ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
गाजियाबाद एक बार फिर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हो गया है। कभी पहले तो कभी टॉप 10 में रहने वाला यह शहर अब लगातार खतरनाक स्तर के प्रदूषण से जूझ रहा है। रविवार को गाजियाबाद का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 345 दर्ज किया गया, जो सामान्य स्तर से पांच गुना अधिक है। शहर के कई इलाकों में हालात और भी खराब हैं — वसुंधरा में AQI 411, लोनी में 369, संजयनगर में 330 और इंदिरापुरम में 310 तक पहुंच गया।
जहरीली हवा
से बढ़ा
घरेलू खर्च
प्रदूषण का असर सिर्फ सेहत पर ही नहीं, बल्कि लोगों की जेब पर भी पड़ रहा है। सांस, त्वचा और आंखों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को महंगे इलाज, दवाइयों, एयर प्यूरीफायर और बिजली बिल का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। हालिया सर्वे में पाया गया कि एनसीआर के करीब 33% परिवारों का मासिक खर्च बढ़ गया है क्योंकि वे प्रदूषण से बचाव के लिए एयर प्यूरीफायर और डॉक्टर की फीस पर अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं। लोग इसे ‘स्मॉग टैक्स’ कहने लगे हैं।
सरकारी कोशिशें
नाकाम
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि नगर निगम ने प्रदूषण घटाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजे नगण्य हैं। पिछले दो दिनों से लगातार AQI 300 के पार बना हुआ है। हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 कण सांस और हृदय संबंधी बीमारियों को तेजी से बढ़ा रहे हैं। शहर में जगह-जगह जल रहे कूड़े और उड़ती निर्माण धूल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। वहीं, आसपास के इलाकों में पराली जलाने की समस्या भी स्थिति को और खराब कर रही है।
केस स्टडी-1:
बुजुर्ग मां
के लिए
खरीदा महंगा
एयर प्यूरीफायर
लाजपत नगर निवासी एमबी करुण बताते हैं, “मेरी 75 वर्षीय मां के घुटनों का हाल ही में ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टर ने संक्रमण से बचने की सलाह दी, इसलिए 15 हजार रुपये का एयर प्यूरीफायर खरीदा। अब 24 घंटे चलाने से बिजली बिल भी बढ़ेगा। अगर हालात ऐसे ही रहे तो मां को हैदराबाद भेजने पर विचार कर रहा हूं।”
केस स्टडी-2:
पूरा परिवार
झेल रहा
प्रदूषण की
मार
राजनगर एक्सटेंशन निवासी विक्रांत शर्मा कहते हैं, “आंखों में जलन और ड्राइनेस की समस्या बनी रहती है। 10 साल के बेटे को एलर्जी है और पिताजी हार्ट पेशेंट हैं। घर में तीन एयर प्यूरीफायर चलाने पड़ रहे हैं। दवाओं पर इतना खर्च हो रहा है कि अब इस शहर में रहना मुश्किल हो गया है।”
प्रदूषण से
कमजोर हो
रहीं हड्डियां
जहरीली हवा का असर अब सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है। एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन बताते हैं, “प्रदूषण के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियों को पोषण नहीं मिल पाता। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।” अस्पतालों में सांस और शरीर दर्द के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
प्रशासन अब
बना रहा
नई योजना
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के रीजनल ऑफिसर अंकित कुमार ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में हुई बैठक के बाद गाजियाबाद समेत आसपास के जिलों के लिए एक नई कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें सभी विभागों की जवाबदेही तय की जाएगी और नियमित मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
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