पुतिन का बयान: भारत कभी भी किसी के सामने नहीं झुकेगा

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में सोची में आयोजित वाल्दाई पॉलिसी फोरम में अपने भाषण में भारत के प्रति समर्थन जताया और अमेरिकी दबाव की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे कदम कभी नहीं उठाएंगे जो देश की संप्रभुता के खिलाफ हों।

तेल खरीद और ऊर्जा सुरक्षा पर जोर

पुतिन ने तेल और ऊर्जा के मसले पर अमेरिका की नीतियों की भी आलोचना की। उनका कहना था कि अगर रूस के ट्रेड पार्टनर्स पर ऊंचे टैरिफ लगाए गए, तो इसका असर पूरी दुनिया की ऊर्जा कीमतों पर पड़ेगा। तेल की कीमतें बढ़ेंगी, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व को मजबूरी में ब्याज दरें ऊंची रखनी होंगी, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद करता है, तो उसे 9–10 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। पुतिन ने कहा कि रूस के बिना दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा और तेल की कीमतें प्रति बैरल 100 डॉलर से ऊपर जा सकती हैं।

भारत के साथ व्यापारिक सहयोग

पुतिन ने मोदी को अपना दोस्त बताते हुए कहा कि वे उनके साथ भरोसे के साथ बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के बड़े पैमाने पर रूसी कच्चे तेल की खरीद के कारण जो व्यापार असंतुलन बना है, उसे ठीक करने के लिए रूस को ठोस कदम उठाने चाहिए। पुतिन ने सुझाव दिया कि भारत रूस से और अधिक कृषि उत्पाद और दवाइयां खरीद सकता है, ताकि व्यापार संतुलन ठीक रहे।

अमेरिका पर कटाक्ष

अपने भाषण में पुतिन ने अमेरिका पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत जैसे देशों पर दबाव डालता है कि वे रूसी ऊर्जा खरीदें, जबकि खुद यूरेनियम के लिए रूस पर निर्भर है। पुतिन ने कहा कि रूस हमेशा अमेरिका को यूरेनियम देगा, क्योंकि इसमें अमेरिका को फायदा है।

यूरोपीय देशों को चेतावनी

पुतिन ने यूरोपीय नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि वे रूस के खिलाफ डर पैदा कर रहे हैं और अपने नागरिकों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रूस कमजोर नहीं है और जो इसे हराने की कोशिश करेंगे, उन्हें नुकसान ही होगा।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मुद्दों पर पुतिन के विचार

पुतिन ने कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मुद्दों पर भी अपनी राय व्यक्त की:

1. BRICS और भारत-चीन: रूस भारत और चीन का आभारी है जिन्होंने BRICS की स्थापना की। ये देश किसी के पक्ष में नहीं होते और न्यायपूर्ण दुनिया का निर्माण करना चाहते हैं।

2. यूक्रेन: यदि अमेरिका यूक्रेन को लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलें देता है, तो रूस के संबंध बिगड़ सकते हैं, लेकिन रूस की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

3. चार्ली कर्क की हत्या: पुतिन ने इसे अमेरिका में बढ़ती सामाजिक फूट और कट्टरता का उदाहरण बताया।

4. परमाणु हथियार: रूस अपने परमाणु हथियारों पर भरोसा करता है और किसी नए परीक्षण पर पीछे नहीं हटेगा।

5. LGBTQ आंदोलन: रूस पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा दे रहा है और समान जेंडर संबंधों पर प्रतिबंध लगा चुका है।

6. ट्रम्प काकागजी शेरबयान: पुतिन ने तंज किया कि यदि रूस कागजी शेर है, तो NATO की क्षमता क्या है?

कुल मिलाकर, पुतिन का भाषण वैश्विक राजनीति, ऊर्जा सुरक्षा और भारत-रूस संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी संप्रभुता के साथ कभी समझौता नहीं करेगा और रूस हमेशा अपने साझेदारों के साथ भरोसे और सहयोग का समर्थन करेगा। साथ ही, उन्होंने अमेरिका और यूरोपीय देशों को भी अपने कार्यों पर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी।

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