भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को इतिहास रच दिया। उन्होंने हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन से भारतीय वायुसेना के आधुनिक और ताकतवर राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। राष्ट्रपति ने इसे अपने जीवन का “अविस्मरणीय अनुभव” बताया और कहा कि इस उड़ान ने उन्हें देश की रक्षा क्षमताओं पर और अधिक गर्व महसूस कराया। राफेल में उड़ान भरते समय राष्ट्रपति का आत्मविश्वास राष्ट्रपति मुर्मू ने राफेल विमान में उड़ान भरने से पहले पूरी तैयारी की। उन्होंने वायुसेना के पायलट की तरह जी-सूट पहना, हेलमेट और धूप का चश्मा लगाया, और उड़ान से पहले पायलट के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। सुबह 11:27 बजे, उन्होंने विमान के अंदर से हाथ हिलाकर सभी को अभिवादन किया और उड़ान भरी। यह उड़ान लगभग 30 मिनट तक चली, जिसमें राफेल ने करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय की। 15,000 फीट की ऊंचाई पर 700 किमी/घंटा की रफ्तार राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में बताया गया कि राफेल विमान ने समुद्र तल से लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर और करीब 700 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ान भरी। इस उड़ान का संचालन 17वीं स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज़’ के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन अमित गेहानी ने किया। उड़ान के बाद राष्ट्रपति ने भारतीय वायुसेना की तकनीकी दक्षता और समर्पण की सराहना की। राष्ट्रपति ने जताया गर्व और दी बधाई उड़ान के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा — “राफेल विमान में उड़ान मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा। इसने मुझे हमारे देश की मजबूत रक्षा क्षमता पर और भी अधिक गर्व महसूस कराया।” उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण के सफल आयोजन के लिए भारतीय वायुसेना और अंबाला एयरबेस की पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह अनुभव वायुसेना की उत्कृष्ट तकनीकी क्षमता और देश की सुरक्षा में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। राष्ट्रपति को मिला 'गार्ड ऑफ ऑनर' राष्ट्रपति मुर्मू जब अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचीं, तो उन्हें औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। इस दौरान वायुसेना अधिकारियों ने उन्हें राफेल विमान की तकनीकी जानकारी और भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमताओं के बारे में विस्तार से बताया। पूर्व राष्ट्रपतियों ने भी भरी थी लड़ाकू विमान में उड़ान यह पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने लड़ाकू विमान में उड़ान भरी हो। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 8 जून 2006 को सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी 25 नवंबर 2009 को इसी विमान में उड़ान भरकर इतिहास रचा था। भारतीय वायुसेना में राफेल की भूमिका फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल को सितंबर 2020 में औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।पहले पांच राफेल विमानों को अंबाला की 17वीं स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज़’ में शामिल किया गया था। हाल ही में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों ने अहम भूमिका निभाई थी। इस ऑपरेशन में राफेल ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। यह ऑपरेशन 7 से 10 मई तक चला और भारतीय सेना की क्षमता का शानदार उदाहरण बना। Comments (0) Post Comment
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