इतिहास रच चुके हैं पीएम मोदी, दुनियाभर में इतने सम्मान किसी और नेता को आज तक नहीं मिले!

बीते दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुंचे, तो एक ऐतिहासिक पल दर्ज हो गया। वहाँ के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स ने पीएम मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' प्रदान किया। 

इसी के साथ, पीएम मोदी ने वो मुकाम हासिल कर लिया, जिसे अब तक दुनिया का कोई भी नेता नहीं छू सका।

गौर करने वाली बात ये है कि अब पीएम मोदी दुनिया के वो पहले नेता बन चुके हैं, जिन्हें 23 देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है।

ये महज़ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि ये भारत की वैश्विक ताकत, उसकी कूटनीति और मोदी की व्यक्तिगत स्वीकार्यता की तस्दीक करता है।


किस-किस देश ने मोदी को दिया है सलाम?

2016 से लेकर अब तक जिन देशों ने मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है, उनमें शामिल हैं:


  1. सऊदी अरब

  2. अफगानिस्तान

  3. फिलिस्तीन

  4. मालदीव

  5. यूएई

  6. बहरीन

  7. अमेरिका

  8. फिजी

  9. पलाउ

  10. पापुआ न्यू गिनी

  11. मिस्र

  12. फ्रांस

  13. ग्रीस

  14. भूटान

  15. रूस

  16. नाइजीरिया

  17. डोमिनिका

  18. गुयाना

  19. बारबाडोस

  20. कुवैत

  21. साइप्रस


इसके अलावा उन्हें संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान "चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ" भी मिल चुका है।

यानी आप ये सोचिए कि पीएम मोदी को सम्मान देने वाले देश न केवल एशिया और अरब देशों से हैं, बल्कि यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका जैसे महाद्वीपों के भी हिस्से हैं। बहरहाल, ये अपने आप में एक बेहद बड़ी बात है।


क्या बाकी दुनिया पीछे रह गई है?

अब अगर बात करें बाकी विश्व नेताओं की तो अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अब तक सिर्फ दो देशों से ही नागरिक सम्मान मिला है।

वहीं रूस के व्लादिमिर पुतिन को आठ। यानि गणित साफ है, ट्रंप मोदी से 21 तो पुतिन 15 सम्मान पीछे हैं।

और ये सब तब हुआ है जब पश्चिमी मीडिया में अक्सर भारत को ‘उभरती ताकत’ या ‘डेमोक्रेसी पर सवालों वाला देश’ बताया जाता है।

मगर, वहीं दूसरी तरफ़ यही भारत आज अपने प्रधानमंत्री के ज़रिए विश्वभर में एक अद्वितीय कूटनीतिक पहचान बना रहा है।


सम्मानों से आगे क्या दिखता है?

इस बढ़ते सम्मान का सीधा मतलब है कि भारत का वैश्विक मंच पर कद। ये केवल एक नेता को दिया गया व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि ये भारत की विकास गाथा, उसकी बहुपक्षीय विदेश नीति और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को मिला अंतरराष्ट्रीय अनुमोदन है।

जहाँ पहले किसी भी भारतीय नेता को इतने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुले दिल से सम्मान नहीं मिला था, वहीं मोदी ने एक नया ट्रेंड सेट कर दिया है।

इससे भारत की छवि एक भरोसेमंद, मजबूत और निर्णायक राष्ट्र के रूप में बन रही है।


क्या ये सम्मान महज़ कूटनीति है?

सवाल ये भी उठता है कि इतने सारे सम्मान क्या सिर्फ औपचारिकता हैं या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति है?

सच्चाई ये है कि हर सम्मान, हर मुलाकात और हर बयान के पीछे मजबूत कूटनीति है। 

विदेशी संबंधों में 'सॉफ्ट पावर' का बहुत बड़ा रोल होता है, और मोदी के ये सम्मान उसी ताकत की बुनियाद हैं।


कहानी यहाँ रुकने नहीं वाली

यही नहीं, आने वाले दिनों में मोदी को और भी कई देशों से सम्मान मिल सकते हैं, क्योंकि भारत की विदेश नीति अब रिएक्टिव नहीं बल्कि प्रोएक्टिव बन चुकी है।

मौजूदा वक्त में जब दुनिया की बड़ी शक्तियां अस्थिर राजनीति और अंदरूनी उथल-पुथल से जूझ रही हैं, तब भारत अपने मजबूत नेतृत्व के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई लकीर खींच रहा है। और उस लकीर का नाम है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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