गाजियाबाद पुलिस ने देशभर में चल रहे कफ सिरप तस्करी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। क्राइम ब्रांच की टीम ने मेरठ रोड स्थित मछली गोदाम से 4 ट्रक कफ सिरप जब्त किए, जिनकी कीमत करीब 3.40 करोड़ रुपए बताई जा रही है। पुलिस ने इस दौरान 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि तीन मुख्य आरोपी अब भी फरार हैं। इस कार्रवाई में 20 लाख रुपए नकद, फर्जी मुहरें, दस्तावेज और लैपटॉप भी बरामद हुए हैं। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यह रैकेट दुबई से ऑपरेट होता था, और इसका मास्टरमाइंड मेरठ निवासी आसिफ है, जो विदेश में बैठकर पूरे नेटवर्क को नियंत्रित करता था। कैसे चल रहा था रैकेट? पुलिस जांच के मुताबिक, आरोपी दिल्ली-एनसीआर में गोदाम किराए पर लेकर वहां कफ सिरप का स्टॉक रखते थे। फिर ट्रकों में माल छिपाकर बिहार, झारखंड और बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाता था। भारत में इस सिरप की एक शीशी 210 रुपए में बिकती थी, जबकि बांग्लादेश में इसकी कीमत 600 से 1000 रुपए तक पहुंच जाती थी। यही भारी मुनाफा इस गिरोह को तस्करी के लिए प्रेरित करता था। पुलिस का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में यह गिरोह 550 से अधिक ट्रकों में नशीला सिरप भेज चुका है। पुलिस की जांच से खुला पूरा रैकेट इस नेटवर्क का पर्दाफाश तब हुआ जब 18 अक्टूबर को सोनभद्र पुलिस ने दो ट्रक कफ सिरप के साथ पकड़े थे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह सिरप गाजियाबाद के गोदामों से सप्लाई होता है। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ ने तत्काल एडिशनल डीसीपी पीयूष सिंह और क्राइम ब्रांच प्रभारी अनिल राजपूत को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच के दौरान झारखंड में एक और ट्रक पकड़ा गया, जिससे गोदाम का सुराग मिला। इसके बाद मेरठ रोड स्थित मछली गोदाम में छापा मारा गया, जहां से चार ट्रक सील किए गए। तलाशी में पुलिस को 1,57,350 शीशियां मिलीं — जिनमें 850 पेटी Eskuf और 300 पेटी Phensedyl ब्रांड की थीं। कुल मात्रा लगभग 15,735 लीटर पाई गई। एक शीशी की कीमत औसतन 210 रुपए के हिसाब से यह खेप 3.40 करोड़ रुपए से अधिक की है। नशे में बदल गया खांसी का सिरप पुलिस के अनुसार, बरामद कफ सिरप में कोडीन फॉस्फेट (Codeine Phosphate) नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है। यह अफीम से तैयार किया जाता है और शरीर में जाकर ओपियोइड (Opioid) की तरह असर करता है। डॉक्टरों का कहना है कि कोडीन की सीमित मात्रा खांसी की दवा के रूप में उपयोगी है, लेकिन ज्यादा सेवन करने पर यह नशे की लत लगा देता है। यही वजह है कि इस सिरप की बांग्लादेश और शराबबंदी वाले राज्यों में भारी मांग रहती है। गाजियाबाद के एक फॉर्माकोलॉजिस्ट ने बताया कि “कोडीन दिमाग के रिवॉर्ड सेंटर को प्रभावित करता है। इसका नियमित सेवन व्यक्ति को इसकी लत लगा देता है। कई जगह यह सिरप युवाओं में सॉफ्ट ड्रग के रूप में इस्तेमाल होने लगा है।” बच्चों के लिए बेहद खतरनाक डॉक्टरों के अनुसार, अगर बच्चे या किशोर इस सिरप का सेवन करते हैं तो उन्हें उनींदापन, सांस की गति धीमी होना, हार्ट रेट कम होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक इसके उपयोग से लीवर और ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है। यही कारण है कि कोडीन युक्त दवाओं को Schedule-H1 श्रेणी में रखा गया है, जिसे बिना डॉक्टर की पर्ची बेचना कानूनी अपराध है। दुबई से ऑपरेट हो रहा था पूरा नेटवर्क इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड आसिफ (मेरठ निवासी) बताया जा रहा है, जो दुबई से नेटवर्क संचालित करता था। उसके साथ मेरठ का वसीम और वाराणसी का शुभम जायसवाल भी शामिल हैं। भारत में इसकी ग्राउंड टीम सौरव त्यागी, संतोष भड़ाना, शादाब और अन्य आरोपी थे। सौरव त्यागी के पास RS फार्मा (इंदिरापुरम) का लाइसेंस है, जिसके जरिए वह फर्जी फर्मों — वान्या इंटरप्राइजेज, लेबोरेट फार्मा और एबॉट फार्मा के नाम से सिरप खरीदता था। गोदाम में इन सिरप को स्टोर कर झारखंड, बंगाल और असम तक भेजा जाता था। हर बार ट्रकों में माल छिपाने का तरीका बदल दिया जाता था ताकि पकड़ा न जा सके। पुलिस अब अंतरराष्ट्रीय कड़ी तक पहुंचेगी एडिशनल डीसीपी पीयूष सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में कई नए नाम सामने आए हैं। अब एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम फरार आरोपियों और विदेशी नेटवर्क की जांच में जुटी है। Comments (0) Post Comment
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