गाजियाबाद में पकड़े गए फर्जी राजदूत हर्षवर्धन जैन से पूछताछ में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।दरअसल, 5 दिन की रिमांड मिलने के बाद STF और कविनगर पुलिस की टीम ने जब उससे सवाल-जवाब शुरू किए तो पहले ही दिन उसने 5 फर्जी कंपनियों के नाम उजागर कर दिए, जो नाम और ब्रांडिंग के मामले में रिलायंस और धीरूभाई अंबानी ग्रुप से मेल खाते हैं।जैसे-जैसे पूछताछ आगे बढ़ी, सामने आए फर्जी कंपनियों के नामसाथ ही, पूछताछ में हर्षवर्धन ने स्वीकार किया कि उसने कई विदेशी ग्राहकों को गुमराह करने के लिए इन कंपनियों के नाम जानबूझकर ऐसे रखे, जिससे उन्हें असली कंपनी का भ्रम हो।गौर करने वाली बात ये है कि, इन कंपनियों के नाम हैं, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप पीएलसी, रिलायंस बिग पिक्चर्स, रिलायंस कैपिटल लिमिटेड, रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड।फिलहाल, पुलिस के मुताबिक आरोपी ने कॉपीराइट उल्लंघन करने की बात भी स्वीकार की है।विदेशों में छात्रों से लेकर व्यापारियों तक को बनाया निशानाआगे पूछताछ में हर्षवर्धन जैन ने ये भी बताया कि वो विदेशों में छात्रों के दाखिले, भारतीय अधिकारियों से मुलाकात, और विदेशों में भारतीय उत्पादों की मांग के बहाने लोगों से पैसे वसूल करता था।वहीं, उसने स्वीकार किया कि ये सारी गतिविधियां उसने फर्जी कंपनियों और झूठे वादों के दम पर कीं।बेहतर तरीके से समझें तो, हर्षवर्धन खुद को भारत का प्रतिनिधि बताकर विदेशों में प्रभाव बनाने की कोशिश करता था, जिससे लोगों को उसका नेटवर्क असली लगे।नंबर प्लेट पर भी ली बेपरवाही से जवाबआपको बता दें कि, जब टीम ने हर्षवर्धन से राजनयिक नंबर प्लेटों के बारे में पूछा कि उसने ये कहां से और क्यों बनवाईं, तो उसने बेहद ढीले-ढाले तरीके से जवाब दिया।उसने कहा, 'ऐसी प्लेटों के लिए सजा नहीं होती, सिर्फ जुर्माना लगता है, आप भी जुर्माना लगा दो। इसमें कौन सा बड़ा कानून टूट गया?'कहना गलत नहीं होगा कि, ये जवाब उसकी मनोवृत्ति और आत्मविश्वास को दर्शाता है, जो उसकी धोखाधड़ी की सोच में झलकता है।हथियार डीलर और विवादित चेहरों से जुड़े कनेक्शन पर साधी चुप्पीवहीं, जब उससे हथियार डीलर अदनान खरगोशी, चंद्रास्वामी और एहसान अली सैय्यद से संबंधों के बारे में पूछा गया, तो उसने साफ तौर पर किसी भी जानकारी से इनकार कर दिया।फिर भी, उसने इतना जरूर कहा कि 'किसी से जान-पहचान होना कोई गुनाह नहीं है', और एहसान अली से उसकी पहचान थी।यूं समझा जाए तो, वो कई संदिग्ध व्यक्तियों से जुड़ा रहा है, लेकिन पुलिस को सटीक जानकारी देने से बच रहा है।कई सवालों पर चुप्पी, लेकिन तस्वीर साफ हो रहीफिलहाल, STF और पुलिस की टीमों ने हर्षवर्धन जैन से करीब 50 सवाल किए, जिनमें से ज्यादातर का जवाब उसने या तो टालने की कोशिश की या सीधे इनकार कर दिया।हालांकि, कुछ अहम बातों को लेकर उसने स्वीकार किया है कि उसने जानबूझकर नामी कंपनियों की नकल करके अपने फायदे के लिए फर्जी कंपनियां बनाई थीं।जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इस फर्जी राजदूत की पोल खुलती जा रही है और उसके विदेशी कनेक्शन भी सामने आने लगे हैं।बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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