ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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भारत के चुनाव आयोग ने पूरे देश में वोटर लिस्ट यानी मतदाता सूची की गहराई से जांच (Special Intensive Revision) का फैसला किया है।
यह फैसला बिहार में चल रहे इसी तरह के काम और उस पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच लिया गया है।
आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को चिट्ठी भेजकर कहा है कि 1 जनवरी 2026 की तारीख को आधार बनाकर इस रिवीजन की तैयारी करें।
बिहार में क्यों शुरू हुआ मामला?
बिहार में विधानसभा चुनाव पास हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने वहां वोटर लिस्ट की जांच शुरू कर दी, लेकिन कई राजनीतिक पार्टियों ने इस पर सवाल उठाए।
कुछ ने आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में ऐसा हो रहा है ताकि लाखों लोगों के नाम लिस्ट से हटाए जा सकें।
इस पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और कोर्ट में सवाल उठा कि सिर्फ बिहार ही क्यों, पूरे देश में ऐसा क्यों नहीं हो रहा?
पहले किन राज्यों में हुई थी ऐसी जांच?
बिहार से पहले कई बड़े राज्यों में वोटर लिस्ट की गहन जांच हो चुकी है। जैसे 2019 के चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में लाखों फर्जी नाम हटाए गए थे। यूपी में 2017 के चुनाव से पहले मृत और डुप्लीकेट नाम हटाए गए थे।
तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी समय-समय पर ऐसा होता रहा है। दिल्ली में 2008 में और उत्तराखंड में 2006 में वोटर लिस्ट की गहरी जांच की गई थी।
अब पूरे देश में एक जैसा सिस्टम क्यों जरूरी?
सिर्फ एक राज्य में ही वोटर लिस्ट की जांच करने पर बाकी राज्यों में भेदभाव की बात उठ सकती है। अगर पूरे देश में एक ही नियम से जांच होगी, तो पारदर्शिता बनी रहेगी।
इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और चुनावों पर उठने वाले शक भी कम होंगे। आज के डिजिटल जमाने में आधार और मोबाइल जैसी पहचान से डुप्लीकेट और गलत नामों को हटाना आसान हो गया है।
विपक्ष को क्या चिंता सता रही है?
विपक्षी पार्टियों को लगता है कि वोटर लिस्ट से नाम हटाकर नतीजों को प्रभावित किया जा सकता है। साथ ही, इतना बड़ा काम करने के लिए वक्त, पैसा और सही प्लानिंग की जरूरत है। इसलिए वे पारदर्शिता और सबकी भागीदारी की मांग कर रहे हैं।
आम लोगों को भी जागरूक करना जरूरी है ताकि वे समय रहते अपने नाम, पता या दूसरी गलतियों को सुधार सकें।
2026 में कई राज्यों में चुनाव, पहले से तैयारियां होंगी
चुनाव आयोग का ये फैसला आने वाले विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखकर लिया गया है। 2026 में तमिलनाडु, बंगाल, असम, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हैं।
अगर अभी से तैयारी शुरू हो जाती है तो चुनाव के समय लिस्ट में गड़बड़ी की संभावना कम होगी।
एक बड़ा लेकिन जरूरी कदम
बिहार से शुरू हुआ विवाद अब देशभर में सुधार का रास्ता बन सकता है। वोटर लिस्ट की ये सफाई चुनावी सिस्टम को और मजबूत कर सकती है, बशर्ते इसे ईमानदारी से और सभी की भागीदारी से किया जाए।
इससे हर सही नागरिक का नाम लिस्ट में रहेगा और देश का लोकतंत्र और मजबूत होगा।
आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।
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