रक्षक ही बने भक्षक! फर्जी कागज बनाकर जेल से कैदी छुड़ाने पहुंचे दो पुलिसवाले, फिर जो हुआ...

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जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो कानून और व्यवस्था का क्या होगा? उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो पुलिसकर्मियों ने ही जेल से कैदियों को भगाने की एक दुस्साहसिक साजिश रच डाली। यह घटना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। गाजियाबाद पुलिस लाइन में तैनात दो कांस्टेबल फर्जी कोर्ट ऑर्डर लेकर डासना जेल पहुंचे और दो खूंखार कैदियों को अपनी कस्टडी में लेने की कोशिश की। लेकिन जेल अधिकारियों की सतर्कता और सूझबूझ ने इस पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।

क्या थी पूरी साजिश?

शनिवार को, कांस्टेबल राहुल और सचिन एक प्राइवेट कार में डासना जेल पहुंचे। उन्होंने जेल अधिकारियों को बताया कि वे दो कैदियों, बिजेंद्र और वंश को गौतम बुद्ध नगर कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने आए हैं। उन्होंने इसके लिए एक कोर्ट ऑर्डर भी पेश किया। यह ऑर्डर असली लगे, इसके लिए उसमें छह कैदियों के नाम थे, जिन्हें उस दिन पेश किया जाना था। लेकिन इन दोनों पुलिसकर्मियों ने सिर्फ बिजेंद्र और वंश को ही ले जाने पर जोर दिया ।

जेल स्टाफ को कैसे हुआ शक?

जेल अधिकारियों को शुरुआत से ही कुछ गड़बड़ लग रहा था। पहला, पुलिसकर्मी कैदियों को ले जाने के लिए सरकारी गाड़ी की बजाय प्राइवेट कार से आए थे। दूसरा, वे कोर्ट ऑर्डर में लिखे छह कैदियों में से सिर्फ दो को ही ले जाने की जिद कर रहे थे। जेल स्टाफ का शक तब और गहरा गया जब उन्होंने कागजात की बारीकी से जांच की। उन्हें ऑर्डर में कुछ विसंगतियां नजर आईं।

भांडा फूटते ही हुए गिरफ्तार

जेल अधिकारियों ने तुरंत गाजियाबाद पुलिस लाइन और गौतम बुद्ध नगर कोर्ट से संपर्क कर ऑर्डर को सत्यापित करने का फैसला किया। वेरिफिकेशन में पता चला कि उस दिन ऐसी कोई पेशी निर्धारित नहीं थी और न ही पुलिस लाइन से किसी कैदी को ले जाने के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी किया गया था । यह सुनते ही जेल में हड़कंप मच गया। साजिश का भांडा फूट चुका था। जेल अधिकारियों ने तुरंत दोनों फर्जी पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया और स्थानीय पुलिस को सूचित किया।

अब आगे क्या?

कविनगर पुलिस ने दोनों आरोपी कांस्टेबलों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ आपराधिक साजिश और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। दोनों को निलंबित कर जेल भेज दिया गया है । अब एक विभागीय जांच भी शुरू की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस साजिश के पीछे और कौन-कौन लोग शामिल थे। क्या उन्होंने कैदियों से पैसे लेकर उन्हें भगाने की कोशिश की थी? इस घटना ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और सत्यनिष्ठा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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