अजरबैजान को सबक सिखाने की तैयारी? रूस-ईरान के सैन्य अभ्यास ने बढ़ाई हलचल!


रूस और ईरान ने जिस तरह से अजरबैजान के खिलाफ अपने तेवर तीखे किए हैं, उससे युद्ध का खतरा अब सिर्फ आशंका नहीं, बल्कि रणनीतिक तैयारी बन चुका है। 


कैस्पियन सागर में दोनों देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘काजारेक्स 2025’ इसी बात की ओर इशारा करता है।


इस एक्सरसाइज में रूसी नौसेना के साथ ईरान की आईआरजीसी और नियमित नौसेना भाग ले रही हैं। अजरबैजानी मीडिया इसे ‘हाइब्रिड वॉर’ की शुरुआत मान रहा है।


खास बात ये है कि अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव हाल के महीनों में रूस को खुलकर चुनौती देते रहे हैं।


उन्होंने एक इंटरव्यू में यहां तक कहा कि अगर हाल ही में गिरे अजरबैजानी यात्री विमान के मामले में न्याय नहीं मिला, तो वो इसे अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाएंगे।


इसके साथ ही उन्होंने यूक्रेन युद्ध को लेकर भी रूस के खिलाफ खुलकर बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कोई भी देश किसी बाहरी कब्जे को बर्दाश्त नहीं कर सकता।


इसी रवैये के बाद से मॉस्को और बाकू के रिश्तों में जो तल्खी आई, वो अब शांति की सीमाएं पार कर चुकी है।


रूस के लिए अजरबैजान अब सीधे-सीधे चुनौती


फिलहाल, रूस के युद्ध समर्थक वर्ग में ये भावना तेजी से फैल रही है कि अजरबैजान को तुरंत जवाब देना चाहिए।


BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी ब्लॉगर दिमित्री सेलेजनोव ने कहा है कि “अजरबैजान खुलकर रूस का विरोध कर रहा है, और जितनी जल्दी हम युद्ध में उतरेंगे, उतना बेहतर रहेगा।”


इसी तरह, अन्य रूसी विश्लेषक यूरी कोटेनेक ने अलीयेव को “अहंकारी तानाशाह” बताते हुए लिखा है कि अब उसे होश में लाने का समय आ गया है।


गौर करने वाली बात ये है कि सिर्फ सैन्य विशेषज्ञ नहीं, बल्कि आम रूसी नागरिकों में भी ये भावना पनप रही है कि अजरबैजान के खिलाफ कार्रवाई टाली नहीं जानी चाहिए।


क्या तुर्की आएगा अजरबैजान के काम?


खैर, इस सवाल का जवाब है, शायद नहीं। रूस और ईरान के संयुक्त दबाव के बीच अजरबैजान का सबसे बड़ा सहयोगी तुर्की इस समय किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई में साथ देने की स्थिति में नहीं है।


जर्मनी के एक शोधकर्ता निकोलाई के अनुसार, “रूस फिलहाल एक बड़े जमीनी ऑपरेशन की योजना बना रहा है, और वो जॉर्जिया के रास्ते अजरबैजान में घुसपैठ के लिए गलियारा तैयार कर सकता है।”


इसका मतलब ये है कि रूस सिर्फ हवाई या समुद्री कार्रवाई पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी निर्णायक हमले की रणनीति बना रहा है।


ईरान-रूस की सैन्य ड्रिल बनी बड़ी चेतावनी


21 जुलाई से शुरू हुआ ‘काजारेक्स 2025’ नाम का युद्धाभ्यास, अजरबैजान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है। रूसी मीडिया में इसे बाकू के हालिया बयानों की सीधी प्रतिक्रिया बताया गया है।


वहीं, ईरानी टीवी और प्रेस बयान कर चुके हैं कि “ये अभ्यास क्षेत्रीय स्थिरता के लिए है”, लेकिन जानकार मानते हैं कि असली मकसद अजरबैजान को दबाव में लाना है।


रूसी पत्रकार मैक्सिम शेवचेंको का कहना है कि “कैस्पियन क्षेत्र में लड़ाई अब बस औपचारिक शुरुआत भर की देर है।”


वहीं, एक अन्य युद्ध समर्थक ब्लॉगर एलेक्सी लिखते हैं कि “अजरबैजान रणनीतिक रूप से हमारे खिलाफ काम कर रहा है, इसलिए अब युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचता है।”


अगर युद्ध हुआ तो क्या होगा?


एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रूस ने ईरान के सहयोग से अजरबैजान पर हमला किया तो ये युद्ध अजरबैजान के लिए बेहद विनाशकारी साबित हो सकता है।


हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर दिमित्री युस्ताफिएव के अनुसार, “20 जुलाई को पुतिन और ईरानी सलाहकार अली लारीजानी की मुलाकात इस बात की पुष्टि करती है कि ईरान युद्ध की स्थिति में रूस का खुलकर साथ देगा।”


ये भी माना जा रहा है कि अगर जॉर्जिया में रूसी सेना की लॉजिस्टिक्स सपोर्ट तैयार हो गई, तो अजरबैजान पर ग्राउंड अटैक करना मुश्किल नहीं होगा।


एक और युद्ध की ओर बढ़ रहा है दुनिया का नक्शा?


कहना गलत नहीं होगा कि रूस अब सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं है। मौजूदा घटनाक्रम बताता है कि पुतिन अब अपने ‘नेबरहुड कंट्रोल’ के एजेंडे को और आगे बढ़ा रहे हैं।


और अगर अजरबैजान, एक मुस्लिम राष्ट्र, रूस-ईरान गठबंधन से टकराता है, तो ये मध्य एशिया के पूरे सुरक्षा समीकरण को हिला सकता है।


आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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