ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (21 नवंबर) को तीन दिवसीय यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए। इस बार की जी20 बैठक इसलिए खास है क्योंकि यह पहली बार अफ्रीका में आयोजित की जा रही है। शिखर सम्मेलन जोहानिसबर्ग में होगा, जहां पीएम मोदी न केवल G20 बैठक में शामिल होंगे बल्कि छठे IBSA (इंडिया-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे।
‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना पर जोर
रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे जी20 मंच पर भारत का दृष्टिकोण पूरी मजबूती से पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत का विचार—‘वसुधैव कुटुंबकम’ (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य)—आज की दुनिया के लिए बेहद जरूरी है।
यह लगातार चौथा मौका होगा जब G20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ में आयोजित हो रहा है। ग्लोबल साउथ उन देशों को कहा जाता है जो आर्थिक रूप से विकासशील या कम विकसित हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी शिखर सम्मेलन के सभी तीन मुख्य सत्रों को संबोधित करेंगे।
द्विपक्षीय मुलाकातें भी संभव
MEA ने बताया कि पीएम मोदी जोहानिसबर्ग में मौजूद कई देशों के नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं। इन बैठकों में व्यापार, तकनीक, ग्लोबल मुद्दों और रणनीतिक साझेदारी को लेकर बातचीत हो सकती है।
इसके अलावा, मोदी दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में होने वाली IBSA नेताओं की बैठक में भी शामिल होंगे। यह मंच दुनिया की तीन बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं—भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका—को एक साथ लाता है।
अमेरिका, चीन और रूस के शीर्ष नेता शामिल नहीं होंगे
इस बार का G20 शिखर सम्मेलन कई वजहों से चर्चा में है, जिनमें सबसे बड़ी वजह है—अमेरिका, चीन और रूस के शीर्ष नेताओं का इसमें शामिल न होना।
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वह इस बार शिखर सम्मेलन की औपचारिक बातचीत में हिस्सा नहीं लेगा। व्हाइट हाउस की स्पोक्सपर्सन कैरोलिन लेविट के मुताबिक, साउथ अफ्रीका में व्हाइट माइनॉरिटी के साथ कथित बुरे बर्ताव को लेकर अमेरिकी प्रशासन चिंतित है।
हालांकि US एम्बेसी का एक प्रतिनिधि सिर्फ हैंडओवर सेरेमनी में मौजूद रहेगा। साउथ अफ्रीका ने अमेरिका के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
ट्रंप प्रशासन ने बताया घरेलू राजनीति का हिस्सा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही घोषणा कर चुके थे कि जोहानिसबर्ग में होने वाली दो दिवसीय बैठक में कोई भी अमेरिकी अधिकारी हिस्सा नहीं लेगा। विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला ट्रंप की घरेलू राजनीति और ग्लोबल मंचों के प्रति उनके संदेह की वजह से लिया गया।
साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इस बॉयकॉट पर दुख जताया और कहा कि उन्हें बैठक खत्म होने पर G20 प्रेसीडेंसी एक खाली कुर्सी को सौंपनी पड़ेगी।
भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?
अफ्रीका में पहली बार हो रहा यह G20 समिट भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है—
• भारत अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी को मजबूत कर रहा है
• ग्लोबल साउथ की आवाज को प्रमुखता देने का मौका
•
बहुपक्षीय
संस्थाओं
में
सुधार
की
दिशा
में
भारत
की
भूमिका
अहम
• उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुद्दों पर भारत नेतृत्व कर सकता है
जोहानिसबर्ग में होने वाला यह शिखर सम्मेलन दुनिया के बदलते समीकरणों के बीच एक बड़ी कूटनीतिक परीक्षा माना जा रहा है, जिसमें भारत का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहेगा।
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