कभी एक नाम था जो दुनिया के कई हिस्सों में सत्ता का प्रतीक था, ईस्ट इंडिया कंपनी। भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, और कई एशियाई देशों पर हुकूमत करने वाली ये कंपनी अब खुद दूसरों की मिल्कियत है।चलिए जानते हैं कि कभी करोड़ों लोगों पर राज करने वाली ये कंपनी अब क्या कर रही है और इसके मालिक कौन हैं!ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी?ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 को हुई थी। इसका नाम था, "The Governor and Company of Merchants of London trading into the East Indies."हालांकि, ये एक निजी व्यापारिक कंपनी थी, जिसे ब्रिटिश क्राउन ने भारत और एशिया में व्यापार के विशेषाधिकार दिए थे। यह मसाले, रेशम, चाय और कपास जैसी चीज़ों का कारोबार करती थी।कैसे बनी व्यापारी कंपनी से सत्ता की मालकिन?व्यापार के बहाने आई कंपनी ने भारत में 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर नियंत्रण पा लिया।फिर तो जैसे डामिनो इफेक्ट चल पड़ा, एक-एक करके भारत के बड़े हिस्से इसके नियंत्रण में आ गए। यह सिलसिला 1857 की क्रांति तक चला।1857 की बगावत (जिसे 'सिपाही विद्रोह' या 'भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम' कहा जाता है) के बाद ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की सत्ता छीन ली और ब्रिटिश राज की शुरुआत हुई। इसके बाद 1874 में कंपनी को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया।अब क्या हाल है इस कंपनी का?सोचा होगा कि कंपनी वहीं खत्म हो गई। लेकिन ट्विस्ट यहीं आता है। 131 साल बाद, साल 2005 में, एक भारतीय कारोबारी संजीव मेहता ने ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रांड नाम को खरीद लिया।यानी जो कभी भारत को बेच रही थी, अब खुद एक भारतीय की मिल्कियत में है।अब क्या कर रही है ईस्ट इंडिया कंपनी?अब यह कंपनी न तो किसी देश पर राज करती है, न ही बंदूकें चलाती है। बल्कि ये कंपनी अब एक लग्ज़री लाइफस्टाइल ब्रांड बन चुकी है। इसके प्रमुख प्रोडक्ट्स में शामिल हैं:लग्ज़री चाय और कॉफीहाई-एंड गिफ्ट हैंपर्सफाइन चॉकलेट्स, कुकीज़, स्पाइसेज़होम डेकोर और डाइनिंग एक्सेसरीज़कंपनी की फ्लैग्शिप स्टोर लंदन में है, और इसके प्रोडक्ट्स दुनिया भर में ऑनलाइन बिकते हैं।यानी जो कंपनी कभी व्यापार के बहाने भारत में घुसी थी, अब खुद भारत और दुनिया को सामान बेच रही है, वो भी लग्ज़री ब्रांड बनकर।कौन हैं इसका मालिक?अब ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान भारतीय उद्यमी संजीव मेहता के पास है, जिनका कहना है कि उन्होंने इस कंपनी को खरीदकर इतिहास का प्रतीक नहीं, बल्कि एक नया भविष्य तैयार किया है।अब कंपनी के नाम को कॉलोनीयल गिल्ट से हटाकर उसे ब्रिटिश और भारतीय विरासत का साझा ब्रांड बनाने की कोशिश कर रहे हैं।तो अब ईस्ट इंडिया कंपनी राज नहीं करती, बल्कि अच्छी चाय बेचती है, और हां, अब मालिक कोई फिरंगी नहीं, बल्कि भारतीय हैं।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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