ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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सपा
नेता और रामपुर के कद्दावर नेता आजम खां को पहले से अंदेशा था कि कोर्ट का फैसला उनके
खिलाफ आ सकता है। इसी वजह से वे घर से ही दो बिस्किट के पैकेट लेकर निकले थे, ताकि
अचानक जेल भेजे जाने की स्थिति में उन्हें दिक्कत न हो। जब पुलिस उन्हें जेल ले जाने
लगी, तो एक हाथ में चश्मे का केस और दूसरे हाथ में बिस्किट के ये पैकेट नजर आए।
जेल
के गेट पर पहुंचने से पहले आजम खां ने अपने बड़े बेटे को गले लगाया। अब्दुल्ला आजम
भी भाई के गले मिले। पिता और बेटों के इस भावुक पल को देखकर वहां मौजूद लोग भी भावुक
हो गए। पुलिस दोनों को कड़ी सुरक्षा में कोर्ट से करीब 400 मीटर दूर स्थित रामपुर जेल
लेकर गई।
कोर्ट
का फैसला और जेल भेजने की कार्रवाई
दो
पैन कार्ड मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम दोनों
को सात-सात साल की सजा और 50-50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। फैसला सुनते
ही दोनों कुछ क्षणों के लिए अवाक रह गए।
इसके
बाद पुलिस ने भीड़ से बचाने के लिए उन्हें मुख्य गेट की बजाय दूसरे गेट से बाहर निकाला
और तुरंत जेल भेज दिया। अदालत ने कहा कि दोनों ने सुनियोजित तरीके से फर्जी दस्तावेज
तैयार करवाए और इसका चुनावी प्रक्रिया में गलत इस्तेमाल किया।
क्या
है पूरा मामला?
यह
मामला दिसंबर 2019 में बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर से जुड़ा
है। उनके अनुसार:
• अब्दुल्ला आजम को पहले से जारी पैन कार्ड
(DFOPK6164) में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज थी, जो उनके हाईस्कूल प्रमाणपत्र
के अनुसार सही थी।
• लेकिन जब उन्होंने वर्ष 2017 में स्वार विधानसभा
से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा, तब उन्होंने बैंक पासबुक में पैन नंबर में परिवर्तन
कर दिया।
• आरोप था कि इस समय वे जो नया पैन दिखा रहे
थे, वह एक्टिवेट ही नहीं था।
• शिकायतकर्ता के अनुसार यह बदलाव इसलिए किया
गया ताकि आयु संबंधी अयोग्यता को छिपाया जा सके और चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक आयु पूर्ण
दिखे।
जांच
में सामने आया कि फर्जी दस्तावेज़ बनवाने और प्रस्तुत करने की इस प्रक्रिया में आजम
खां और उनके बेटे ने मिलकर षड्यंत्र रचा था।
सात
साल की सजा क्यों महत्वपूर्ण?
अगर
सजा पांच साल तक होती, तो आजम खां को जमानत पर छोड़ा जा सकता था, क्योंकि वे पहले ही
कई मामलों में यह अवधि काट चुके हैं। लेकिन इस मामले में सात साल की सजा होने के कारण
उन्हें जेल जाना पड़ा।
यह
मामला आजम खां पर दर्ज 104 मुकदमों में से एक है।
• अब तक 11 मामलों में फैसला आ चुका है
• 6 में सजा
• 5 में बरी
यह
सातवां मामला है जिसमें उन्हें सजा सुनाई गई है।
एक
साथ रहने की गुज़ारिश
आजम
खां और अब्दुल्ला दोनों ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि उन्हें ए-श्रेणी सुरक्षा वाली
जेल में एक साथ रखा जाए। उनके वकीलों ने कहा कि आजम खां की सेहत ठीक नहीं रहती, इसलिए
दोनों का एक स्थान पर रहना जरूरी है। अदालत अब इस प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुनवाई
करेगी।
पहले
भी मिला है फर्जी दस्तावेज़ मामले में दंड
इससे
पहले अक्टूबर 2023 में अब्दुल्ला आजम, आजम खां और उनकी मां डॉ. तजीन फात्मा को दो जन्म
प्रमाणपत्र मामले में भी सात-सात साल की सजा मिली थी। हालांकि उस मामले में उन्हें
हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
आजम
खां और उनके बेटे के खिलाफ आए इस फैसले ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा
दी है। अदालत ने साफ संकेत दिए हैं कि दस्तावेज़ों में हेरफेर और चुनावी प्रक्रिया
में गलत जानकारी देना गंभीर अपराध है। अब देखना यह होगा कि मंगलवार को अदालत उनकी ए-श्रेणी
सुरक्षा और साथ रखने की मांग पर क्या फैसला देती है।
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