ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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भारतीय
राजनीति में कुछ जोड़ियां ऐसी हैं, जिनकी आपसी समझ और तालमेल ने देश की दिशा और दशा
तय की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी भी कुछ ऐसी ही
है। इन दोनों नेताओं ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अभूतपूर्व सफलता दिलाई
है और सरकार में रहते हुए कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। हाल ही में, गृह मंत्री
अमित शाह के जन्मदिन के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ में
जो शब्द कहे, वे सिर्फ एक जन्मदिन की शुभकामना नहीं, बल्कि शाह के राजनीतिक कद और उनकी
सरकार में भूमिका का एक स्पष्ट प्रमाण हैं।
पीएम मोदी की खास बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "गृह मंत्री अमित शाह को जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं... उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और हर भारतीय को सुरक्षा और गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर देने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं" । पीएम मोदी का विशेष रूप से "आंतरिक सुरक्षा" (Internal Security) का जिक्र करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि वह अमित शाह के काम को किस नज़र से देखते हैं और उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि किसे मानते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने भी शाह को एक कुशल रणनीतिकार और दृढ़ संकल्प वाला नेता बताया ।
क्यों हैं अमित शाह की तारीफ के खास मायने?
अमित शाह को अक्सर भाजपा का 'चाणक्य' कहा जाता है। संगठन में उनके कौशल का लोहा हर कोई मानता है। लेकिन 2019 में गृह मंत्री का पद संभालने के बाद, उन्होंने अपनी छवि एक प्रशासक और कड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में भी बनाई है। आइए जानते हैं वे 5 बड़े कारण, जिनकी वजह से पीएम मोदी ने उनकी आंतरिक सुरक्षा को लेकर तारीफ की:
1. अनुच्छेद 370 का निरस्त होना: गृह मंत्री के रूप में अमित शाह का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना था। दशकों से यह मुद्दा देश की राजनीति के केंद्र में था। शाह ने संसद में जिस दृढ़ता और तर्कों के साथ इस फैसले को पेश किया और पारित करवाया, उसने उनकी छवि को एक निर्णायक नेता के रूप में स्थापित किया। सरकार का दावा है कि इस फैसले के बाद कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाज़ी की घटनाओं में भारी कमी आई है।
2. नक्सलवाद पर नकेल: पीएम मोदी की सरकार नक्सलवाद
को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानती रही है। भाजपा अध्यक्ष जे.पी.
नड्डा ने भी अपने बधाई संदेश में कहा कि शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण नक्सलवाद के
खिलाफ लड़ाई एक "निर्णायक मोड़" पर पहुंच गई है । गृह मंत्रालय के आंकड़ों के
अनुसार, पिछले कुछ सालों में नक्सली हिंसा की घटनाओं और प्रभाव क्षेत्र में काफी कमी
आई है।
3. नागरिकता संशोधन कानून (CAA): हालांकि CAA को लेकर
देश भर में बहुत विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन सरकार ने इसे दृढ़ता के साथ लागू किया। अमित
शाह ने संसद से लेकर सड़क तक इस कानून का बचाव किया और इसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और
अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए एक मानवीय कदम बताया। यह शाह की कड़े और
विवादास्पद फैसले लेने की क्षमता का एक और उदाहरण था।
4. पूर्वोत्तर में शांति समझौते: शाह के कार्यकाल में,
गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर भारत में शांति स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम
उठाए हैं। बोडो समझौता, ब्रू-रियांग समझौता और असम-मेघालय सीमा विवाद जैसे दशकों पुराने
मुद्दों को सुलझाने में शाह ने व्यक्तिगत रूप से रुचि दिखाई। इससे पूर्वोत्तर के कई
हिस्सों में उग्रवाद कम हुआ है और शांति की बहाली हुई है।
5.
संगठित अपराध पर लगाम: गृह मंत्रालय ने पॉपुलर
फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और आतंकवाद, ड्रग्स और हवाला
नेटवर्क के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाने जैसे कई कदम उठाए हैं। इन कार्रवाइयों ने
देश के भीतर संगठित अपराध और टेरर फंडिंग की कमर तोड़ने में मदद की है।
अमित शाह का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने एक ऐसे गृह मंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जो कड़े और जोखिम भरे फैसले लेने से नहीं हिचकिचाते। पीएम मोदी का उनके जन्मदिन पर विशेष रूप से आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर उनकी प्रशंसा करना, न केवल उनके काम पर एक मुहर है, बल्कि यह भी दिखाता है कि 2024 के चुनावों में भाजपा अपनी सरकार की उपलब्धियों में इन मुद्दों को प्रमुखता से पेश करेगी। यह बधाई संदेश सिर्फ एक व्यक्तिगत शुभकामना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है।
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