इजराइल से सीरिया की जंग फिर गरमाई, जानिए कौन उसके साथ है और कौन खिलाफ?

जिस देश को चारों तरफ से घेरा गया हो, वो कब तक चैन से रह सकता है! ये हक़ीक़त है फिलहाल सीरिया की जिस पर इजराइल ने एक बार फिर जबरदस्त बमबारी कर दी।


चारों तरफ भगदड़, धमाके और चीख-पुकार की तस्वीरें फिर से सामने आ गईं। लेकिन ये सिर्फ एक हमला नहीं था, ये एक पुराने घाव को कुरेदने जैसा था।


सीरिया, जो पश्चिमी एशिया का एक अहम देश है, एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह वही पुरानी, इजराइल से उसकी सालों पुरानी दुश्मनी। लेकिन सवाल ये है कि इस हमले के पीछे की असली वजह क्या है?


और सीरिया के 5 पड़ोसी देशों के साथ उसका रिश्ता आज किस मोड़ पर है? चलिए सीधी बात करते हैं, दोस्त कौन हैं, दुश्मन कौन हैं और तटस्थ कौन?


दुश्मनी की जड़ें बहुत पुरानी हैं


इजराइल और सीरिया की दुश्मनी की कहानी 1948 से शुरू होती है। जब इजराइल बना, तब अरब देशों ने उसे मान्यता नहीं दी। सीरिया भी उनमें से एक था।


फिर आई 1967 की 6 दिन वाली जंग, जिसमें इजराइल ने सीरिया के गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया।


गोलान हाइट्स सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं है, वो सामरिक लिहाज से बेहद अहम इलाका है। यहां से दोनों देशों की सीमाओं पर नजर रखी जा सकती है।


इसके बाद 1973 में सीरिया ने यौम किप्पुर वॉर में इजराइल को हराने की कोशिश की, लेकिन फिर असफल रहा।


और तब से लेकर आज तक कोई शांति समझौता नहीं हुआ, सीधा मतलब ये कि दोनों आज भी एक-दूसरे को दुश्मन मानते हैं।


सिर्फ गोलान हाइट्स नहीं, और भी बहुत कुछ है


सीरिया कभी भी इजराइल के कब्जे वाले इलाके को स्वीकार नहीं करता। इजराइल ने वहां अपने लोगों को बसा लिया है, जिसे सीरिया ‘अवैध’ मानता है।


फिलिस्तीन मुद्दे पर भी दोनों आमने-सामने हैं। सीरिया फिलिस्तीनियों का खुला समर्थन करता है।


सीरिया खुद को अरब एकता और राष्ट्रवाद का केंद्र मानता है, वहीं इजराइल को वो पश्चिमी देशों की “कठपुतली” के तौर पर देखता है।


अब बात करें बाकी पड़ोसियों की तो सीरिया की सीमा तुर्की, इराक, जॉर्डन, लेबनान और इजराइल से लगती है। आइए एक-एक करके समझते हैं कि इनसे उसके रिश्ते कैसे हैं:


  1. तुर्की


  • कहने को तो पड़ोसी हैं, लेकिन रिश्ते बेहद उलझे हुए हैं।

  • हाटे प्रांत और पानी के बंटवारे को लेकर पुराना झगड़ा है।

  • तुर्की ने सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान कई बार सैन्य कार्रवाई की, खासकर कुर्द लड़ाकों के खिलाफ।

  • तुर्की ने लाखों सीरियाई शरणार्थियों को पनाह दी, लेकिन आपसी भरोसा आज भी गायब है।


  1. इराक


  • साथ हैं, पर दोस्त नहीं।

  • बाथ पार्टी के वक्त दोनों करीब आए थे।

  • 2011 के बाद जब गृहयुद्ध बढ़ा और ISIS फैला, तब दोनों को मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी।

  • आज भी साथ खड़े दिखते हैं, लेकिन दिल से दोस्ती नहीं है।


  1. जॉर्डन


  • शांति है, पर दूरी भी है।

  • जॉर्डन ने सीरियाई शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले, लेकिन साथ ही आतंक और ड्रग्स तस्करी को लेकर परेशान भी रहा।

  • कूटनीतिक रिश्ते और व्यापार कायम हैं, पर गहरा विश्वास नहीं बन पाया।


  1. लेबनान


  • रिश्ते गहरे हैं, पर जटिल भी।

  • सीरिया ने कभी यहां अपनी सेना तैनात कर रखी थी।

  • हिजबुल्लाह जैसे संगठनों के जरिए आज भी सीरिया का असर यहां साफ दिखता है।

  • लेकिन लेबनान के कई लोग सीरिया के इस दखल से नाखुश भी हैं।


तो फिर कौन हैं सीरिया के सच्चे दोस्त?


रूस और ईरान, सीरिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सहयोगी हैं। रूस ने 2015 से सीरियाई सरकार को खुला सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया।


इसके अलावा, ईरान ने आर्थिक और सैन्य मदद के जरिए सीरिया की कमर थाम रखी है। ईरान के लिए सीरिया एक स्ट्रैटेजिक पॉइंट भी है, जिससे वो हिजबुल्लाह तक अपनी पहुंच बनाए रखता है।


इस ताजा हमले से क्या संदेश मिला?


इजराइल का ये हमला दिखाता है कि इस इलाके में शांति सिर्फ एक ख्वाब भर है। दुश्मनी सिर्फ बमों से नहीं, राजनीतिक चालों से भी लड़ी जा रही है,  सीरिया जैसे देशों के लिए चुनौतियां दोहरी हैं, बाहर से भी और अंदर से भी।


कुल मिला कर बात ये है कि सीरिया एक ऐसा मुल्क है जिसे उसके भूगोल, इतिहास और राजनीति ने हमेशा अशांत रखा है। पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते हर वक्त बदलते रहते हैं।


बाकी, इजराइल के साथ उसका झगड़ा सिर्फ जमीन का नहीं, पहचान और वजूद का भी है, जब तक ये सवाल ज़िंदा हैं, तब तक शांति भी एक सपना ही बनी रहेगी।


आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।


Comments (0)