SIR के दूसरे चरण पर चुनाव आयोग की बड़ी घोषणा, कांग्रेस ने लगाया 'वोट चोरी' का आरोप

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चुनाव आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दूसरे चरण की औपचारिक घोषणा कर दी। आयोग के अनुसार, अब बिहार के बाद 12 और राज्यों में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया जाएगा। यह प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू होकर 7 फरवरी तक चलेगी।

 

12 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में होगा SIR

 चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार SIR का दूसरा चरण 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा। इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना, नए वोटर जोड़ना और गलत या डुप्लीकेट नामों को हटाना है। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए की जा रही है, ताकि आगामी चुनावों में सटीक मतदाता सूची का उपयोग हो सके।

 हालांकि, चुनाव आयोग की इस घोषणा के तुरंत बाद राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इस फैसले को "वोट चोरी की साजिश" बताते हुए तीखा हमला बोला है।

 

कांग्रेस का आरोप – SIR के नाम पर हो रही है 'वोट चोरी'

 कांग्रेस ने अपने एक्स (X) हैंडल पर पोस्ट करते हुए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। पार्टी ने कहा किचुनाव आयोग अब 12 राज्यों मेंवोट चोरीका खेल खेलने जा रहा है। बिहार में SIR के दौरान करीब 69 लाख वोट काटे गए, और अब वही प्रक्रिया बाकी राज्यों में दोहराई जा रही है।

 कांग्रेस ने आरोप लगाया कियह कदम नरेंद्र मोदी सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है।पार्टी ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में हुए SIR पर चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी, जिसके बावजूद आयोग अब उसी प्रक्रिया को दोहराने जा रहा है।

 

कांग्रेस का बयानलोकतंत्र के खिलाफ षड्यंत्र

 कांग्रेस ने अपने बयान में कहा कि देशभर मेंवोट चोरी के अलग-अलग तरीकेअपनाए जा रहे हैं। कहीं वोटर सूची से नाम हटाए जा रहे हैं, तो कहीं साजिशन नए नाम जोड़े जा रहे हैं। पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग को इन मामलों की जांच करनी चाहिए थी, लेकिन वह खुद इसखेलमें शामिल हो गया है।

 कांग्रेस के मुताबिक, “12 राज्यों में होने वाला SIR लोकतंत्र के खिलाफ एक साजिश है। यह जनता के मतदान के अधिकार को कमजोर करने का षड्यंत्र है।

 

तीन राज्यों में विरोध की लहरबंगाल, तमिलनाडु और केरल में आंदोलन

 

SIR की घोषणा के बाद विपक्षी शासित राज्यों में विरोध बढ़ने लगा है।

 >पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने कहा है कि 2 नवंबर को कोलकाता में SIR के खिलाफ एक विशाल रैली निकाली जाएगी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इसेसाजिशों का जालकरार दिया है।

>केरल में भी वाम मोर्चा सरकार ने SIR के विरोध में बयान दिया है और कहा है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया मेंहस्तक्षेपहै।

 

चुनाव आयोग का पक्ष

 हालांकि, चुनाव आयोग ने साफ किया है कि SIR का उद्देश्यवोट काटना नहीं बल्कि मतदाता सूची को सही और अद्यतन बनानाहै। आयोग का कहना है कि हर राज्य में राजनीतिक दलों को प्रक्रिया की निगरानी का अवसर दिया जाएगा ताकि कोई गड़बड़ी हो।

 बहरहाल, SIR के दूसरे चरण की घोषणा के साथ ही देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। जहां एक ओर चुनाव आयोग इसे पारदर्शी प्रक्रिया बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला मान रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में SIR को लेकर विपक्ष का आंदोलन कितना प्रभावी साबित होता है।

 

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