ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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काठमांडू, 9 सितंबर
2025: नेपाल
में
राजनीतिक
और
सामाजिक
उथल-पुथल खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है। छात्रों से शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसक होते-होते पूरे देश में फैल गया है। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बालकोट स्थित आवास को आग के हवाले कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक, गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पहले घर के सामान को बाहर निकाला और फिर इमारत के कुछ हिस्सों में आग लगा दी। कुछ ही देर में आवास से धुएं का घना गुबार उठता दिखाई दिया।
19 छात्रों की मौत, गहराया संकट
अब तक की घटनाओं में कम से कम 19 छात्रों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में कर्फ्यू जैसी स्थिति है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि प्रधानमंत्री ओली तुरंत इस्तीफा दें। लेकिन सरकार का रुख साफ है कि इस्तीफा नहीं दिया जाएगा।
मंत्रियों का इस्तीफों का सिलसिला
प्रदर्शन और हिंसा ने सरकार के भीतर भी खलबली मचा दी है। अब तक 10 से ज्यादा कैबिनेट मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। गृह मंत्री रमेश लेखक ने सोमवार को ही घातक झड़पों के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया। मंगलवार को कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी अपना पद छोड़ दिया। स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल, युवा एवं खेल मंत्री तेजू लाल चौधरी और जल संसाधन मंत्री प्रदीप यादव ने भी इस्तीफे की घोषणा कर दी है। चौधरी ने साफ कहा कि सरकार युवाओं की शिकायतों को जानती थी, फिर भी उन्हें नजरअंदाज किया गया।
सरकार का जवाब
नेपाल सरकार के मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने मंगलवार को कहा कि “प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे। विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के पीछे राजनीतिक दल हैं। अराजकतावादियों ने आंदोलन पर कब्जा करने की कोशिश की है।” उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रिमंडल ने हिंसा और हत्याओं की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित करने का फैसला किया है।
पीएम ओली पर दबाव
74 वर्षीय प्रधानमंत्री ओली इस समय बेहद दबाव में हैं। खबरें हैं कि उन्होंने आपात स्थिति में अपनी सुरक्षा के लिए एक निजी एयरलाइन का विमान स्टैंडबाय पर रखवाया है, ताकि हालात बिगड़ने पर वे सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
यह आंदोलन ऑनलाइन शुरू हुआ, जहां युवाओं ने भ्रष्टाचार के वीडियो शेयर किए। नेपाल में प्रति व्यक्ति आय मात्र 1,300 डॉलर है, लेकिन राजनेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफ पर गुस्सा भड़का। सरकार का प्रतिबंध "फर्जी खबरों" रोकने के नाम पर था, लेकिन युवाओं ने इसे सेंसरशिप माना। प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के मुख्यालयों पर भी हमला किया।
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