रूस-यूक्रेन युद्ध अब उस मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां से वापसी मुश्किल लग रही है। NATO के दो हालिया फैसलों ने रूस को गहरे संकट और क्रोध में डाल दिया है, पहला, यूक्रेन को लॉन्ग रेंज हथियार की सप्लाई और दूसरा, NATO देशों के सैन्य ठिकानों पर परमाणु हथियारों की तैनाती की तैयारी।इन दोनों ही कदमों को सीधे तौर पर रूस की सीमा और संप्रभुता पर खतरा माना जा रहा है।नतीजा ये रहा कि पुतिन ने क्रेमलिन की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और एक ऐसी वॉर थ्योरी तैयार की, जिससे पूरा यूरोप हिल सकता है।पुतिन का ट्रिपल वार प्लान: जल, थल, नभपुतिन अब रूस की ताकत को सिर्फ जमीन या आसमान तक सीमित नहीं रखना चाहते। रूस ने जल से भी हमला करने की पूरी तैयारी कर ली है।खबर ये भी है कि रूस ने 4 अलग-अलग फ्रंट्स पर अपनी सबसे खतरनाक न्यूक्लियर सबमरीन, बॉम्बर्स और वॉरशिप तैनात कर दिए हैं।इन 4 फ्रंट्स में शामिल हैं:पैसिफिक - व्लादिवोस्तोक में पैसिफिक फ्लीटआर्कटिक - सेवरोमोस्क में नॉर्दन फ्लीटबाल्टिक - बाल्टिस्क बेस पर बाल्टिक फ्लीटकाला सागर - सेवस्तोपोल बेस पर ब्लैक सी फ्लीटसमुद्र से आएगा हमला? काला सागर बना सेंटररूस अब यूक्रेन के ओडेसा पोर्ट को पूरी तरह तबाह करना चाहता है। काला सागर को पूरी तरह ब्लॉक करने की तैयारी हो चुकी है।ये रूस का वो मूव है जिससे यूरोप के कई देशों की ट्रेड और डिफेंस सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा। खुफिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज रात ही रूस बड़ा हमला कर सकता है।इतनी बड़ी तैयारी क्यों?रूस को अंदेशा है कि जैसे ही वो यूक्रेन पर निर्णायक हमला करेगा, NATO फ्रंटलाइन पर उतर आएगा।इसलिए पुतिन ने अभी से 150 वॉरशिप, 120 एयरक्राफ्ट और 15 हजार सैनिकों को चार फ्रंट पर वॉर ड्रिल में उतार दिया है।इसके अलावा, 10 कोस्टल मिसाइल सिस्टम और 300 ICBM मिसाइलें साइलो में तैयार हैं।रूस की 12 SLBM न्यूक्लियर सबमरीन अब वॉर-रेडी हैं। यानी पुतिन अब किसी भी स्थिति के लिए "न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग" की मुद्रा में हैं।चीन और ईरान का साथरूस अब अकेले नहीं है। ईरान और चीन के साथ उसकी मजबूत जुगलबंदी बन चुकी है। ईरान के साथ कैस्पियन सागर में वॉर ड्रिल हुई है।वहीं चीन के साथ जल्द ही साउथ चाइना सी में बड़ा युद्धाभ्यास शुरू होने वाला है। पुतिन का मकसद साफ है, अमेरिका और NATO को चारों ओर से घेरना।तो फिर अब अगला निशाना कौन है?यूक्रेन के बाद सवाल है: रूस का अगला टारगेट कौन? खुफिया सूत्रों के मुताबिक, लिथुआनिया, पोलैंड और फिनलैंड जैसी सीमावर्ती NATO देशों की चिंता बढ़ गई है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने एयरबेस को हाई अलर्ट पर डाल दिया है। वहीं अमेरिका जल्द ही इन ठिकानों पर न्यूक्लियर हथियार तैनात कर सकता है।क्या यूरोप में एटमी संकट है?रूस बार-बार संकेत दे चुका है कि अगर NATO ने दखल दिया, तो जवाब परमाणु हमला भी हो सकता है। रूस की वॉरशिप और सबमरीन अब एटमी हमले के लिए सक्षम हैं।रूस की सबसे खतरनाक न्यूक्लियर सबमरीन:यासेन-M - 2500 किमी रेंज, मल्टीरोल परमाणु हमलाबोरई-A - 10,000 किमी रेंज, बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीनऑस्कर-2 - 2500 किमी रेंज, गाइडेड मिसाइल सिस्टमडेल्टा-4 - 8300 किमी रेंज, पुरानी लेकिन ताकतवर बैलिस्टिक सबमरीनअब युद्ध सिर्फ यूक्रेन का नहीं रहा बल्कि…अब ये युद्ध सिर्फ यूक्रेन का नहीं रहा। अब ये सवाल है यूरोप की दिशा और दशा का। NATO की सैन्य मौजूदगी और हथियारों की सप्लाई अब सीधी भिड़ंत में बदल सकती है।पुतिन ने चेतावनी दी है कि “हम किसी भी दिशा से आए खतरे का जवाब तीनों मोर्चों - जमीन, आसमान और समंदर से देंगे।”बहरहाल, अब कयास फिलहाल बस इतना ही लगाया जा रहा है कि अगली चाल NATO की होगी, या फिर शायद किसी एटमी बटन की।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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