ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की मधुबन बापूधाम योजना से प्रभावित किसानों का लगभग 15 साल लंबा इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। जीडीए 27 और 28 नवंबर को हिंदी भवन में लॉटरी ड्रॉ के जरिए किसानों को उनकी अधिग्रहीत जमीन के बदले नियमानुसार भूखंड आवंटित करेगा।
योजना की शुरुआत और जमीन
अधिग्रहण
मधुबन बापूधाम आवासीय योजना
वर्ष 2004 में लॉन्च की गई थी, जिसमें करीब छह गांवों की लगभग 1,234 एकड़ जमीन शामिल थी। शुरुआती चरण में करीब 800 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया, बाद में
153 एकड़ और जोड़कर उसे भी विकसित कर दिया गया,
जबकि शेष 281 एकड़
के किसान मुआवजा और शर्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले के बाद 281 एकड़ वाले किसानों को नए भू‑अधिग्रहण
कानून के तहत मुआवजा दिया गया और उनकी जमीन भी योजना में शामिल की गई।
15 साल का इंतजार कैसे खत्म
होगा?
किसान लंबे समय से मांग
कर रहे थे कि सिर्फ मुआवजे से बात पूरी नहीं होती, उन्हें विकसित जमीन की एवज में प्लॉट भी दिए जाएं। जीडीए की बोर्ड बैठक और बाद
की तैयारियों के बाद अब 27–28 नवंबर को 647 किसानों को लॉटरी ड्रॉ के जरिए भूखंड मिलेंगे,
जिससे वे नक्शा पास कराकर अपना निर्माण कार्य शुरू कर
सकेंगे। अधिकारियों के मुताबिक यह कदम किसानों की पुरानी शिकायतों का समाधान करेगा
और योजना के विकास को भी गति देगा।
दो दिन में होगा ड्रॉ,
ऐसे बंटेंगे प्लॉट
हिंदी भवन में होने वाला
ड्रॉ दो चरणों में होगा।
27 नवंबर को 40,
60, 90 और 150 वर्गमीटर के छोटे भूखंडों का ड्रॉ निकाला जाएगा।
28 नवंबर को 200 वर्गमीटर से 2000 वर्गमीटर तक के बड़े भूखंडों की लॉटरी निकाले जाने की योजना है।
ड्रॉ के अनुसार जिस किसान
का नाम जिस प्लॉट पर आएगा, वही प्लॉट उसे अलॉट होगा
और बाद में जीडीए की वेबसाइट पर ड्रॉ रिजल्ट भी जारी किए जाएंगे।
800 एकड़ और 281 एकड़ वाले किसानों में अंतर
योजना में दो तरह के किसानों
को अलग‑अलग हिस्सेदारी दी जा रही
है।
800 एकड़ वाले किसानों को विकसित
जमीन का लगभग 6 प्रतिशत हिस्सा भूखंड के
रूप में दिया जाएगा।
281 एकड़ वाले किसानों को विकसित
जमीन का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा देने पर
सहमति बन चुकी है और उनसे लिखित सहमति भी ली गई है।
इस फार्मूले से पुराने और
नए दोनों बैच के किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है, हालांकि कुछ किसान अभी भी मुआवजा और हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
जीडीए का स्टैंड और आगे
की चुनौतियां
जीडीए अधिकारियों का कहना
है कि मधुबन बापूधाम योजना को तेजी से विकसित किया जा रहा है और किसानों की समस्याओं
को प्राथमिकता पर सुलझाया जा रहा है। ड्रॉ के बाद प्लॉट अलॉटमेंट, मैप पासिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर
डेवलपमेंट और कब्जा देने जैसी प्रक्रियाएं अगला चरण होंगी, जिन पर किसानों की नजर रहेगी। अगर ये सब समय पर होता है, तो एक बड़े वर्ग को 15 साल बाद अपना हक मिलता दिखाई देगा।
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