इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इन दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों के केंद्र में हैं। दरअसल, सीरिया, गाजा और अब कैथोलिक चर्च तक, इजरायल की हालिया बमबारी ने अमेरिका समेत कई देशों को चिंता में डाल दिया है।सीरिया के राष्ट्रपति भवन पर हुए इजरायली हमले के बाद, व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि नेतन्याहू "पागलों की तरह" काम कर रहे हैं।इतना ही नहीं, गाजा में हुए चर्च हमले के बाद खुद डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा।‘नेतन्याहू मैडमैन की तरह काम कर रहे हैं’ - व्हाइट हाउसअमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी ने सीधा आरोप लगाया कि नेतन्याहू "हर चीज पर बमबारी" कर रहे हैं और उनकी ये रणनीति सिर्फ मध्य-पूर्व ही नहीं, बल्कि अमेरिका की कोशिशों में भी बाधा बन रही है।ये बयान तब आया जब हाल ही में इजरायल ने सीरिया के राष्ट्रपति भवन पर मिसाइल हमला किया, जिसमें पांच सुरक्षाकर्मी मारे गए।अधिकारी ने कहा कि नेतन्याहू की ये कार्रवाइयां अमेरिका की राजनयिक पहलों को कमजोर कर रही हैं।गाजा के कैथोलिक चर्च पर भी हमलागौर करने वाली बात ये है कि इससे पहले इजरायल ने गाजा में होली फैमिली कैथोलिक चर्च के परिसर पर भी हमला किया था। इस हमले में 3 लोगों की मौत और 10 से अधिक लोग घायल हुए थे।ये हमला वैश्विक स्तर पर आलोचना का कारण बना। कई देशों के नेताओं ने इजरायल की निंदा की, लेकिन सबसे अहम प्रतिक्रिया अमेरिका की रही।ट्रंप ने फोन पर जवाब मांगाइस चर्च हमले के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद नेतन्याहू को कॉल किया और पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा।नेतन्याहू का जवाब था कि ये हमला जानबूझकर नहीं किया गया, बल्कि गलती से एक टैंक का गोला चर्च परिसर में गिर गया। उन्होंने इस पर अफसोस जताया और कहा कि निर्दोष लोगों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है।ट्रंप प्रशासन के भीतर बढ़ रही है नाराजगीव्हाइट हाउस के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ट्रंप प्रशासन के भीतर नेतन्याहू को लेकर संदेह और असहजता बढ़ रही है। नेतन्याहू अब अमेरिकी अधिकारियों को चिड़चिड़े और हस्तक्षेपकारी नजर आने लगे हैं।हालांकि, अब तक ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से नेतन्याहू की आलोचना नहीं की है, लेकिन अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है।अमेरिका ने कराया सीरिया-इजरायल युद्धविरामइजरायली हमलों के बाद अमेरिका को मध्यस्थ की भूमिका निभानी पड़ी। तुर्की में स्थित अमेरिकी राजदूत ने सीरिया और इजरायल के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी।इसका उद्देश्य साफ था, क्षेत्रीय तनाव को नियंत्रित करना और दोनों देशों को बातचीत की टेबल पर लाना। लेकिन अमेरिका को इस प्रक्रिया में इजरायली नेतृत्व की नीतियों से निराशा हो रही है।नेतन्याहू-ट्रंप की दोस्ती अब भी बरकरार?हालांकि नेतन्याहू और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत रिश्ते मजबूत माने जाते हैं। नेतन्याहू ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप की खुले दिल से तारीफ की थी और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात भी कही थी।इसीलिए ट्रंप ने अब तक कोई सार्वजनिक आलोचना नहीं की है, लेकिन उनके प्रशासन के भीतर जो बेचैनी है, वो साफ दिख रही है।इजरायल की रणनीति अमेरिका के लिए सिरदर्द?फिलहाल जो स्थिति बन रही है, वो अमेरिका के लिए बेहद जटिल है। जहां एक तरफ वो इजरायल का परंपरागत सहयोगी है, वहीं दूसरी तरफ उसे मध्य-पूर्व में शांति बनाए रखना भी जरूरी है।इसके अलावा, इजरायल की आक्रामक रणनीति और लगातार हो रही बमबारी से अमेरिका की भूमिका असंतुलित होती जा रही है।ट्रंप प्रशासन को डर है कि इन हमलों से न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी, बल्कि ये उसके वैश्विक रणनीतिक लक्ष्यों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।कुल मिलाकर, बेनजामिन नेतन्याहू की नीति फिलहाल अमेरिका के लिए नरम सिरदर्द बन चुकी है।ट्रंप भले ही पुराने दोस्त की तरह उन्हें पब्लिकली बचाते रहें, लेकिन अंदर ही अंदर व्हाइट हाउस नाराज है।खैर, अब देखना तो ये होगा कि अमेरिका कितने दिन तक इस 'मैडमैन डिप्लोमेसी' को नजरअंदाज करता है, या फिर जल्द ही कोई सख्त कदम उठाता है।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment