गाज़ा पर भारत की दो टूक: 'बंधकों की रिहाई और युद्धविराम ही रास्ता है', UNSC में रखी खुली बात!

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने मिडिल ईस्ट और खासकर गाज़ा पट्टी में जारी संकट पर गहरी चिंता जताई है।


भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वथानेनी हरीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि 'बंधकों की रिहाई और युद्धविराम ही इस त्रासदी को रोकने के पहले कदम हैं'।


इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि शांति की राह सिर्फ बातचीत और कूटनीति से ही निकल सकती है।


भारत की चिंता सिर्फ बयान नहीं, समाधान की ओर सीधा इशारा


भारत ने इस संवेदनशील मुद्दे पर एक बार फिर अपना संतुलित और मानवीय दृष्टिकोण सामने रखा।


राजदूत हरिश ने कहा कि 'आगे का रास्ता साफ है और भारत हमेशा उस दिशा में काम करता रहा है जहां हर किसी को साथ लेकर समाधान निकाला जाए'।


उन्होंने यह भी जोड़ा कि 'जो मानवीय पीड़ा इस वक्त गाज़ा में हो रही है, वह अब और नहीं चल सकती। इसे रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे'।


इंसानियत की जमीनी हकीकत और मदद की सख्त ज़रूरत


भारत ने युद्धविराम की मांग के साथ-साथ मानवीय सहायता की सुरक्षित और समय पर आपूर्ति को भी ज़रूरी बताया।


हरिश ने स्पष्ट किया कि 'मदद अगर सही समय पर और सुरक्षित ढंग से नहीं पहुंचेगी तो जमीन पर दर्द और तबाही और बढ़ेगी। यही वजह है कि भारत बातचीत और कूटनीति को ही एकमात्र रास्ता मानता है'।


शांति के लिए सभी को साथ लाना ज़रूरी


हरिश ने यह बात भी दोहराई कि भारत 'किसी को पीछे नहीं छोड़ने' की नीति पर अडिग है।


उन्होंने कहा कि भारत इस बात को लेकर हमेशा सजग रहा है कि सभी पक्षों को साथ लेकर ही कोई स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। भारत की नीति साफ है, न पक्षपात, न दबाव, सिर्फ संतुलन और इंसानियत की सोच।


गाज़ा में जमीनी हालात और भी गंभीर हो चुके हैं


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गाज़ा में अब लगभग 95 प्रतिशत अस्पताल पूरी तरह से या आंशिक रूप से तबाह हो चुके हैं। मतलब ये कि घायलों और बीमारों को इलाज मिलना लगभग नामुमकिन होता जा रहा है।


मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की रिपोर्ट बताती है कि गाज़ा में करीब 6 लाख 50 हजार से अधिक बच्चे बीते 20 महीनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। शिक्षा की इस तबाही का असर आने वाली पीढ़ियों पर सीधा पड़ेगा।


भारत की चेतावनी - ‘अब देर नहीं होनी चाहिए’


भारत ने सुरक्षा परिषद में दो टूक कहा कि 'अब और देरी नहीं की जा सकती। युद्धविराम लागू करना होगा, बंधकों को रिहा करना होगा और जमीन पर हरसंभव मदद पहुंचानी होगी।'


राजदूत हरिश ने सभी पक्षों से अपील की कि वे बातचीत की मेज पर आएं, क्योंकि और कोई रास्ता नहीं है।


गाज़ा संकट में भारत की भूमिका बनी मिसाल


भारत की भूमिका ना तो केवल कूटनीतिक रही है और ना ही केवल मानवीय चिंता तक सीमित रही है। भारत ने हर बार गाज़ा संकट में व्यावहारिकता और सहानुभूति का बेहतरीन मेल दिखाया है।


फिलिस्तीन और इसराइल दोनों के साथ भारत के रिश्ते ऐतिहासिक रहे हैं और इसी संतुलन के साथ भारत इस संकट में सभी को साथ लेकर समाधान की ओर बढ़ना चाहता है।


अब निगाहें अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर


भारत का बयान सिर्फ एक देश की चिंता नहीं, बल्कि एक वैश्विक जिम्मेदारी का हिस्सा है।


भारत ने UNSC में जिस ठोस और स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखा है, उससे उम्मीद है कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध की जगह शांति के रास्ते को अपनाएगा।


आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

Comments (0)