ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने अपने हालिया इंटरव्यू में अदालत में हुई जूता फेंकने की घटना, अपनी कार्यशैली और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर कई अहम बातें कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि जूता फेंकने की कोशिश से उनका मनोबल बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुआ और न ही उनके न्यायिक फैसलों पर इसका कोई असर पड़ा।
“जिसने जूता फेंका, उसे उसी समय माफ कर दिया”
एक न्यूज चैनल से बातचीत में गवई ने कहा कि कोर्ट में जिस व्यक्ति ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की थी, उन्हें उन्होंने उसी क्षण माफ कर दिया था। यह उनकी परवरिश और परिवार से मिले संस्कारों का परिणाम है। उन्होंने कहा—“कानून की शान सजा में नहीं, बल्कि माफ करने में है।”
गवई ने बताया कि लोकलज्जा या गुस्से के बजाय उन्होंने मानवीय दृष्टिकोण को महत्व दिया। उनका मानना है कि न्याय सिर्फ दंड नहीं, बल्कि समाज में संतुलन लाने का माध्यम है।
“मुझे हिंदू-विरोधी बताना गलत, मेरी अंतरात्मा साफ है”
सोशल मीडिया पर लगाए गए “हिंदू-विरोधी” जैसे आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह आधारहीन हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में सिर्फ कानून, संविधान और सेक्युलरिज्म का पालन किया। गवई ने कहा— “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। मेरे फैसले मेरी अंतरात्मा और कानून के हिसाब से होते हैं।”
भारत की अदालतें स्वतंत्र और मजबूत
कुछ लोगों द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि भारतीय अदालतें सरकार के दबाव में काम करती हैं। इस पर उन्होंने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत की अदालतें पूरी तरह स्वतंत्र हैं और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव में काम नहीं करतीं।
उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल्स से जुड़े कुछ नियम इसलिए हटाए गए, क्योंकि वे न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर कर रहे थे। उन्होंने जोर दिया— “कानून का राज सर्वोपरि है और कार्यपालिका न्यायपालिका का काम नहीं ले सकती।”
कॉलेजियम सिस्टम का समर्थन
गवई ने कहा कि उनका पूरा समर्थन कॉलेजियम सिस्टम के साथ है। वे कहते हैं— “मेरे कार्यकाल में किसी अधिकारी ने जजों की नियुक्ति या ट्रांसफर पर दबाव डालने की कोशिश नहीं की।” उनके अनुसार, न्यायपालिका की विश्वसनीयता इसी पारदर्शी प्रक्रिया में है।
गवर्नर या राज्यसभा का पद स्वीकार नहीं करूंगा
रिटायरमेंट के बाद किसी भी सरकारी पद को स्वीकार करने की संभावना पर उन्होंने साफ कहा—“मैं न गवर्नर बनूंगा और न ही राज्यसभा का नॉमिनेशन स्वीकार करूंगा।” उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद वह किसी भी सरकारी जिम्मेदारी से दूर रहेंगे।
जूता फेंकने की घटना कैसे हुई थी?
16 सितंबर को मध्य प्रदेश में टूटी हुई विष्णु मूर्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान गवई के कथित बयान पर विवाद हुआ था। 6 अक्टूबर को कोर्टरूम में वकील राकेश किशोर ने “सनातन धर्म का अपमान करने” का आरोप लगाते हुए नारे लगाए और गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की।
• पुलिस ने वकील को हिरासत में लेकर 3 घंटे पूछताछ की
• सुप्रीम कोर्ट ने कोई शिकायत नहीं की
• इसके बाद उसे छोड़ दिया गया
• बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने वकील को तुरंत निलंबित किया
• SCBA
ने
उसका
लाइसेंस
रद्द
कर
दिया
नए CJI सूर्यकांत ने संभाली कमान
बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हुआ। 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत ने देश के 53वें CJI के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा और वे 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे।
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