ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
गाजियाबाद के वेव सिटी प्रोजेक्ट में किसानों और बिल्डर के बीच विवाद गहराता जा रहा है, जो अब एक बड़े आंदोलन की ओर बढ़ रहा है। 25 अगस्त 2025 को किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और डीएम को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को दोहराया। बता दें यह प्रोजेक्ट, जो 4000 एकड़ से अधिक जमीन पर एक हाईटेक टाउनशिप के रूप में विकसित किया जा रहा है, शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है।
किसानों का आरोप है कि 2014 के समझौते को लागू नहीं किया गया, जिसके तहत उन्हें उचित मुआवजा और रोजगार का वादा किया गया था। 2014 में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए), पुलिस प्रशासन और वेव ग्रुप के बीच हुए समझौते में 18 गांवों की हजारों बीघा जमीन ली गई थी। इस समझौते में किसानों को रोजगार, विकसित भूखंड और मुआवजा देने की बात कही गई थी। हालांकि, किसानों का कहना है कि न तो उन्हें रोजगार मिला और न ही पूरी जमीन का मुआवजा दिया गया। 388 एकड़ जमीन का अधिग्रहण जीडीए के माध्यम से हुआ, जिस पर बिल्डर ने 450 से अधिक प्लॉट काटकर 2007 से 2015 के बीच खरीदारों को बेच दिया। लेकिन अब ये खरीदार भी परेशान हैं, क्योंकि किसानों के विरोध के कारण वे अपने प्लॉट पर निर्माण शुरू नहीं कर पा रहे।
आपको बता दें, किसानों ने 17 मार्च 2025 को शांतिपूर्ण धरना शुरू किया था, लेकिन 9 और 10 अप्रैल को बिल्डर के लोगों पर किसानों और महिलाओं पर हमला करने का आरोप लगा। पुलिस में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। 15 जुलाई 2025 को डीएम और एसएसपी की मौजूदगी में एक और समझौता हुआ, जिसमें बिल्डर ने 8 दिन में रिपोर्ट देने का वादा किया, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। 18 सितंबर 2024 को जीडीए में हुई बैठक में भी कोई सहमति नहीं बनी। किसानों का आरोप है कि प्रशासन की शह पर बिल्डर नियम तोड़ रहा है और उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
किसानों की चेतावनी
बता दें, भारतीय किसान संगठन के नेतृत्व में किसानों ने 18 सितंबर को वेव सिटी के गेट को बंद करने और अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी दी है। बहरहाल, यह विवाद न केवल किसानों और बिल्डर के बीच तनाव को दर्शाता है, बल्कि उन 450 खरीदारों की परेशानी को भी उजागर करता है, जो अपने सपनों का घर बनाने में असमर्थ हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है, जिसका असर पूरे प्रोजेक्ट और क्षेत्र की प्रगति पर पड़ सकता है। प्रशासन और जीडीए को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों के बीच संतुलन स्थापित करने की जरूरत है।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!