अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस और NASA द्वारा लॉन्च किया जाने वाला Axiom Mission-4 अब फिलहाल के लिए टाल दिया गया है। कारण है, स्पेसX के Falcon-9 रॉकेट में तकनीकी रिसाव।ये वही मिशन है जिसमें भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक भेजा जाना था।अगर ये मिशन समय पर पूरा होता, तो शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बनते और ISS तक पहुंचने वाले पहले।आपको बता दें, कि ये मिशन न सिर्फ उनके लिए, बल्कि भारत की स्पेस डिप्लोमेसी, वैज्ञानिक शोध और भविष्य के गगनयान मिशन की दिशा में एक बड़ी छलांग साबित होता।क्या है एक्सिओम मिशन-4?Axiom Mission-4 एक प्राइवेट कॉमर्शियल स्पेस मिशन है, जिसमें NASA और Axiom Space मिलकर काम कर रहे हैं।इसका उद्देश्य इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देना और अंतरिक्षयात्रा में बहुराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।मिशन में माइक्रोग्रैविटी में शैवाल, सलाद बीज और मेटाबॉलिक सप्लीमेंट्स पर असर की जांच की जानी थी।साथ ही, सायनोबैक्टीरिया पर यूरिया और नाइट्रेट का असर भी एक प्रमुख प्रयोग का हिस्सा था।इन प्रयोगों से भविष्य के स्पेस फूड टेक्नोलॉजी और लॉन्ग ड्यूरेशन स्पेस फ्लाइट्स को मदद मिलेगी।भारत के लिए क्यों है ये मिशन खास?इस मिशन में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला बतौर पायलट हिस्सा ले रहे थे।उनका चयन ISRO के गगनयान मिशन के लिए हुए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से हुआ था।Axiom-4 में हिस्सा लेने से उन्हें तकनीकी और ऑपरेशनल अनुभव मिलेगा, जो गगनयान जैसे मानव मिशनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।ये भारत के लिए सिर्फ एक व्यक्ति का मिशन नहीं, बल्कि स्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का प्रतीक बन सकता है।मिशन में किसके पास क्या भूमिका?पैगी व्हिटसन (Peggy Whitson) - NASA की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और Axiom Space की ह्यूमन स्पेसफ्लाइट डायरेक्टर, मिशन कमांडर के रूप मेंशुभांशु शुक्ला - पायलट (ISRO चयनित)स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की (पोलैंड) - मिशन स्पेशलिस्ट (ESA के तहत)टिबोर कापू (हंगरी) - मिशन स्पेशलिस्टकौन हैं शुभांशु शुक्ला?उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे 39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट हैं।उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी से प्रशिक्षण लिया और 2006 में वायुसेना में शामिल हुए।उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29 जैसे विमानों में 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।वो 2024 में ग्रुप कैप्टन बने और ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयनित हुए। Axiom-4 उनके अनुभव को गहराई देने वाला कदम होता।भारत के लिए अगले कदमभले ही Axiom-4 टल गया हो, लेकिन ये भारत के लिए अवसरों का रास्ता खोलता है।ये देश को वैश्विक स्पेस लीडरशिप के करीब लाता है। शुभांशु जैसे प्रशिक्षित पायलट ISRO की क्षमताओं और गगनयान जैसे मिशनों की सफलता की बुनियाद रखेंगे।भारत के पास अब चंद्रयान-3, आदित्य-L1, गगनयान और भविष्य के स्पेस स्टेशन जैसे मिशन हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अनुभव जरूरी है।Axiom Mission-4 उसी दिशा में भारत का मजबूत कदम साबित हो सकता है। बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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