ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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अयोध्या
ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए एक दिव्य क्षण का साक्षी बनी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
के 673 दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर
के 161 फीट ऊँचे शिखर पर धर्मध्वजा फहराई। अभिजीत मुहूर्त में ठीक 11:50 बजे जैसे ही
प्रधानमंत्री ने बटन दबाया, 2 किलो की केसरिया ध्वजा शिखर पर गर्व और आस्था के साथ
लहराने लगी। इस पावन क्षण के साथ ही पूरा वातावरण राममय हो उठा और हर ओर श्रद्धा और
उत्साह की हिलोरें दिखाई देने लगीं।
PM मोदी का भावपूर्ण संबोधन: “राम भक्ति जोड़ती है, बांटती नहीं”
ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना भावपूर्ण संबोधन देते हुए कहा कि राम भेदभाव से नहीं, बल्कि भाव से जोड़ते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राम के लिए जाति या कुल का महत्व नहीं है, बल्कि भक्ति ही सबसे बड़ी पहचान है। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भगवान राम शक्ति के नहीं, बल्कि सहयोग के प्रतीक हैं और यही संदेश समाज को जोड़ने का मार्ग दिखाता है। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, किसानों और युवाओं को विकास के केंद्र में रखा है और इसी समावेशी सोच से भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय उन्होंने “राम से राष्ट्र” की जो बात कही थी, वही आज एक नए संकल्प के रूप में उनके सामने खड़ी है। उन्होंने यह संदेश दिया कि केवल वर्तमान की सोच रखने वाले लोग आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं और भारत जैसे जीवंत समाज को सदियों की दूरदृष्टि के साथ काम करने की आवश्यकता है। अपने भाषण में उन्होंने बताया कि राम आदर्श और मर्यादा हैं, वे धर्म और क्षमा का संदेश देते हैं, ज्ञान और विवेक की पराकाष्ठा हैं, विनम्रता में ही महाबल हैं और सत्य तथा कर्तव्य के सर्वोच्च प्रतीक हैं। उन्होंने समाज से अपील की कि यदि हम एक सामर्थ्यवान समाज बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने भीतर राम के इन आदर्शों को स्थापित करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या वह भूमि है जहां आदर्श आचरण का रूप लेते हैं। यह वही स्थान है जहां राम ने जीवन की शुरुआत की और जहां से उनके आदर्शों ने पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव छोड़ा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब राम युवराज बनकर घर से निकले थे तो वे केवल एक व्यक्ति थे, लेकिन जब लौटे तो समाज ने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि समाज किसी भी व्यक्ति को महान बनाने की क्षमता रखता है। उन्होंने बताया कि आज अयोध्या भारत की चेतना-स्थली के रूप में पुनर्जीवित हो चुकी है और मंदिर परिसर में माता शबरी, निषाद राज, अहिल्या, वाल्मीकि, तुलसीदास, जटायु और गिलहरी की मूर्तियाँ इस बात की प्रतीक हैं कि छोटा से छोटा योगदान भी किसी बड़े संकल्प की सिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रधानमंत्री
मोदी ने कहा कि आज फहराया गया यह केसरिया ध्वज केवल एक ध्वज नहीं है, बल्कि भारतीय
सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। इस ध्वज का संदेश है कि सत्य की विजय निश्चित है,
कर्तव्य सर्वोच्च धर्म है और समाज में भेदभाव और दुखों का अंत होना चाहिए। उन्होंने
यह भी कहा कि जो लोग मंदिर नहीं आ पाते, वे दूर से इस ध्वज को प्रणाम कर भी पुण्य प्राप्त
कर सकते हैं।
मोहन भागवत का संबोधन
RSS
प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि आज सदियों की तपस्या और संघर्ष का दिन
सार्थक हुआ है। उन्होंने बताया कि अशोक सिंघल, संत परमहंस और डालमिया जी जैसी महान
आत्माओं का सपना राम मंदिर के रूप में पूरा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज
ने 500 वर्षों तक संघर्ष किया, लेकिन अपनी आस्था को कभी नहीं छोड़ा। मोहन भागवत के
अनुसार राम मंदिर का निर्माण केवल एक इमारत का निर्माण नहीं है, बल्कि यह एक नए युग
की शुरुआत है और अब भारत वह स्वरूप ले रहा है जो दुनिया को शांति और सद्भाव का संदेश
देगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ: “आस्था न झुकी, न रुकी”
उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले पाँच सौ वर्षों में कई साम्राज्य
बदले, लेकिन आस्था कभी नहीं झुकी। उन्होंने कहा कि आज का यह दिन तप, त्याग और अथक प्रयास
का परिणाम है। उनके अनुसार राम मंदिर 140 करोड़ भारतीयों के गौरव का प्रतीक है और मंदिर
के शिखर पर लहराता केसरिया ध्वज शक्ति, न्याय और राष्ट्रधर्म का प्रतीक है। उन्होंने
कहा कि अयोध्या आज उत्सवों की वैश्विक राजधानी बन गई है और यहां आस्था तथा आधुनिकता
का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
ध्वजारोहण—एक युग का पुनर्जन्म
धर्मध्वजा
के फहरने के साथ ही प्रधानमंत्री ने “सियावर रामचंद्र की जय” का उद्घोष किया और मंदिर
परिसर में उपस्थित हजारों भक्तों और संतों ने जोरदार जयघोष से पूरा वातावरण गूंजा दिया।
अयोध्या ने इस क्षण के साथ केवल इतिहास नहीं रचा, बल्कि आने वाली सदियों के लिए एक
नई दिशा भी तय की। राम मंदिर का यह क्षण केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए
यह संदेश देता है कि सत्य, करुणा और मर्यादा ही मानव सभ्यता को आगे बढ़ाती हैं।
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