ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
अगर आप अमेरिका में पढ़ाई या वर्क एक्सचेंज के लिए जाने का सपना देख रहे हैं, तो अब आपको केवल अच्छे डॉक्यूमेंट्स और इंटरव्यू से काम नहीं चलेगा।
जी हाँ, दरअसल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद फिर से सख्ती का दौर शुरू हो चुका है।
उनके ताजा फैसले में अमेरिकी वीजा पाने के लिए अब F, M और J वीजा एप्लिकेंट्स को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को पब्लिक करना अनिवार्य कर दिया गया है।
ये नियम केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के सभी अमेरिकी दूतावासों और वीजा ऑफिसों पर तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने इसकी पुष्टि कर दी है और कहा है कि ये प्रक्रिया सुरक्षा और पारदर्शिता के लिहाज से जरूरी है।
किन वीजा धारकों को माननी होगी ये शर्त?
इस नए नियम का असर F, M और J वीजा कैटेगरी के सभी आवेदकों पर पड़ेगा। आइए समझते हैं ये वीजा कैटेगरी किसके लिए होती है:
F वीजा: वो छात्र जो अमेरिका की यूनिवर्सिटी, कॉलेज या अन्य शैक्षिक संस्थानों में पढ़ाई करने जा रहे हैं।
M वीजा: वो लोग जो गैर-शैक्षणिक यानी वोकेशनल ट्रेनिंग या टेक्निकल कोर्स के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं।
J वीजा: ये वीजा एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लेने वालों के लिए होता है, जिसमें रिसर्च स्कॉलर, टीचर, ट्रेनी, या मेडिकल विज़िटर शामिल हैं।
अब इन वीजा के लिए अप्लाई करते वक्त अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को ‘पब्लिक’ मोड में करना अनिवार्य हो गया है।
आखिर अमेरिकन सरकार क्यों देखना चाहती है आपका सोशल मीडिया?
इस कदम का मकसद है, पहचान की सही पुष्टि, संभावित खतरों की पहचान और वीजा प्रक्रिया में पारदर्शिता।
अमेरिकी दूतावास के अनुसार, जब तक एक व्यक्ति का डिजिटल इतिहास पूरी तरह से जांचा नहीं जाएगा, तब तक उसे अमेरिका में एंट्री नहीं मिल सकती।
सोशल मीडिया से ये देखा जा सकेगा कि कहीं व्यक्ति का झुकाव किसी आपत्तिजनक या संदिग्ध गतिविधि की ओर तो नहीं है।
ये कदम अमेरिकी DHS (Department of Homeland Security) की सिफारिश पर उठाया गया है, जिसमें वीजा को 'अधिकार नहीं, बल्कि विशेषाधिकार' बताया गया है।
कौन-कौन से अकाउंट होंगे जरूरी?
एप्लिकेशन के दौरान आपको इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जानकारी देनी होगी:
X (पूर्व Twitter)
YouTube
TikTok (यदि अकाउंट है)
या फिर अन्य कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जिसमें आपकी डिजिटल एक्टिविटी मौजूद हो।
इनमें यूज़रनेम, पोस्ट्स, प्रोफाइल फोटो, फॉलोअर्स आदि अब इमिग्रेशन अधिकारियों की निगरानी में होंगे।
क्या है इससे होने वाला असर?
इस नियम का सबसे ज्यादा असर छात्रों और वर्किंग प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा, जो अब अपने पुराने पोस्ट्स और एक्टिविटी को दोबारा खंगालने पर मजबूर होंगे।
बहुत से लोग अपने पुराने पोस्ट हटाएंगे, क्योंकि उनमें कोई राजनीतिक टिप्पणी या आपत्तिजनक मीम हो सकता है।
निजी जानकारी और ट्रैवल हिस्ट्री भी होगी एक्सपोज़
अगर किसी का सोशल मीडिया प्रोफाइल ‘फेक’ या किसी और नाम से है, तो भी दिक्कत हो सकती है।
अमेरिका का ये कदम साफ संकेत देता है कि अब हर वीजा एप्लिकेंट को खुद को केवल ऑफलाइन नहीं, बल्कि डिजिटल रूप से भी ट्रांसपेरेंट बनाना होगा।
आपको अब क्या करना चाहिए?
जो लोग F, M या J वीजा के लिए आवेदन करने की सोच रहे हैं, उन्हें तुरंत ये तैयारी शुरू कर देनी चाहिए:
अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स का रिव्यू करें।
पुराने, विवादास्पद या अनावश्यक पोस्ट्स को हटाएं।
प्रोफाइल की प्राइवेसी सेटिंग्स को ‘Public’ पर सेट करें (कम से कम वीजा प्रक्रिया के दौरान)।
अपने नाम, जन्मतिथि, एजुकेशन डिटेल्स आदि को अपने डॉक्यूमेंट्स से मेल कराएं।
किसी भी फेक या सेकेंडरी प्रोफाइल को हटा दें जिससे शक पैदा हो सकता है।
क्या ये फैसला ट्रंप सरकार की ओर से नया है?
हालांकि सोशल मीडिया डेटा की मांग की प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी, लेकिन इसे पहले सीमित दायरे में लागू किया गया था।
ट्रंप के दोबारा सक्रिय होते ही इस नियम को पूरे दायरे में लागू किया गया है और इसे तुरंत अनिवार्य कर दिया गया है।
इसका मकसद साफ है, यानि अमेरिका में दाखिले से पहले, हर व्यक्ति की डिजिटल छवि पूरी तरह सामने दिखनी चाहिए।
अमेरिका जाना अब केवल टेस्ट या इंटरव्यू पास करने भर से नहीं होगा…
इसके साथ ही, ट्रंप सरकार के इस कदम से वीजा प्रक्रिया और भी सख्त हो गई है। अब आपको अपनी डिजिटल प्रोफाइल को भी उतना ही साफ-सुथरा रखना होगा जितना डॉक्यूमेंट्स को।
छात्रों, रिसर्च स्कॉलर्स और ट्रेनीज़ को वीजा के साथ अब डिजिटल ट्रैक रिकॉर्ड भी संभाल कर रखना होगा, क्योंकि अमेरिका अब केवल ‘आपके कहे पर नहीं’, बल्कि ‘आपके किए’ पर भरोसा करेगा।
बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।
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