आईएनडीआईए उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी ने भरा नामांकन, विपक्षी एकजुटता का दिखा असर

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज़ हो गई है। बुधवार को आईएनडीआईए गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने आधिकारिक तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन के दौरान विपक्षी खेमे की मजबूती और एकजुटता साफ नज़र आई। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई दिग्गज नेता इस मौके पर मौजूद रहे और रेड्डी के समर्थन में खड़े दिखे।

 नामांकन के बाद बोले सुदर्शन रेड्डी

 आपको बता दें, नामांकन दाखिल करने के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी ने मीडिया से बातचीत में कहा—“संविधान में निहित मूल्यों के प्रति गहरी विनम्रता और अटूट प्रतिबद्धता के साथ मैंने यह नामांकन दाखिल किया है। मेरा जीवन लोकतांत्रिक परंपराओं में निहित है। भारत की असली ताकत प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा और अधिकारों में निहित है। मैं इन्हीं मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूँ।

 उन्होंने आगे कहा कि यह चुनाव केवल एक पद का चुनाव नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की उस आत्मा को जीवित रखने का अवसर है जो विविधता, समानता और आपसी सम्मान पर टिकी है। रेड्डी के इस बयान ने विपक्षी खेमे में जोश भर दिया और साफ संकेत दिया कि आईएनडीआईए गठबंधन इस चुनाव को सिर्फ औपचारिक लड़ाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की जंग मान रहा है।

 राहुल गांधी ने की रेड्डी की तारीफ

 वही नामांकन के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी सुदर्शन रेड्डी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “रेड्डी साहब का जीवन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए समर्पित रहा है। वे एक ऐसे नेता हैं जो हर व्यक्ति की आवाज़ को महत्व देते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम विपक्ष की ओर से एक ऐतिहासिक चुनाव साबित होगा।

 विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन

 बता दें, सुदर्शन रेड्डी के नामांकन के दौरान राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी ने विपक्ष की एकजुटता का संदेश दिया। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में वे मिलकर मुकाबला करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह एक तरह से आगामी आम चुनावों से पहले विपक्षी खेमे की एकता कीटेस्टिंग ग्राउंडभी है।

 राहुल गांधी की भूमिका

 वही बीते कुछ समय से राहुल गांधी विपक्षी राजनीति के केंद्र में दिखाई दे रहे हैं। उनकी यात्राएँ और जनता से जुड़ने का तरीका विपक्षी नेताओं में भरोसा जगाता है। यही वजह है कि रेड्डी ने भी अपने संबोधन में राहुल गांधी के जनसरोकारों की अप्रत्यक्ष सराहना करते हुए कहा था—“सड़क खामोश होती है तो संसद आवारा हो जाती है।यह बयान सत्ता पक्ष पर तीखा प्रहार और राहुल गांधी की राजनीतिक शैली की तारीफ दोनों माना गया।

 सुदर्शन रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा कि राहुल गांधी हमेशा जनता के बीच जाकर उनकी आवाज़ सुनते हैं। चाहेभारत जोड़ो यात्राहो या संसद में उनके भाषणउन्होंने यह साबित किया है कि लोकतंत्र तभी सशक्त होता है जब सड़क पर उठी आवाज़ संसद में गूंजे। रेड्डी का मानना है कि राहुल गांधी ने जनआंदोलनों और सीधे संवाद को राजनीति के केंद्र में लाकर संसद को अधिक जवाबदेह बनाने की कोशिश की है।

 बता दें, यह बयान ऐसे समय आया है जब उपराष्ट्रपति पद का चुनाव नज़दीक है। सुदर्शन रेड्डी की टिप्पणी विपक्ष के लिए एक सामूहिक स्वर बनाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। राहुल गांधी को विपक्षी राजनीति का चेहरा मानने वालों के लिए यह बड़ा संकेत है कि विपक्ष उनके नेतृत्व की भूमिका को और अधिक स्वीकार कर रहा है।

 राजनीतिक महत्व

 वही सुदर्शन रेड्डी का नामांकन विपक्ष के लिए सिर्फ चुनावी औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के संदेश के रूप में पेश किया जा रहा है। विपक्षी दल यह जताना चाहते हैं कि वे केवल सत्ता बदलने की राजनीति नहीं कर रहे, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की मजबूती और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हैं।

 साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले सुदर्शन रेड्डी का राहुल गांधी की तारीफ करना राजनीतिक समीकरणों को और दिलचस्प बना रहा है। उनका बयान केवल विपक्ष की एकता का संकेत देता है बल्कि आने वाले समय में राहुल गांधी की केंद्रीय भूमिका को भी रेखांकित करता है। अब देखना होगा कि यह रणनीति चुनावी परिणामों में किस तरह असर डालती है।

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