आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिवसीय विदेश दौरे पर निकल चुके हैं। सबसे पहले पहुंच रहे हैं यूनाइटेड किंगडम, वो भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के न्योते पर।चर्चा में फ्री ट्रेड डील है, लेकिन हकीकत ये है कि ये मुलाकात सिर्फ व्यापार नहीं, इतिहास की एक पुरानी कड़वी सच्चाई भी याद दिला रही है, अंग्रेज़ों की वो लूट जो सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से की गई थी।कोहिनूर की कहानी: भारत का हीरा, ब्रिटेन का ताजसबसे पहले बात करते हैं कोहिनूर की। दुनिया का सबसे चर्चित हीरा, जिसे आज ब्रिटिश रॉयल फैमिली के ताज में चमकते हुए देखा जाता है।ये वही कोहिनूर है जिसे 1849 में सिख साम्राज्य के आखिरी वारिस महाराज दलीप सिंह से लाहौर संधि के तहत छीन लिया गया था। लूट का ये खेल लार्ड डलहौजी के इशारे पर हुआ।साथ ही, रणजीत सिंह का शाही सिंहासन भी ब्रिटेन ले जाया गया। इसे लकड़ी और रेजिन से बनाया गया था, और सोने की परत चढ़ाकर सन् 1820 से 1830 के बीच तैयार किया गया था। इसे आज भी लंदन में गौर से देखा जा सकता है।टीपू की तलवार और लूट का वो युद्धअब चलिए 1799 की ओर, जब चौथा मैसूर युद्ध लड़ा गया। अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को हराकर श्रीरंगपट्टनम पर कब्जा कर लिया। टीपू मारे गए और उनके निजी खजाने को लूट लिया गया।सबसे खास चीज़ थी टीपू की बेडचैम्बर तलवार, वो तलवार जो उनके निजी कक्ष में रहती थी।इसे अंग्रेज ट्रॉफी की तरह साथ ले गए। इतना ही नहीं, उनकी सोने की अंगूठी जिस पर "राम" खुदा था, वो भी अंग्रेज ले गए और बाद में नीलाम कर दी।टीपू की प्रसिद्ध 'टाइगर टॉय' यानी बाघ की मूर्ति, जिसमें एक अंग्रेज को दबोचते हुए बाघ की आकृति है, वो आज लंदन के म्यूजियम में रखी है। क्रांति के प्रतीक की तरह ये बाघ आज भी सवाल करता है, कौन लुटेरा था असल में?सुल्तानगंज बुद्ध, हरीहर और शाहजहां का शराब का प्यालालूट सिर्फ हथियारों या हीरे की नहीं थी। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भी छीनी गई। गुप्त काल की कांस्य प्रतिमा ‘सुल्तानगंज बुद्ध’ आज बर्मिंघम म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी में रखी हुई है।करीब 1000 साल पुरानी हरीहर प्रतिमा, बलुआ पत्थर की बनी, 1872 में अंग्रेज ले गए थे। ये अब ब्रिटिश म्यूजियम की शोभा है।आंध्र प्रदेश के अमरावती स्तूप की कई मार्बल प्रतिमाएं 1840 में उखाड़ी गईं और लंदन ले जाई गईं।यहां तक कि 1857 के विद्रोह के समय शाहजहां का शराब पीने का प्याला भी हाथ से निकल गया। ये वो बेशकीमती ऐतिहासिक चीज़ें थीं जिनका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता।भारत ही क्यों? पूरी दुनिया थी निशाने पर!अब अगर आप सोच रहे हैं कि अंग्रेजों ने केवल भारत को ही लूटा, तो ठहरिए। ब्रिटेन की लूट की फेहरिस्त में एशिया, अफ्रीका, अमेरिका, और कैरेबियाई देश भी हैं।अमेरिका, वहां से कच्चा माल, लकड़ी, लौह अयस्क और कृषि उत्पाद भर-भर के निकाले गए। इतना कि वहां की स्थानीय इंडस्ट्री अंग्रेजों के लिए सिर्फ बाज़ार बनकर रह गई।ऑस्ट्रेलिया, अंग्रेजों ने यहां की ज़मीन और संसाधनों का भरपूर दोहन किया। ऊन और अन्य कच्चा माल ब्रिटेन भेजा गया।अफ्रीका, हीरा, सोना, तांबा, कोबाल्ट, सब कुछ। घाना, नाइजीरिया, केन्या, सूडान, दक्षिण अफ्रीका, हर देश से खनिज, संपत्ति, सांस्कृतिक वस्तुएं लूटी गईं।बेनिन ब्रॉन्ज की कहानीअफ्रीका के बेनिन साम्राज्य से अंग्रेज सैकड़ों साल पुरानी कांस्य मूर्तियां ले गए। ये मूर्तियां सिर्फ कलाकृतियां नहीं थीं, वो एक पूरी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती थीं। अब वो लंदन में रखी हैं, और अफ्रीकी देश सालों से मांग कर रहे हैं, वापस दो।अब क्यों हो रही है चर्चा?अब सवाल ये है कि मोदी के ब्रिटेन दौरे से ये चर्चा फिर क्यों उठी? वजह साफ है, जब भारत और ब्रिटेन ऐतिहासिक फ्री ट्रेड डील की तरफ बढ़ रहे हैं, तब भारतीय जनता का एक बड़ा वर्ग ये पूछ रहा है कि व्यापार तो ठीक है, पर जो ले गए वो कब लौटाओगे?PM मोदी के इस दौरे में शायद ये मुद्दा आधिकारिक एजेंडे में नहीं हो, मगर जनता की नज़र में ये सवाल कहीं गहरे गड़ गया है।आखिर ब्रिटेन से व्यापारिक रिश्तों का इतिहास सिर्फ मसाले, सूती कपड़ा या चाय तक सीमित नहीं था, वो था शोषण, और लूट।लूट का हिसाब अब तक अधूराऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि अंग्रेजों ने भारत से इतनी संपत्ति निकाली कि आज की 5 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं खड़ी हो सकती थीं। वो लूट सिर्फ खजाने की नहीं थी, हमारी पहचान, संस्कृति और आत्मा की थी।आज जब हम नए रिश्ते बना रहे हैं, तो अतीत की दरारें भी साथ चलती हैं। कोहिनूर, तलवारें, मूर्तियां, सब एक प्रतीक हैं उस लूट के जो इतिहास ने देखा।अब सवाल ये नहीं कि लूटा क्या था। सवाल ये है, क्या लौटाया जाएगा? आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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