बीजिंग में SCO बैठक के दौरान भारत-चीन संबंधों पर हुई बातचीत, जयशंकर-शी आमने-सामने!

चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर भारत और चीन के बीच एक अहम मुलाकात हुई।


भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और उन्हें भारत की ओर से शुभकामनाएं दीं।


खास बात यह रही कि जयशंकर ने इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी जिक्र किया और उनके संदेश शी जिनपिंग तक पहुंचाए।


SCO बैठक के दौरान हुई मुलाकात


यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है।


हालांकि दोनों देशों ने बीते कुछ वर्षों में विभिन्न मंचों पर बातचीत जारी रखी है, और इस मुलाकात को भी उसी कड़ी में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।


विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की और लिखा, “आज सुबह, SCO के विदेश मंत्रियों के साथ, मैंने बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की।”


उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शी जिनपिंग को शुभकामनाएं दीं।


जयशंकर ने आगे कहा, “मैंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत और चीन के बीच संबंधों के बारे में जानकारी दी और बताया कि हमारे नेताओं ने इस विषय पर हमेशा मार्गदर्शन किया है, जिसे हम बहुत महत्व देते हैं।”


भारत-चीन संबंधों पर दिया बयान


एस जयशंकर की इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों पर विशेष फोकस रहा। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति को बताया कि भारत-चीन के रिश्ते केवल दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व की स्थिरता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।


उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत, सीमा पर शांति और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और यह द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए जरूरी है।


जयशंकर ने कहा कि भारत चाहता है कि दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करते हुए भरोसे का माहौल बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत और संवाद के जरिए ही आपसी मतभेदों को सुलझाया जा सकता है और भारत हमेशा इस नीति का समर्थन करता आया है।


SCO मंच पर भारत की सक्रियता


शंघाई सहयोग संगठन (SCO) भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण मंच है। यह संगठन क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है और भारत इसका सदस्य है।


बीते कुछ वर्षों में भारत ने इस मंच के जरिए चीन, रूस, मध्य एशिया और अन्य सदस्य देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ते मजबूत किए हैं।


विदेश मंत्री जयशंकर की चीन यात्रा और शी जिनपिंग से मुलाकात, भारत की उसी नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को प्राथमिकता देता है।


यह मुलाकात भले ही औपचारिक रही हो, लेकिन इसकी कूटनीतिक अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र क्यों था अहम?


जयशंकर ने इस मुलाकात में पीएम नरेंद्र मोदी का जिक्र इसलिए किया क्योंकि भारत और चीन के बीच जब भी किसी कूटनीतिक पहल की शुरुआत होती है, उसमें नेताओं का दृष्टिकोण बहुत मायने रखता है।


प्रधानमंत्री मोदी पहले भी शी जिनपिंग से कई बार मुलाकात कर चुके हैं, चाहे वह वुहान की अनौपचारिक बैठक रही हो या चेन्नई के महाबलीपुरम में 2019 की चर्चा।


जयशंकर द्वारा पीएम मोदी का संदेश पहुंचाना यह दर्शाता है कि भारत इस रिश्ते को उच्चतम स्तर पर देखता है और किसी भी संवाद को केवल मंत्री स्तर पर सीमित नहीं रखना चाहता।


यह संदेश दोनों देशों के बीच पारस्परिक सम्मान और संबंधों को पुनः मजबूत करने की मंशा को दर्शाता है।


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