ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
गाजियाबाद के मसूरी गांव की शांत रात 4 दिसंबर 2025 को अचानक दहल गई। रात के करीब 2 बजे का वक्त था। पूरा गांव सो रहा था। तभी एक जोरदार धमाका हुआ जिसकी गूंज 2 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। आसमान में चिंगारी उड़ीं, धुआं छा गया। एक किराए के साधारण से मकान की पूरी छत उड़ गई। अंदर अवैध पटाखे बनाए जा रहे थे। धमाके से जले हुए बारूद के टुकड़े चारों तरफ बिखर गए। ग्रामीण घरों से बाहर दौड़े। चीखें गूंजने लगीं। मसूरी जैसे छोटे गांव में ये पहला ऐसा हादसा नहीं लेकिन इतना भयानक जरूर था। घायल दानिश नाम के युवक को तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल ले जाया गया। पूरा गांव सदमे में।
हादसे का
पूरा चेन ऑफ इवेंट्स, मिनट टू मिनट
मकान का
मालिक रामेश्वर एक किसान था। उसने मकान दानिश को 5 हजार रुपये महीने किराए पर दिया था। दानिश बाहर से
आया था, बताया था छोटा सा कारोबार करेगा। लेकिन अंदर का राज
कुछ और था। कमरों में बारूद के ढेर, मिक्सिंग मशीनें,
रंगीन पाउडर के ड्रम। रात को अकेला काम कर रहा था। अचानक किसी
चिंगारी से आग लग गई। बारूद फटा, पहला ब्लास्ट। फिर चेन
रिएक्शन से पूरा मकान हिल गया। छत का IRN 50 फीट दूर जा
गिरी। दीवारें ढह गईं। दानिश के कपड़े, हाथ-पैर झुलस गए। वो
चीखता रहा लेकिन मदद देर से पहुंची। 112 पर कॉल्स की बौछार। ACP
लिपि नगायच खुद साइट पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई लेकिन
नुकसान हो चुका। दानिश को GTB हॉस्पिटल शिफ्ट किया जहां वो
खतरे से बाहर है। मकान मालिक रामेश्वर फरार। पुलिस ने BNS धारा
286 (खतरनाक काम), 336 (लापरवाही) में
मुकदमा दर्ज किया। मसूरी थाने की टीम ने साइट सील की।
दानिश का
बैकग्राउंड खंगाला जा रहा। पड़ोसी बताते हैं वो 6 महीने पहले आया। रात-दिन काम करता। कभी धुआं निकलता
देखा लेकिन शक न किया। गांव में पहले भी छोटे धमाके हुए लेकिन ये सबसे बड़ा।
फॉरेंसिक टीम ने सैंपल लिए। बारूद की क्वालिटी चेक होगी। मकान के मलबे से 50
किलो कच्चा बारूद बरामद। मशीनें चाइना मेड लग रही। पुलिस को शक है
बड़ा नेटवर्क।
गाजियाबाद-NCR में अवैध पटाखा ट्रेंड,
आंकड़े चौंकाने वाले
उत्तर
प्रदेश में दिवाली खत्म होने के बाद भी अवैध पटाखा धंधा फल-फूल रहा। 2025 में अब तक 150 से ज्यादा ब्लास्ट। गाजियाबाद सबसे बड़ा हॉटस्पॉट - 35 हादसे। मसूरी, मुरादनगर, लोनी
जैसे गांवों में किराए के मकानों में फैक्ट्रियां। सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से
कच्चा माल आता। ट्रेनों में छिपाकर। दिल्ली बॉर्डर से बिक्री। एक ब्लास्ट में औसत 2-3
लाख का नुकसान। 20% जानलेवा। DM ने सख्ती का दावा लेकिन अमल कम। पुलिस की 10 स्पेशल
टीमें बनाईं लेकिन नेटवर्क बाहर का।
पटाखा
माफिया कैसे काम करता, इनसाइड स्टोरी
ये
माफिया बिहार, राजस्थान
से आते। कच्चा बारूद सस्ता लाते - 100 रुपये किलो। बाजार में
500 बिकता। छोटे गांव चुनते क्योंकि पुलिस कम। किराए पर मकान
लेते, 2 महीने में शिफ्ट। दिवाली बाद शादी सीजन के लिए
स्टॉक। मशीनें 20 हजार की, 1000 पटाखे
घंटे में। प्रॉफिट 5 लाख महीना। लेकिन रिस्क हाई - एक
चिंगारी और सब खत्म। 2024 में 12 मौतें
UP में। गाजियाबाद SSP ने मीटिंग
बुलाई।
बचाव के 12 जरूरी टिप्स, गांव वाले ध्यान दें
परिवार
की दर्दभरी कहानी, गांव का सदमा
दानिश का
परिवार सासाराम बिहार से। पिता मजदूर। वो कमाने आया था। अब हॉस्पिटल बिल 2 लाख। भाई आया देखने। मकान
मालिक रामेश्वर के 4 बच्चे। डर रहे स्कूल जाएं। गांव में
दहशत। बच्चे रात को डरते। ये हादसा सिखाता है अवैध धंधे का अंत। सरकार को
फैक्ट्रियां रजिस्टर्ड करवानी चाहिए। पुलिस सर्च चलेगा। अगर आप NCR गांव में हैं तो सावधान। एक चिंगारी पूरे गांव को जला सकती। आने वाले
दिनों में बड़ा खुलासा होगा। सुरक्षा पहले।
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