ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
दिल्ली के लाल किले के सामने विस्फोटक भरी कार से खुद को उड़ाने वाले आतंकी डॉ. उमर नबी के बारे में जांच में एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की जांच में पता चला है कि उमर सिर्फ एक आत्मघाती हमलावर नहीं था, बल्कि एक पूरी फिदायीन टीम तैयार करने की साजिश में जुटा था।
युवाओं को ब्रेनवॉश करने के लिए बनाता था वीडियो
जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन से उमर के 12 वीडियो और कुल 70 से अधिक वीडियो बरामद किए हैं। ये वही वीडियो हैं, जिन्हें उमर नए लड़कों को भेजकर उन्हें आतंकी गतिविधियों की ओर उकसाता था।
इन वीडियो को कम से कम 11 युवाओं को भेजा गया, जिनमें—
• 7 कश्मीरी युवा, जिनका अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कनेक्शन मिला
• 4 युवा – उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक से
जांच में यह भी सामने आया है कि आमिर राशिद अली, जिसने उमर के लिए I-20 कार खरीदी थी, खुद सुसाइड बॉम्बर नहीं बनना चाहता था। तब उमर ने उसे भी यही ब्रेनवॉशिंग वीडियो भेजे थे। एजेंसियों के अनुसार उमर कई राज्यों के युवाओं को निशाना बनाकर एक फिदायीन मॉड्यूल तैयार कर रहा था।
हमले से पहले घर गया और फोन भाई को थमाया
डॉ.
उमर
मोहम्मद
ब्लास्ट
से
करीब
दो
हफ्ते
पहले
पुलवामा
के
कोइल
गांव
में
अपने
घर
भी
गया
था।
वहां
उसने
अपने
भाई
जहूर
इलाही
को
एक
मोबाइल
फोन
दिया
और
कहा:
“अगर
मेरी
कोई
खबर
आए
तो
इस
फोन
को
पानी
में
फेंक
देना।”
दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद जहूर घबरा गया और उसने फोन को पास के तालाब में फेंक दिया।
बाद में NIA ने तालाब से फोन बरामद किया। फोन पानी में खराब हो चुका था, लेकिन तकनीकी जांच में एक महत्वपूर्ण वीडियो रिकवर कर लिया गया। इसी वीडियो में उमर खुद को "शहीद ऑपरेशन" का हिस्सा बताते हुए दिखाई दे रहा है।
उमर के आखिरी 10 दिन: खुद को कमरे में कैद कर लिया था
जांच में पता चला है कि दिल्ली ब्लास्ट से पहले उमर नबी ने नूंह की हिदायत कॉलोनी में खुद को 10 दिन के लिए बंद कर लिया था।
• कमरे से बाहर बिल्कुल नहीं निकला
• शौच तक के लिए बाहर नहीं गया, कमरे में ही गंदगी फैलाता रहा
• न नहा रहा था, न कपड़े बदल रहा था
• केवल रात के अंधेरे में थोड़ा-बहुत खाना लेने बाहर जाता था
यह व्यवहार दर्शाता है कि वह मानसिक रूप से हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा था।
कोट भलवाल जेल में बड़ी छापेमारी
इसी बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने कोट भलवाल हाई-सिक्योरिटी जेल में बड़ी छापेमारी की है। यह वही जेल है, जहां पाकिस्तानी और स्थानीय कुख्यात आतंकवादी बंद हैं।
सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिला था कि:
• जेल के अंदर से आतंकी मॉड्यूल को निर्देश भेजे जा रहे हैं
• कुछ कैदी बाहर के नेटवर्क से संपर्क में हैं
छापेमारी के दौरान पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, दस्तावेज और संदिग्ध सामग्री बरामद की है। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
एक बड़े नेटवर्क की परतें खुल रही हैं
डॉ.
उमर
नबी
का
मामला
सिर्फ
एक
आत्मघाती
हमले
की
कहानी
नहीं
है।
जांच से यह साफ है कि—
• वह पूरे भारत में फिदायीन मॉड्यूल तैयार कर रहा था
• कई राज्यों के युवा उसके संपर्क में थे
• अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े लोग भी इस नेटवर्क में शामिल हो सकते हैं
• जेल के अंदर से भी आतंकियों को मदद मिल रही हो सकती है
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, इस मॉड्यूल से जुड़े नए चेहरे और साजिशें सामने आ रही हैं।
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