बीते 50 वर्षों में वैश्विक राजनीति में कई दिग्गज नेता हुए जिन्होंने अपनी नीतियों से अपने-अपने देशों की दिशा बदल दी।इनमें अमेरिका के रोनाल्ड रीगन, ब्रिटेन की मार्गरेट थैचर, भारत की इंदिरा गांधी और जर्मनी के हेल्मुट कोल जैसे नेता शामिल हैं।इन्हीं के दौर में चीन में भी एक नेता उभरा जिसने न सिर्फ चीन की तस्वीर बदली, बल्कि उसकी तकदीर भी लिखी, और वह थे देंग शियाओपिंग।उनके योगदान की तुलना भारत में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से की जाती है, जिन्होंने भारत के आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी।चीन के आर्थिक कायाकल्प का सूत्रधारदेंग शियाओपिंग 1978 से 1989 तक चीन की सत्ता में रहे। उन्हें आधिकारिक तौर पर देश का सर्वोच्च नेता कहा जाता है। जब वे सत्ता में आए, तब चीन की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी।लेकिन उन्होंने सुधारवादी नीति अपनाते हुए मार्केट इकोनॉमी की ओर पहला कदम बढ़ाया, जिससे लाखों लोग गरीबी से बाहर आए और चीन दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हुआ।यही काम भारत में 1991 के आर्थिक संकट के समय नरसिम्हा राव ने किया था, जो आज भी देश की आर्थिक दिशा की नींव माने जाते हैं।विरोधों, निष्कासन और वापसी से बना लौह पुरुषदेंग का राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। 1920 में फ्रांस में शिक्षा के दौरान साम्यवाद से जुड़ाव हुआ और 1924 में वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए। उन्होंने मॉस्को में सैन्य और राजनीतिक प्रशिक्षण भी लिया।लंबे समय तक पार्टी में रहते हुए वे कई बार निष्कासित हुए, खासकर सांस्कृतिक क्रांति के दौरान।लेकिन हर बार उन्होंने वापसी की और अंततः 1978 में सत्ता पर पूरी पकड़ बना ली। उनकी राजनीतिक समझ, रणनीतिक सोच और विचारशील नेतृत्व ने चीन को समाजवादी व्यवस्था में रहते हुए पूंजीवादी उपकरणों का इस्तेमाल करने का नया मॉडल दिया।देंग का विजन: सुधार, खुलापन और राष्ट्रवाद का संतुलनदेंग की महानता दो बातों पर टिकी है, चीन को गरीबी से बाहर निकालना और वैश्विक शक्ति बनाना।उन्होंने बाजार को विदेशी निवेश के लिए खोला, लेकिन देश पर कम्युनिस्ट पार्टी की पकड़ भी बनाए रखी।यही ‘सोशलिस्ट मार्केट इकोनॉमी’ मॉडल उनकी सबसे बड़ी देन रही। देंग का विजन यह था कि विदेशी कंपनियों को तकनीक साझा करनी होगी, जिससे चीन तेजी से सीख सके और खुद की टेक्नोलॉजी खड़ी कर सके।इसके परिणामस्वरूप, Huawei, Tencent, Alibaba जैसी टेक कंपनियों का उदय हुआ।उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया कि चीन का डिजिटल सिस्टम आत्मनिर्भर हो, जिसके लिए उन्होंने चीनी फायरवॉल की नींव रखी।यही कारण है कि गूगल, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म चीन में बंद हैं, लेकिन चीनी विकल्प पूरी तरह फले-फूले।सत्ता से विदाई का अनूठा आदर्शदेंग शियाओपिंग ने न केवल विकास का रास्ता दिखाया, बल्कि सत्ता में रहने की सीमा भी तय की।1989 में वे स्वेच्छा से सत्ता से हट गए, यह कहते हुए कि किसी भी नेता को 10 साल से ज्यादा पद पर नहीं रहना चाहिए।यह बात चीन के नेतृत्व में बदलाव के लिए मिसाल बनी। उनके बाद आने वाले नेताओं ने इसी परंपरा का पालन किया, हालांकि हाल के वर्षों में इसमें विचलन भी देखा गया है।भारत के ‘देंग’ थे नरसिम्हा रावभारत में पीवी नरसिम्हा राव को देंग का समकक्ष कहा जाता है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा था, “पीवी नरसिम्हा राव भारत के देंग शियाओपिंग थे।”1991 में भारत गहरे आर्थिक संकट में था और राव ने डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मिलकर जो आर्थिक उदारीकरण लागू किया, उसने देश की दशा-दिशा बदल दी। आज भारत जिस आर्थिक मुकाम पर है, उसमें उस युग के फैसलों का बड़ा योगदान है।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment