भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को हराकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 सांसदों ने वोट डाला। राधाकृष्णन को 452 वोट, जबकि रेड्डी को 300 वोट मिले। इस दौरान 15 वोट अमान्य घोषित किए गए। क्रॉस वोटिंग की चर्चा नतीजों के बाद राजनीतिक हलकों में क्रॉस वोटिंग की चर्चा तेज हो गई है। NDA के पास 427 सांसदों का समर्थन था। वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों ने पहले ही NDA को समर्थन दिया था। इस हिसाब से NDA उम्मीदवार को अधिकतम 438 वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। यानी 14 अतिरिक्त वोट NDA के पक्ष में पड़े। भाजपा का दावा है कि विपक्ष के कई सांसदों ने NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की, जबकि कुछ ने जानबूझकर अमान्य वोट डाले। विपक्ष ने अपने 315 सांसदों की एकजुटता का दावा किया, लेकिन नतीजे ने यह दावा खोखला साबित कर दिया। राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर आपको बता दें, राधाकृष्णन राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वे दो बार कोयंबटूर से सांसद चुने गए थे। एक समय वे केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब थे, लेकिन नामों की समानता के कारण पार्टी प्रबंधन ने चूक कर दी और पद किसी अन्य नेता को मिल गया। दक्षिण भारत से आने वाले राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद पर जीत भाजपा के लिए खास महत्व रखती है, क्योंकि पार्टी की दक्षिण भारत में जड़ें कमजोर रही हैं। दक्षिण भारत पर भाजपा की रणनीति भाजपा ने इस चुनाव के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि उसका ध्यान दक्षिण भारत की राजनीति पर है। तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में पार्टी फिलहाल कमजोर है। तमिलनाडु और केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछली बार भाजपा को तमिलनाडु में मात्र 2.6% वोट शेयर और केरल में शून्य सीटें मिली थीं। राधाकृष्णन जैसे दक्षिण भारत के चेहरे को आगे लाकर भाजपा अपने समर्थन आधार को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। विचारधारा की लड़ाई इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव पूरी तरह विचारधारा पर आधारित रहा। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी DMK ने राधाकृष्णन को वोट नहीं दिया, जबकि विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी तेलुगु भाषी होने के बावजूद आंध्र प्रदेश की TDP और YSR कांग्रेस को समर्थन नहीं मिला। साफ है कि वोट जाति या भाषा के बजाय विचारधारा के आधार पर पड़े। नेताओं की प्रतिक्रियाएं • सुदर्शन रेड्डी ने नतीजों को स्वीकार करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनका पूरा विश्वास है और वे राधाकृष्णन को शुभकामनाएं देते हैं।• कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई थी और उम्मीद जताई कि नए उपराष्ट्रपति विपक्ष को बराबरी का सम्मान देंगे।• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुए कहा कि राधाकृष्णन का जीवन गरीबों और वंचितों की सेवा के लिए समर्पित रहा है और वे एक बेहतर उपराष्ट्रपति साबित होंगे।• राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उन्हें बधाई दी और कहा कि सार्वजनिक जीवन का उनका अनुभव राष्ट्र के लिए उपयोगी होगा। राधाकृष्णन का विजयी संबोधन जीत के बाद सीपी राधाकृष्णन ने कहा, “अगर हमें 2047 तक विकसित भारत बनाना है तो चुनाव खत्म होने के बाद राजनीति से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान देना होगा। मैं इस पद पर रहते हुए लोकतंत्र के हित का पूरा ध्यान रखूंगा। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों लोकतंत्र के लिए अहम हैं।” बहरहाल, सीपी राधाकृष्णन की जीत न सिर्फ NDA की राजनीतिक मजबूती को दिखाती है, बल्कि भाजपा की दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत करने की कोशिश को भी। यह चुनाव साबित करता है कि अब राजनीति में जाति और भाषा से ज्यादा विचारधारा का प्रभाव बढ़ रहा है। विपक्षी एकजुटता के दावों के बावजूद क्रॉस वोटिंग ने तस्वीर बदल दी और राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए। Comments (0) Post Comment
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