हमास का सीजफायर प्रस्ताव: आधे कैदी छोड़ने पर सहमति, नेतन्याहू अड़े- सभी की रिहाई जरूरी

गाज़ा और इजराइल के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है। 18 अगस्त 2025 को हमास ने घोषणा की कि वह संघर्ष विराम के लिए तैयार है और लगभग आधे इजराइली कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गया है। हालांकि, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और साफ कहा है कि किसी भी समझौते को तभी मान्यता दी जाएगी जब सभी बंधकों की रिहाई हो।

 हमास का प्रस्ताव

 मीडिया रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय सूत्रों के मुताबिक, मिस्र और क़तर की मध्यस्थता के बाद हमास ने समझौते का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत संगठन आधे इजराइली कैदियों को रिहा करने की पेशकश कर रहा है। बदले में वह गाज़ा में मानवीय सहायता, चरणबद्ध संघर्षविराम और कुछ पाबंदियों में ढील चाहता है।

 आपको बता दें, पिछले कई महीनों से गाज़ा पर इजराइली हवाई हमले और जमीनी अभियान तेज़ हुए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं और गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है। ऐसे में हमास की यह पेशकश उसके राजनीतिक रुख को लचीला दिखाने की कोशिश मानी जा रही है।

 नेतन्याहू का कड़ा रुख

 प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कहा:

"इजराइल अपने नागरिकों की जान पर कोई समझौता नहीं करेगा। हमास से किसी भी तरह का समझौता तभी संभव है जब सभी बंधकों को सुरक्षित रिहा किया जाए। आधे लोगों की रिहाई का प्रस्ताव अस्वीकार्य है।"

 नेतन्याहू का यह सख्त रुख इजराइल के भीतर बढ़ते दबाव को भी दर्शाता है। बंधकों के परिवार लगातार सरकार से अपील कर रहे हैं कि सभी को सुरक्षित घर लाया जाए। वहीं, विपक्षी दल और सैन्य नेतृत्व भी आधे कैदियों की रिहाई को अपमानजनक सौदे के रूप में देख रहे हैं।

 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

 संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। वाशिंगटन ने विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग कैदियों की प्राथमिकता से रिहाई पर ज़ोर दिया है। वहीं, मिस्र और क़तर लगातार दोनों पक्षों के बीच संवाद बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

 यूरोपीय देशों जैसे फ्रांस और जर्मनी ने नेतन्याहू की मांग का समर्थन किया है और कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत सभी नागरिक बंधकों को बिना शर्त छोड़ा जाना चाहिए। दूसरी ओर, मानवीय संगठनों का कहना है कि बातचीत में देरी गाज़ा में हालात और बिगाड़ सकती है, जहां दवाइयों, भोजन और बिजली की भारी किल्लत हो रही है।

 आगे की राह

 फिलहाल, बातचीत बेहद नाज़ुक दौर में है। हमास अपने राजनीतिक हित साधना चाहता है, जबकि इजराइल सुरक्षा और सभी नागरिकों की सुरक्षित वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि समझौते का रास्ता शायद चरणबद्ध रिहाई और अंतरराष्ट्रीय निगरानी से निकल सकता है।

 अब अगले कुछ दिन तय करेंगे कि गाज़ा में शांति का माहौल बनेगा या हालात और ज्यादा हिंसक हो जाएंगे।

 

Comments (0)

Related to this topic:

No related posts found.