ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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नवंबर की शाम दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।
इस आत्मघाती विस्फोट में 12 लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए। घटना के तुरंत बाद जांच
एजेंसियों ने इसे सिर्फ हादसा नहीं बल्कि बड़ी आतंकी साजिश मानते हुए सक्रिय कार्रवाई
शुरू कर दी।
मुख्य
संदिग्ध डॉ. उमर नबी अंडरग्राउंड
जांच
में पता चला कि इस हमले का मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर नबी विस्फोट से तीन दिन पहले ही अंडरग्राउंड
हो गया था। उसे लग गया था कि पुलिस उसकी तलाश कर रही है। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार,
नबी ने अपनी मोबाइल सेवाएं बंद कर दी थीं और उसका परिवार भी उससे संपर्क नहीं कर पा
रहा था।
शुरुआती
जांच में पता चला कि विस्फोट में इस्तेमाल हुई सफेद हुंडई i20 कार को कथित तौर पर नबी
चला रहा था। उसकी तलाश तब शुरू हुई जब हरियाणा के फरीदाबाद से डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल
की गिरफ्तारी के बाद 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ।
माना
जा रहा है कि पुलवामा निवासी डॉ. उमर नबी की मौत इसी विस्फोट में हो गई। नबी की पहचान
के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उनकी मां से DNA सैंपल लिया। श्रीनगर के एक अधिकारी ने
बताया, “ब्लास्ट स्थल पर मिले अवशेषों से मिलान के लिए हमने DNA सैंपल लिया है।”
आतंकी
मॉड्यूल का भंडाफोड़
इस
धमाके के कुछ ही घंटे पहले पुलिस ने 'व्हाइट कॉलर' आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया
था। इस कार्रवाई में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद
किया गया।
यह
मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ
था। इसका नेटवर्क कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था। गिरफ्तार किए गए
लोगों में डॉ. मुजम्मिल गनाई और डॉ. शाहीन सईद शामिल थे, जिनका फरीदाबाद की अल-फलाह
यूनिवर्सिटी से संबंध था। यूनिवर्सिटी से ही 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद
किया गया, जिसने बड़े आतंकी मॉड्यूल की पुष्टि की।
NIA
को सौंपा गया मामला
दिल्ली
लाल किला कार विस्फोट की जांच अब नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है।
यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में
लिया गया। जांच एजेंसियां अब इस पूरे आतंकी नेटवर्क की गहन पड़ताल कर रही हैं। प्रारंभिक
जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि नबी और फरीदाबाद से बरामद आतंकियों के तार जुड़े हुए थे।
सुरक्षा
एजेंसियों की सतर्कता
इस
विस्फोट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद अब सिर्फ सीमापार नहीं बल्कि देश के भीतर
भी संगठित रूप से सक्रिय है। पुलिस और NIA लगातार सतर्कता और जांच बढ़ा रही हैं। फरीदाबाद
की अल-फलाह यूनिवर्सिटी और अन्य संदिग्धों से पूछताछ से यह सामने आया कि आतंकियों ने
शिक्षित और समाज में सम्मानित व्यक्तियों का उपयोग बड़े आतंकी मॉड्यूल में किया।
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नवंबर का लाल किला विस्फोट सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक संगठित आतंकी साजिश का हिस्सा
था। डॉ. उमर नबी का अंडरग्राउंड होना और फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक सामग्री इस बात
को स्पष्ट करता है कि आतंकवाद सख्त निगरानी और सतर्कता के बिना रोका नहीं जा सकता।
NIA
की गहन जांच और DNA सैंपल के मिलान से जल्द ही इस विस्फोट और जुड़े आतंकी नेटवर्क के
बारे में और जानकारी सामने आने की उम्मीद है। यह मामले देश और सुरक्षा एजेंसियों के
लिए एक चेतावनी भी है कि आतंकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखना बेहद जरूरी है।
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