ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर शशि थरूर की टिप्पणी को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहे राजनीतिक विवाद के बाद अब कांग्रेस सांसद का एक नया बयान सामने आया है। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण पर उनके द्वारा किए गए न्यूट्रल पोस्ट पर भी उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने साफ कहा कि भारत की राजनीति इतनी विचारधारा-प्रधान हो चुकी है कि सामान्य टिप्पणियों को भी राजनीतिक चश्मे से देखा जाने लगा है।
“मेरे न्यूट्रल पोस्ट पर भी ऐसा हमला क्यों?”
दुबई में ‘अमृता न्यूज’ के एक इवेंट में बोलते हुए शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने PM मोदी के भाषण की सिर्फ जानकारी साझा की थी, लेकिन इसे भी “PM की तारीफ” के रूप में दिखाया गया।
थरूर ने कहा—“मैंने भाषण का वर्णन किया था, एक भी शब्द तारीफ का नहीं था… लेकिन देश में माहौल ऐसा बन गया है कि न्यूट्रल बात भी गलत समझ ली जाती है।” उनका कहना था कि आज की राजनीति लोगों को सिर्फ विचारधारा की शुद्धता पर खड़ा देखना चाहती है। ऐसे में कोई भी विपक्षी नेता यदि सरकार की किसी बात को तटस्थ रूप से भी बताए, तो उसे आलोचना और हमले झेलने पड़ते हैं।
“विचारधारा टैग से आगे बढ़ना जरूरी”
थरूर ने कहा कि देश के हित में राजनीतिक दलों को विचारधारा से ऊपर उठकर भी काम करने की जरूरत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा— “आपने राज्य में सरकार बनाई है, और केंद्र ने देश में। अगर दोनों एक-दूसरे के साथ सहयोग नहीं करेंगे, तो विकास कैसे होगा?”
कांग्रेस नेता ने समझाया कि विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन जनता के हित के लिए संवाद और सहयोग हमेशा जरूरी है।
“रूलिंग पार्टी से सहमत नहीं, लेकिन वे चुने गए हैं—उनसे बात करनी ही होगी”
थरूर ने स्पष्ट कहा कि वह बीजेपी की राजनीतिक सोच से सहमत नहीं हैं, लेकिन लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है। उन्होंने कहा— “वे रूलिंग पार्टी हैं। जनता ने उन्हें चुना है। अगर कोई योजना मेरे राज्य के लिए फायदेमंद है, तो मैं जरूर संवाद करूंगा। यह मेरे लोगों के हित में है।”
उन्होंने केरल से आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र के साथ संवाद और सहयोग राज्य के विकास के लिए हमेशा सकारात्मक कदम ही होता है।
थरूर की टिप्पणी पर BJP का तंज
शशि थरूर ने हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और न्यूयॉर्क के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी की सौहार्दपूर्ण मुलाकात को लोकतंत्र का आदर्श उदाहरण बताया था। उन्होंने कहा था कि भारत में भी ऐसा राजनीतिक व्यवहार देखने की जरूरत है।
उनके इस बयान पर BJP ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उम्मीद है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी इस संदेश को समझेंगे। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने थरूर की तारीफ भी की।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
18 नवंबर को शशि थरूर ने PM मोदी के एक कार्यक्रम में दिए भाषण पर कुछ सकारात्मक टिप्पणियाँ की थीं। कांग्रेस के ही कुछ नेताओं, विशेषकर सुप्रिया श्रीनेत, ने इसे तुरंत खारिज कर दिया और कहा कि भाषण में तारीफ योग्य कुछ भी नहीं था। इसके बाद से पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर इस मुद्दे पर खूब बहस होती रही।
शशि थरूर के नए बयान से यह साफ है कि वह राजनीति में संवाद और सहयोग की संस्कृति को मजबूत करना चाहते हैं। उनकी बातों से यह भी झलकता है कि देश की राजनीति इस समय इतनी ध्रुवीकृत हो चुकी है कि साधारण टिप्पणियाँ भी विवाद का कारण बन रही हैं। थरूर ने विपक्ष को सलाह दी है कि मतभेद के बावजूद लोकतांत्रिक ढांचे में सहयोग जारी रखना ही जनता और देश दोनों के हित में है।
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