ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
कांग्रेस
सांसद
और
लोकसभा
में
विपक्ष
के
नेता
राहुल
गांधी
इस
समय
कोलंबिया
की
यात्रा
पर
हैं।
यहां
उन्होंने
मेडेलिन
स्थित
ईआईए
विश्वविद्यालय
में
आयोजित
संवाद
कार्यक्रम
में
भाग
लिया।
इस
दौरान
राहुल
गांधी
ने
भाजपा
और
आरएसएस
पर
निशाना
साधते
हुए
उनकी
विचारधारा
को
कायरतापूर्ण
बताया
और
कहा
कि
भारत
में
लोकतंत्र
खतरे
में
है।
उनके
बयानों
ने
तुरंत
राजनीतिक
हलचल
पैदा
कर
दी
और
भाजपा
ने
उनकी
आलोचना
की।
राहुल गांधी के बयान:
लोकतंत्र पर हमला
राहुल
गांधी
ने
कोलंबिया
में
कहा
कि
वर्तमान
सरकार
की
नीतियों
के
कारण
भारत
में
लोकतंत्र
पर
हमला
हो
रहा
है।
उनके
मुताबिक, लोकतांत्रिक
संस्थाओं
पर
योजनाबद्ध
हमले
किए
जा
रहे
हैं
और
समाज
के
कुछ
वर्गों
को
दबाया
जा
रहा
है।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
भारत
के
लोग
चीन
जैसे
तानाशाही
सिस्टम
को
बर्दाश्त
नहीं
करेंगे।
राहुल
ने
जोर
देकर
कहा
कि
लोगों
की
आजादी
और
अधिकारों
पर
कोई
समझौता
नहीं
किया
जा
सकता।
भाजपा और आरएसएस पर आरोप
राहुल
गांधी
ने
सीधे
तौर
पर
भाजपा
और
आरएसएस
को
अपनी
विचारधारा
कायरतापूर्ण
होने
का
दोषी
ठहराया।
उन्होंने
उदाहरण
देते
हुए
कहा
कि
विदेश
मंत्री
ने
कभी
कहा
था
कि "चीन
हमसे
कहीं
ज्यादा
शक्तिशाली
है, मैं उनसे कैसे लड़ सकता हूं?" राहुल
के
अनुसार, ऐसे
बयान
यह
दिखाते
हैं
कि
इस
विचारधारा
के
मूल
में
कायरता
और
डर
है।
उन्होंने
आरोप
लगाया
कि
सत्ता
में
रहते
हुए
ये
संगठन
नागरिकों
और
लोकतांत्रिक
संस्थाओं
को
कमजोर
करने
का
प्रयास
कर
रहे
हैं।
भाजपा की प्रतिक्रिया
राहुल
गांधी
के
बयानों
पर
भाजपा
ने
तीखी
प्रतिक्रिया
दी।
भाजपा
नेता
गौरव
भाटिया
ने
कहा
कि
राहुल
गांधी
विदेश
में
भारत
को
बदनाम
करने
का
काम
कर
रहे
हैं।
उन्होंने
याद
दिलाया
कि
राहुल
गांधी
पहले
भी
लंदन
और
अमेरिका
में
भारत
के
लोकतंत्र
और
संस्थाओं
का
अपमान
कर
चुके
हैं।
भाटिया
ने
कहा,
"आप
सत्ता
खो
चुके
हैं।
आलोचना
करना
आपका
अधिकार
हो
सकता
है, लेकिन अपनी राजनीति के लिए भारत माता को बदनाम करने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं?" भाजपा
का
कहना
है
कि
राहुल
गांधी
का
यह
रवैया
देशभक्ति
के
सिद्धांतों
के
विपरीत
है।
विवाद का राजनीतिक असर
राहुल
गांधी
के
बयान
ने
राजनीतिक
गलियारों
में
हलचल
मचा
दी
है।
कांग्रेस
समर्थक
इसे
सरकार
के
लोकतंत्र
विरोधी
कदमों
पर
ध्यान
खींचने
वाला
बयान
मान
रहे
हैं, जबकि भाजपा इसे देश की छवि को विदेशों में धूमिल करने वाला कदम बता रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बयान का असर आने वाले दिनों में विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति पर भी पड़ सकता है।
बहरहाल, राहुल गांधी के कोलंबिया बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक नेता विदेशों में किस हद तक अपनी आलोचना कर सकते हैं। वहीं, भाजपा ने इसे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया है। इस बहस के केंद्र में लोकतंत्र, स्वतंत्रता और देश की अंतरराष्ट्रीय छवि हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी के बयानों पर भारत के भीतर और विदेशों में क्या राजनीतिक और कूटनीतिक असर पड़ता है।
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