ाम उमर के
बयान को और तीखा बना रहा है।
कश्मीर से शुरू हुई यह बहस अब पूरे देश में फैल रही है। विपक्षी दल एक-दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं।
आगे क्या होगा INDIA का?
फिलहाल तस्वीर धुंधली है। अगर जल्द बैठक न हुई तो छोटी पार्टियां
नाराज़ हो सकती हैं। कांग्रेस को लीडरशिप दिखानी होगी। उमर का बयान शायद जागने का
अलार्म है।
लेकिन RJD-SP जैसी पार्टियां कह रही हैं कि जल्दबाजी न
करें। जनता देख रही है, वोट देकर फैसला करेगी। BJP हंस रही
है, विपक्ष को कमजोर बताकर। अब गेंद गठबंधन के कोर्ट में है – एकजुट होंगे
या बंट जाएंगे?
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